मुंबई:
महाराष्ट्र के सांगली से करीब 5 लाख लीटर पानी लेकर चली एक खास ट्रेन लातूर पहुंच गई है। यह ट्रेन सोमवार को मिरज से पानी लेकर चली थी और आज सुबह ही लातूर पहुंची। 350 किलोमीटर की दूरी तय करने में इस ट्रेन को करीब 18 घंटे लगे।
टैंकर्स के जरिये पहुंचाया जाएगा पानी
अब ट्रेन का पानी पाइपलाइन के जरिए स्टेशन के पास बावड़ी में खाली किया जाएगा। फिर टैंकर्स के जरिये शहर तक पहुंचाया जाएगा। रेलवे और राज्य सरकार के आदेशों के बाद इस ट्रेन को चलाया गया था।
प्रत्येक डिब्बे में 50 हजार लीटर की क्षमता
मध्य रेलवे के प्रमुख प्रवक्ता नरेंद्र पाटिल ने कहा, 10 डिब्बों की इस पहली खेप में, प्रत्येक डिब्बे में 50 हजार लीटर की क्षमता है। इन डिब्बों में पानी सांगली जिले के मिराज रेलवे स्टेशन पर भरा गया था। जिला प्रशासन ने लातूर रेलवे स्टेशन के पास स्थित एक बड़े कुएं को अधिग्रहित किया है। ट्रेन से लाए गए पानी को इस कुंए में जमा करके रखा जाएगा और फिर यहां से इसकी आपूर्ति लातूर शहर में की जाएगी।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में सूखे से प्रभावित मराठवाड़ा के गांवों से लोग शहरों की तरफ पलायन को मजबूर हो रहे हैं। मुंबई के घाटकोपर इलाके में ऐसे लगभग 500 खेतिहर मजदूर और किसान रह रहे हैं। नांदेड़ और लातूर से आए इन किसानों के पास गांव में न काम है, न पैसा, हालांकि शहर में भी इनके रहने के हालात बदतर ही हैं।
(इनपुट्स भाषा से भी)
टैंकर्स के जरिये पहुंचाया जाएगा पानी
अब ट्रेन का पानी पाइपलाइन के जरिए स्टेशन के पास बावड़ी में खाली किया जाएगा। फिर टैंकर्स के जरिये शहर तक पहुंचाया जाएगा। रेलवे और राज्य सरकार के आदेशों के बाद इस ट्रेन को चलाया गया था।
प्रत्येक डिब्बे में 50 हजार लीटर की क्षमता
मध्य रेलवे के प्रमुख प्रवक्ता नरेंद्र पाटिल ने कहा, 10 डिब्बों की इस पहली खेप में, प्रत्येक डिब्बे में 50 हजार लीटर की क्षमता है। इन डिब्बों में पानी सांगली जिले के मिराज रेलवे स्टेशन पर भरा गया था। जिला प्रशासन ने लातूर रेलवे स्टेशन के पास स्थित एक बड़े कुएं को अधिग्रहित किया है। ट्रेन से लाए गए पानी को इस कुंए में जमा करके रखा जाएगा और फिर यहां से इसकी आपूर्ति लातूर शहर में की जाएगी।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में सूखे से प्रभावित मराठवाड़ा के गांवों से लोग शहरों की तरफ पलायन को मजबूर हो रहे हैं। मुंबई के घाटकोपर इलाके में ऐसे लगभग 500 खेतिहर मजदूर और किसान रह रहे हैं। नांदेड़ और लातूर से आए इन किसानों के पास गांव में न काम है, न पैसा, हालांकि शहर में भी इनके रहने के हालात बदतर ही हैं।
(इनपुट्स भाषा से भी)
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