केंद्र सरकार ने बुधवार को 2024-25 के लिए गन्ने की कीमत में 8 फीसदी की बढ़ोतरी (Sugarcane Fair Price Hike) कर दी है, बढ़ी हुई कीमत अक्टूबर से लागू होगी. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर सरकार और किसानों के बीच भारी तनातनी के बीच यह बढ़ोतरी हुई है. गन्ने की कीमत अब 315 रुपये से बढ़कर 340 रुपये प्रति क्विंटल हो जाएगी. मोदी सरकार के 2014 में सत्ता में आने के बाद से यह अब तक की सबसे बड़ी एफआरपी है. मोदी सरकार ने दूसरी बार एफआरपी में एक बार में 25 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाए हैं.
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"यह गन्ने की अब तक की सबसे ज्यादा कीमत"
गन्ने की एफआरपी बढ़ोतरी का ऐलान कते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि सरकार किसान समर्थक है. उन्होंने कहा, ''हमारी सरकार किसानों और कृषि की बेहतरी के लिए काम कर रही है.'' अनुराग ठाकुर ने मीडिया से कहा कि सीसीईए ने 2024-25 के लिए 10.25 प्रतिशत की चीनी रिकवरी दर पर गन्ने की एफआरपी 340 रुपये प्रति क्विंटल को मंजूरी प्रदान कर दी है. उन्होंने कहा, ''यह गन्ने की अब तक की सबसे अधिक कीमत है, जो मौजूदा सत्र 2023-24 के लिए गन्ने की एफआरपी से करीब आठ प्रतिशत अधिक है.''
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नई एफआरपी गन्ने के तय फार्मूले से 107 प्रतिशत अधिक है और इससे गन्ना किसानों की समृद्धि सुनिश्चित होगी. उन्होंने कहा, ''भारत, दुनियाभर में गन्ने की सबसे ज्यादा कीमत चुका रहा है.'' नई एफआरपी एक अक्टूबर 2024 से लागू होगी.
FRP बढ़ने का फायदा 5 करोड़ से ज्यादा गन्ना किसानों को
अनुराग ठाकुर ने कहा, "साल 2024-25 के लिए कीमत 340 प्रति क्विंटल तय करने का फैसला लिया गया है, जबकि पिछले साल यह कीमत 315 रुपए थी." सरकार की तरफ से एक बयान में कहा गया कि उसने रिकवरी में 10.25% से ऊपर प्रत्येक 0.1 प्रतिशत अंक की वृद्धि के लिए 3.32 रुपए प्रति क्विंटल का प्रीमियम दिया है. आधिकारिक बयान के मुताबिक, ''केंद्र सरकार के इस फैसले से पांच करोड़ से ज्यादा गन्ना किसानों और चीनी क्षेत्र से जुड़े लाखों अन्य लोगों को फायदा होगा.'' यह कदम किसानों की आय दोगुनी करने की मोदी की गारंटी को पूरा करने की प्रतिबद्धता को दोहराता है.
बता दें कि गन्ने की एफआरपी बढ़ाने का फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में लिया गया. चुनाव से पहले यह कदम उठाया गया है. देशभर में गन्ना खासकर उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में उगाया जाता है.
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