क्या वायनाड के लोग प्रियंका को भी वही प्यार और आशीर्वाद देंगे, जो उन्होंने उनके भाई राहुल गांधी को दिया था, ये हर कोई जानना चाहता है. प्रियंका गांधी खुद भी रिजल्ट का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं. हालांकि उन्हें भरोसा भी है कि वायनाड उन्हें जरूर मौका देगा, लेकिन वोटिंग प्रतिशत तो कुछ और ही इशारा कर रहा है. बुधवार को वायनाड लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव (Wayanad By Election) में करीब 65 फीसदी मतदान दर्ज किया गया, जो अप्रैल में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान क्षेत्र में दर्ज वोटिंग से कम है. अब सवाल ये है कि क्या इसमें प्रियंका के लिए कोई इशारा छिपा है, ये तो चुनाव परिणाम सामने आने के बाद ही साफ हो सकेगा.
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वायनाड में पहले हुई थी कितनी वोटिंग?
वायनाड से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा अपनी किस्मत आजमा रही हैं. आम चुनाव में प्रियंका के भाई राहुल गांधी वायनाड में कांग्रेस के उम्मीदवार थे. उस दौरान 74 फीसदी लोगों ने अपने वोटिंग राइट्स का इस्तेमाल किया था. वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में जब राहुल पहली बार वायनाड से चुनावी मैदान में उतरे थे, तब वहां 80 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग दर्ज की गई थी.
- पहली बार चुनावी मैदान में उतरीं प्रियंका गांधी
- प्रियंका गांधी संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (UDF) की उम्मीदवार हैं
- कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं प्रियंका गांधी
- प्रियंका का मुकाबला वाम लोकतांत्रिक मोर्चा के प्रत्याशी सत्यन मोकेरी से
- वायनाड में प्रियंका का मुकाबला बीजेपी की उम्मीदवार नव्या हरिदास से भी
वायनाड में इतनी कम हुई वोटिंग
वायनाड में लोकसभा उपचुनाव के लिए सुबह तेजी से मतदान हुआ और शुरुआती आठ घंटों में वहां 50 फीसदी से ज्यादा लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. चुनाव आयोग की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, रात 9 बजे तक क्षेत्र में 64.72 फीसदी मतदान दर्ज किया गया. हालांकि कांग्रेस के गठबंधन वाले यूडीएफ ने वायनाड में कम मतदान से प्रियंका की जीत का अंतर कम होने की आशंकाओं को खारिज कर दिया.
केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने कहा कि वायनाड में कम मतदान मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) गठबंधन वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) के दबदबे वाले क्षेत्रों में मतदाताओं के बीच उत्साह की कमी का नतीजा है.
वहीं, एलडीएफ और बीजेपी ने यूडीएफ के दावे को खारिज करते हुए कहा कि वोटिंग प्रतिशत में कमी कांग्रेस और उसके सहयोगियों के दबदबे वाले क्षेत्रों में लोगों के वोट डालने के लिए आगे नहीं आने का परिणाम है.
चेलक्करा उपचुनाव में 72.77 फीसदी मतदान
दूसरी तरफ त्रिशूर जिले की चेलक्करा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में करीब 72.77 फीसदी मतदान दर्ज किया गया.
दोनों सीटों पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शांतिपूर्ण ढंग से मतदान हुआ. कुछ मतदान केंद्रों से ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) में खराबी की शिकायतें जरूर आईं, लेकिन निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने तत्काल उनका निस्तारण कराया.
वायनाड में इस साल जुलाई में भीषण भूस्खलन की घटनाओं से प्रभावित लोगों के लिए स्थापित मतदान केंद्रों पर भावुक नजारा देखने को मिला. मतदाता आपदा के कई महीनों बाद अपने पड़ोसियों और करीबी दोस्तों को देखकर भावुक हो गए.
भूस्खलन से प्रभावित लोगों को उन शिविरों से मतदान केंद्रों तक पहुंचाने के लिए विशेष मुफ्त वाहन सेवा उपलब्ध कराई गई, जहां वे अस्थायी रूप से रह रहे हैं.
वायनाड लोकसभा क्षेत्र में 7 विधानसभा सीटें
लोग वायनाड में 1,354 मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए सुबह से ही पहुंचने लगे थे. निर्वाचन आयोग के अनुसार, इस क्षेत्र में 14 लाख से अधिक मतदाता पंजीकृत हैं. वायनाड लोकसभा क्षेत्र के तहत सात विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें वायनाड जिले की मनंतावाडी (सुरक्षित), सुल्तान बथेरी (सुरक्षित) और कलपेट्टा, कोझिकोड जिले की तिरुवमबाडी तथा मलप्पुरम जिले की ईरानद, निलांबुर और वंडूर सीट शामिल हैं.
लोकसभा चुनावों में रायबरेली से जीत के बाद राहुल गांधी के वायनाड सीट खाली करने की वजह से इस सीट पर उपचुनाव कराया गया. वायनाड लोकसभा उपचुनाव में कुल 16 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई. यूडीएफ उम्मीदवार प्रियंका गांधी को एलडीएफ प्रत्याशी सत्यन मोकेरी और राजग उम्मीदवार नव्या हरिदास ने चुनौती दी.
चेलक्करा विधानसभा सीट पर भी लोग उपचुनाव में वोट डालने के लिए सुबह-सुबह मतदान केंद्रों पर उमड़ने लगे. इस निर्वाचन क्षेत्र में 177 मतदान केंद्र बनाए गए थे. चेलक्करा में एलडीएफ नेता के राधाकृष्णन के अलाथुर से लोकसभा के लिए सांसद चुने जाने के बाद उपचुनाव कराना पड़ा. इस सीट पर कुल छह उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा.
इनपुट-भाषा से
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