"पिता की प्रतिमा के लिए जमीन तक नहीं दी" : जब रो पड़े हिमाचल के कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह

विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि हिमाचल में 2022 का चुनाव कांग्रेस के सबसे बड़े नेता और छह बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के नाम पर लड़ा गया था. ऐसा कोई बैनर या पोस्टर नहीं था जिसमें उनकी तस्वीर न हो. लेकिन बाद में राज्य सरकार ने उन्हें सम्मान नहीं दिया.

शिमला:

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में कांग्रेस पार्टी में विवाद जारी है. राज्यसभा चुनाव में कुछ विधायकों के क्रॉस वोटिंग के कारण पार्टी को राज्यसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. इस बीच राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. बुधवार को उन्होने राज्य की सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) सरकार पर गंभीर आरोप लगाया. विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से उनके दिवंगत पिता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की मूर्ति लगाने के लिए जमीन नहीं दी गयी. इस दौरान वो मीडिया के सामने रो पड़े. वीरभद्र सिंह का अपमान करने का आरोप भी विक्रमादित्य सिंह ने राज्य सरकार पर लगाया.  

वीरभद्र सिंह के नाम पर मिली थी जीत: विक्रमादित्य सिंह 
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि हिमाचल में 2022 का चुनाव कांग्रेस के सबसे बड़े नेता और छह बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के नाम पर लड़ा गया था. उन्होंनेे कहा कि "ऐसा कोई बैनर या पोस्टर नहीं था जिसमें उनकी तस्वीर न हो.  मतदान से एक दिन पहले, एक पूरे पन्ने के अखबार के विज्ञापन में उनकी तस्वीर के साथ संदेश था, 'मुझे याद रखें, मेरे नाम पर वोट करें. लेकिन बाद में राज्य सरकार ने उन्हें भुला दिया. 

विक्रमादित्य सिंह ने वीरभद्र सिंह को लेकर अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर द्वारा लिखी गई पंक्तियां को उद्धृत करते हुए कहा कि "कितना है बदनसीब जफर दफन के लिए, दो गज जमीन भी न मिली कू-ए-यार (प्यार की गली) में."

मैं भावनात्मक रूप से आहत हूं:  विक्रमादित्य सिंह 
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि मैं भारी मन से कह रहा हूं कि उन्हें (राज्य सरकार) से वीरभद्र सिंह की मूर्ति स्थापित करने के लिए माल रोड पर जमीन का एक टुकड़ा नहीं मिल सका, जिसके नाम पर हमने सरकार बनाई थी.  यह वह सम्मान है जो इस सरकार ने मेरे दिवंगत पिता के प्रति दिखाया है. कांग्रेस नेता ने रोते हुए कहा कि "हम भावुक लोग हैं. हमें पदों की परवाह नहीं है. लेकिन सम्मान की भावना जो होनी चाहिए... बार-बार अनुरोध के बावजूद वे ऐसा नहीं कर सके. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.

विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि मैं राजनीतिक रूप से नहीं, बल्कि भावनात्मक रूप से आहत हूं." उन्होंने कहा कि मैंने यह मुद्दा पार्टी हाईकमान के सामने उठाया, लेकिन कुछ नहीं हुआ. उन्हें इस पर गौर करना चाहिए.  हिमाचल की जनता बहुत भावुक है. हर चीज को राजनीति के चश्मे से नहीं देखा जा सकता. एक बेटे के तौर पर , मुझे बुरा लगा और मुझे उम्मीद है कि पार्टी इस पर ध्यान देगी,''.

डी के शिवकुमार नाराज विधायकों से कर रहे हैं बात
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में छह कांग्रेस विधायकों के भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में वोट किया. इसके कुछ घंटे बाद अंसतुष्ट विधायकों को मनाने के लिए पार्टी का शीर्ष नेतृत्व सक्रिय हो गया. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने छह विधायकों से बातचीत करने के लिए वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और डी के शिवकुमार को नियुक्त किया है. ऐसा माना जाता है कि ये छह विधायक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की कार्यशैली से ‘निराश' हैं और उन्हें हटाने की मांग कर रहे हैं.

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