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This Article is From Mar 14, 2024

CAA के तहत भारतीय नागरिकता चाहते हैं, लेकिन नहीं हैं दस्तावेज़ - क्या करें - अमित शाह ने दिया जवाब

भारतीय नागरिकता प्राप्त करने वाले किसी भी आवेदकों के पास दो दस्तावेज होने चाहिए - एक जो साबित कर सके कि वो योग्य देशों से आए हैं और दूसरा ये कि वो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में दाखिल हुए हैं.

CAA के तहत भारतीय नागरिकता चाहते हैं, लेकिन नहीं हैं दस्तावेज़ - क्या करें - अमित शाह ने दिया जवाब
अमित शाह ने कहा, हम जल्द ही उन लोगों के लिए एक तरीका निकालेंगे जिनके पास कोई दस्तावेज नहीं हैं.
नई दिल्ली:

गृह मंत्री अमित शाह ने आज कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम या सीएए में वर्तमान में गैर-मुस्लिम प्रवासियों के लिए कोई प्रावधान नहीं है, जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं लेकिन सरकार जल्द ही ऐसे शरणार्थियों के लिए रास्ता निकालने पर काम करेगी. केंद्र ने 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से प्रताड़ित प्रवासियों के लिए नागरिकता के लिए आवेदन की योग्यता अवधि को 11 से घटाकर 5 साल करने को सीएए को अधिसूचित किया है. 

नागरिकता पाने के लिए चाहिए होंगे ये दो दस्तावेज

भारतीय नागरिकता प्राप्त करने वाले किसी भी आवेदकों के पास दो दस्तावेज होने चाहिए - एक जो साबित कर सके कि वो योग्य देशों से आए हैं और दूसरा ये कि वो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में दाखिल हुए हैं. एएनआई को दिए गए एक इंटरव्यू में अमित शाह ने बताया कि सरकार के मुताबिक भारतीय नागरिकता चाहने वाले 85 प्रतिशत प्रवासियों के पास ये दोनों दस्तावेज मौजूद हैं लेकिन जिनके पास इनमें से कोई भी दस्तावेज नहीं हैं उनके लिए भी सरकार नागरिकता प्राप्त करने का तरीका जल्द निकालेगी.

सीएए पर अमित शाह ने की बात

अमित शाह ने एएनआई को कहा, "हम जल्द ही उन लोगों के लिए एक तरीका निकालेंगे जिनके पास इनमें से कोई भी दस्तावेज नहीं हैं लेकिन जिनके पास दस्तावेज हैं, उनकी संख्या 85 प्रतिशत से अधिक है." जब उनसे पूछा गया कि यह प्रोसेस किस तरह से काम करेगा तो उन्होंने कहा, "कोई भी समय लेकर अप्लाई कर सकता है, फिर सरकार इंटरव्यू के लिए उन्हें कॉल करेगी और वो अपने मुताबिक टाइम का चुनाव कर सकते हैं. सरकार आपको दस्तावेज़ के ऑडिट के लिए बुलाएगी और आमने-सामने साक्षात्कार किया जाएगा."

मुस्लिम समुदाय के पास भी नागरिकता पाने का अधिकार है

सीएए लागू करने के फैसले के खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं क्योंकि कुछ लोगों को डर है कि कानून का इस्तेमाल उन्हें अवैध अप्रवासी घोषित करने और उनकी भारतीय नागरिकता छीनने के लिए किया जा सकता है. अमित शाह ने इसका खंडन किया है और कहा कि मुस्लिम बहुल देशों में उत्पीड़न का सामना करने वाले अल्पसंख्यकों की मदद के लिए इस कानून की जरूरत है. बीजेपी नेता ने यह भी कहा कि संविधान सभी धर्मों और समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता लेने की अनुमति देता है. गृह मंत्री ने कहा, "यहां तक कि मुस्लिम समुदाय के लोगों के पास भी नागरिकता लेने का अधिकार है. किसी के लिए भी दरवाजें बंद नहीं किए हैं." 

विपक्ष के दावों का भी दिया जवाब

लोकसभा चुनाव से पहले सीएए की अधिसूचना लाने के समय के बारे में विपक्ष के दावे का जवाब देते हुए, अमित शाह ने कहा कि "राजनीतिक लाभ का कोई सवाल ही नहीं है" क्योंकि भाजपा का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को अधिकार और न्याय प्रदान करना है. 

विपक्ष करता है झूठ की राजनीति

उन्होंने कहा, "सभी विपक्षी पार्टियां जिसमें राहुल गांधी, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल तक शामिल हैं, झूठ की राजनीति कर रहे हैं तो ऐसे में समय का सवाल ही नहीं उठता है. बीजेपी ने 2019 के मेनिफेस्टो में साफ कर दिया था कि वो सीएए लाएगी और प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देगी. बीजेपी का एक स्पष्ट एजेंडा है और उस वादे के तहत, नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 में संसद के दोनों सदनों में पारित किया गया था. इसमें कोविड के कारण देरी हुई. बीजेपी ने चुनाव में जनादेश मिलने से काफी पहले ही अपना एजेंडा साफ कर दिया था".

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