Jamshedpur Lok Sabha Seat: जमशेदपुर में विदु्यत वरण महतो पुराने रिकॉर्ड को तोड़ते हुए लगा सकेंगे जीत की हैट्रिक ?

जमेशदपुर लोकसभा सीट पर 1957 से अब तक 18 बार चुनाव हुए हैं जिसमें 6 बार बीजेपी और 11 बार दूसरे दलों ने जीत दर्ज की है. इस लोकसभा सीट का अपना ही मिजाज है.लोकसभा चुनाव में मतदान से पहले NDTV की विशेष सीरीज Know Your Constituency में आज बात इसी जमशेदपुर लोकसभा सीट (Jamshedpur Lok Sabha seat) की

Lok Sabha Elections 2024: बात साल 2011 की है...मैं एक बड़े न्यूज चैनल के दफ्तर में अपने काम में डूबा था. तभी बरबस ही कुछ सीनियर्स की बातें मेरे कानों में पड़ी...वे कह रहे थे झारखंड के जमशेदपुर सीट(Jamshedpur Lok Sabha Seat) पर हो रहे उपचुनाव में जीत तो बीजेपी की ही होगी. उनका तर्क था एक तो ये सीट भगवा पार्टी का गढ़ है दूसरे यहां से तब के अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेशानंद गोस्वामी (Dineshananda Goswami)जैसा कद्दावर नेता खड़ा है. लेकिन मैं उनकी बातचीत के बीच में कूद पड़ा और कहा दिनेशानंद यहां से चुनाव हार रहे हैं और नई नवेली पार्टी झारखंड विकास मोर्चा के डॉ अजय कुमार जीत (Dr. Ajay Kumar) रहे हैं. तब मेरी बात पर किसी को भरोसा नहीं हुआ लेकिन जब नतीजे आए तो मैं सही साबित हुआ और अजय कुमार ने डेढ़ लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज की.दरअसल जमेशदपुर लोकसभा सीट पर 1957 से अब तक 18 बार चुनाव हुए हैं जिसमें 6 बार बीजेपी और 11 बार दूसरे दलों ने जीत दर्ज की है. इस लोकसभा सीट का अपना ही मिजाज है.लोकसभा चुनाव में मतदान से पहले NDTV की विशेष सीरीज Know Your Constituency में आज बात इसी जमशेदपुर लोकसभा सीट (Jamshedpur Lok Sabha seat) की...जहां के मौजूदा सांसद विद्युत वरण महतो के सामने एक रिकॉर्ड चुनौती बन कर खड़ा है- वो है इस सीट से कोई भी दो बार से ज्यादा सांसद नहीं रहा. 

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जमशेदपुर लोकसभा सीट के सियासी इतिहास पर तफ्सील से बात करेंगे लेकिन पहले ये जान लेते हैं कि आखिर खुद जमशेदपुर का इतिहास क्या है...क्योंकि अतीत के आइने में ही वर्तमान और फिर भविष्य दिखाई देगा. बात शुरू से शुरू करते हैं.. मुंबई के बड़े कारोबारी जमशेदजी नौसरवानजी टाटा भारत में पहले स्टील फैक्ट्री की स्थापना करना चाहते थे. इसके लिए माकूल जगह की तलाश में वे छत्तीसगढ़ से होते हुए झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के साकची नामक स्थान पर पहुंचे. सुवर्णरेखा और खरकई नदियों के संगम पर मौजूद ये जगह उन्हें अपनी फैक्ट्री के लिए बिल्कुल मुफीद लगी. इसी के बाद साकची नाम के इस इलाके में नींव पड़ी भारत के पहले औद्योगिक शहर जमशेदपुर की. ये साल था 1904...तब यहां दो गांव और भी थे- काशीडीह और माहुलबेड़ा.जहां आदिवासी समुदाय के लोग रहते थे. इसके बाद 1907 में शहर की स्थापना हुई और 1912 में पहले स्टील प्लेट का उत्पादन हुआ. साल 1919 में तब के लॉर्ड चेम्सफोर्ड ने जमशेदजी नौसरवानजी टाटा (Jamsetji Nausarwanji Tata) के सम्मान में शहर का नाम साकची से बदलकर जमशेदपुर कर दिया. जेएन टाटा के निर्देश पर तब भारत के ऐसे पहले प्लान सिटी की स्थापना हुई जहां रहने वालों को सभी तरह की बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हो सके. तब शहर का नक्शा अमेरिका से आए इंजीनियर जूलिन कैनेडी साहलिन ने तैयार किया था. अब इस शहर में टाटा घराने की टिस्को,टाटा मोटर्स,टिस्कॉन,टिन्पलेट, टाटा टिमकन औऱ ट्यूब डिवीजन जैसी बड़ी कंपनियां मौजूद हैं. इस शहर में आप जब घूमेंगे तो आपको थोड़ी-थोड़ी दूर पर कोई न कोई ऐसा कारखाना मिल जाएगा जिसका देश ही नहीं विदेश तक कारोबार फैला है. यहां 1958 में ही 225 एकड़ इलाके में फैले जुबली पार्क का उद्घाटन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने  किया था.  

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अब देश के इस पहले औद्योगिक नगरी की डेमोग्राफी पर भी बात कर लेते हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में बहरागोड़ा, घाटशिला, पोटका, जुगसलाई, जमशेदपुर पुर्वी और जमशेदपुर पश्चिमी विधानसभा सीटें शामिल हैं. इन छह विधानसभा सीटों में से 4 पर झामुमो, एक पर कांग्रेस और एक पर निर्दलीय विधायक हैं. साल 2019 के डाटा के मुताबिक इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 11 लाख 44 हजार 226 है. कुल आबादी की बात करें तो 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की जनसंख्या 22 लाख 93 हजार 919 है. यहां की लगभग 44.44 फीसदी आबादी गावों में रहती है, जबकि 55.56 फीसदी आबादी शहर में रहती है. यहां एसटी समुदाय की आबादी 28.51 प्रतिशत है. 

इस लोकसभा सीट पर पहली बार 1957 में चुनाव हुआ था तब कांग्रेस के मोहिन्द्र कुमार घोष यहां से जीतकर संसद पहुंचे थे लेकिन मजदूरों का शहर होने की वजह से अगले ही चुनाव में यानी 1962 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उदयशंकर मिश्र ने यहां जीत दर्ज कर ली. हालांकि  1967 में कांग्रेस के एससी प्रसाद और 1971 में सरदार स्वर्ण सिंह सोखी यहां से सांसद चुने गए.
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1977 और 1980में जनता पार्टी के रूद्र प्रताप सारंगी यहां से लगातार दो बार सांसद बने. इसके बाद 1984 में मशहूर मजदूर नेता गोपेश्वर ने कांग्रेस के टिकट पर यहां जीत हासिल की.1989 और 1991 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के शैलेन्द्र महतो ने इस सीट पर परचम लहराया. वहीं 1996 में बीआर चोपड़ा के महाभारत में श्रीकृष्ण का किरदार निभाने वाले कलाकार नीतीश भारद्वाज भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरे और सांसद चुने गए. इसके बाद यहां अगला चुनाव 1998 और 1999 में लगातार दो साल हुए...जिसमें भाजपा की ओर से शैलेन्द्र महतो की पत्नी आभा महतो विजयी रहीं. हालांकि 2004 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुनील महतो और 2007 के उपचुनाव में सुमन महतो यहां से सांसद चुनी गईं. इसके बाद 2009 में बीजेपी के अर्जुन मुंडा यहां से सांसद चुने गए. 2011 में हुए उपचुनाव में झारखंड विकास मोर्चा के अजय कुमार ने इस सीट पर कब्जा जमाया. इसके बाद 2014 और 2019 के चुनावों में यहां से बीजेपी के विद्युत वरण महतो लगातार दो बार सांसद चुने गए. यहां एक बात गौर करने वाली है कि जमशेदपुर लोकसभा सीट से अब तक कोई उम्मीदवार दो बार से अधिक नहीं चुना गया. इसके अलावा साल 1996 से ही इस सीट पर बीजेपी का दबदबा रहा है. प्रमुख औद्योगिक नगरी होने की वजह से इसकी गिनती झारखंड की वीआईपी सीटों में होती है. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या विदु्यत वरण महतो पुराने रिकॉर्ड को तोड़ते हुए हैट्रिक का रिकॉर्ड बना सकते हैं या एकजुट विपक्ष उन पर भारी पड़ेगा?
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