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उपराष्ट्रपति चुनाव FAQ: कैसे होगी वोटिंग, कब आएंगे नतीजे; इस एक गलती पर भी रद्द हो सकता है वोट

17वां उपराष्ट्रपति चुनने के लिए 9 सितंबर मंगलवार को वोटिंग होगी. एनडीए की तरफ से सीपी राधाकृष्णन और विपक्षी गठबंधन की ओर से उम्मीदवार पी सुदर्शन रेड्डी मैदान में हैं. जानें चुनाव से जुड़े सभी सवालों के जवाब (FAQ)-

उपराष्ट्रपति चुनाव FAQ: कैसे होगी वोटिंग, कब आएंगे नतीजे; इस एक गलती पर भी रद्द हो सकता है वोट
नई दिल्ली:

भारत में उपराष्ट्रपति का पद राष्ट्रपति के बाद, देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है. 17वां उपराष्ट्रपति चुनने के लिए 9 सितंबर मंगलवार को वोटिंग होगी. एनडीए की तरफ से सीपी राधाकृष्णन और विपक्षी गठबंधन की ओर से उम्मीदवार पी सुदर्शन रेड्डी मैदान में हैं. मंगलवार को ही गिनती के बाद विजेता के नाम का ऐलान हो जाएगा. जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से 21 जुलाई को अचानक इस्तीफे से यह चुनाव कराया जा रहा है. उपराष्ट्रपति चुनाव कैसे होता है, कौन वोट डालता है, क्या दूसरे पक्ष के उम्मीदवार को वोट डालने पर दल-बदल विरोधी कानून में कार्रवाई होती है? इसी तरह के सभी सवालों के जवाब (FAQ) आपको यहां मिलेंगे.

वोटिंग कैसे होगी, रिजल्ट कब आएगा?

इस बार उपराष्ट्रपति चुनाव में दो उम्मीदवार हैं. वोटिंग के लिए राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी को रिटर्निंग ऑफिसर बनाया गया है. मतदान संसद भवन के कमरा नंबर एफ-101, वसुधा में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक होगा. वोटिंग खत्‍म होने के एक घंटे बाद शाम 6 बजे वोटों की गिनती शुरू होगी और रिजल्‍ट घोषित किया जाएगा. 

कौन-कौन वोट डाल सकता है?

उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में संसद के दोनों सदनों- राज्‍यसभा और लोकसभा के सदस्य वोट डालते हैं. राज्यसभा के नामित सदस्य भी मतदान के पात्र होते हैं. 17वें उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में राज्यसभा के 233 निर्वाचित सदस्य (अभी 5 सीटें खाली), राज्यसभा के 12 मनोनीत सदस्य और लोकसभा के 543 निर्वाचित सदस्य (अभी एक सीट खाली) शामिल हैं. निर्वाचक मंडल में कुल 788 सदस्य (वर्तमान में 781) हैं.

उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग होती कैसे है?

उपराष्ट्रपति चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व तरीके से होता है. मतदान गुप्त तरीके से सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम के जरिए होता है. मतपत्र सफेद रंग के होते हैं, जिसमें दो कॉलम रहते हैं. एक कॉलम में हिंदी और इंग्लिश में उम्मीदवारों के नाम और दूसरे कॉलम में वोट देने के लिए जगह खाली रहती है. खाली जगह पर वोटरों को अपनी प्राथमिकता 1,2... के रूप में दर्ज करनी होती है. ये हिंदी या अंग्रेजी में हो सकते हैं.

डाक से या अन्य तरीके से वोट डाल सकते हैं?

उपराष्ट्रपति चुनाव में इसकी अनुमति नहीं होती. निर्वाचक मंडल के सदस्यों को खुद हाजिर होकर गुप्त वोट डालना होता है. वोट डालते समय किसी की सहायता नहीं ले सकते. अगर कोई सांसद प्रिवेंटिव डिटेंशन में हों, तभी डाक से अपना वोट डाल सकते हैं. मौजूदा चुनाव में शेख अब्दुल रशीद (बारामूला) और अमृतपाल सिंह (खडूर साहिब) पोस्टल बैलट के लिए पात्र हैं क्योंकि ये दोनों जेल में हैं. 

वोटों की गिनती कैसे होती है?

  • जितने भी वोट डाले जाते हैं, उनमें सबसे पहले वैध मत छांटे जाते हैं.  
  • उसके बाद, वैध मतों में पहली प्रायोरिटी वाले वोटों को गिना जाता है. 
  • यदि कोई उम्मीदवार को कुल वैध मतों के 50% से अधिक वोट मिल जाते हैं तो उसे विजयी मान लिया जाता है.
  • अगर पहले राउंड में किसी को बहुमत नहीं मिलता तो सबसे कम वोट वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है. 
  • उसके वोटों को अगली प्राथमिकता के अनुसार दूसरे उम्मीदवारों को ट्रांसफर किया जाता है. 
  • यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है, जब तक किसी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिल जाता.

क्या दल-बदल कानून लागू होता है?

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव किसी पार्टी सिंबल पर नहीं लड़ा जाता. इस कारण कोई भी पार्टी व्हिप जारी नहीं करती है. इसकी वजह से सदस्य अपने मन मुताबिक किसी को भी वोट दे सकते हैं. ऐसे में दल-बदल विरोधी कानून के प्रावधान इसमें लागू नहीं होते.

मतपत्र किन आधार पर खारिज हो सकते हैं?

  • उम्मीदवार के आगे वरीयता (1) नहीं लिखी हो
  • एक से ज्यादा उम्मीदवारों के आगे प्रायोरिटी 1 लिखी हो.
  • वरीयता संदिग्ध तरीके से लिखी हो. ये पता न चले कि किस कैंडिडेट के लिए है. 
  • एक ही कैंडिडेट के आगे अंक 1 या कुछ अन्य नंबर लिख दिए हों
  • ऐसा कोई चिह्न बनाया हो, जिससे किसने डाला, ये पता चलता हो
  • वरीयता 1,2... नंबरों के बजाय एक, दो.. या प्रथम, द्वितीय जैसे हिंदी अंग्रेजी में लिखी हो. 
  • डाक मतपत्र पर अगर सदस्य के दस्तखत और उसके साथ सर्टिफिकेट न लगा हो. सर्टिफिकेट पर जेल या कस्टडी वाली जगह के प्रभारी के दस्तखत न हों. 

क्या इस चुनाव में भी जमानत जब्त हो जाती है?

हां, उपराष्ट्रपति चुनाव में भी जमानत जब्त होने का प्रावधान है. अगर किसी उम्मीदवार को वैलिड वोटों के छठे हिस्से से भी कम वोट मिलते हैं तो उसकी 15 हजार रुपये की प्रतिभूति राशि को जब्त कर लिया जाता है. अन्य मामलों में जमानत राशि वापस मिल जाती है. 

क्या उपराष्ट्रपति चुनाव को चुनौती दी जा सकती है?

हां. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर सवाल उठाया जा सकता है. याचिका किसी उम्मीदवार या फिर निर्वाचक मंडल के 10 व उससे ज्यादा सदस्यों द्वारा दी जा सकती है. नतीजों को चुनौती सिर्फ 30 दिन के अंदर ही दी जा सकती है. 

उपराष्ट्रपति का चुनाव कौन लड़ सकता है?

  • भारत का नागरिक होना चाहिए. 
  • उम्र 35 साल से अधिक होनी चाहिए.
  • संसदीय चुनाव में वोट डालने के लिए वोटर लिस्ट में नाम दर्ज हो.
  • राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए पात्र हो.
  • केंद्र, राज्य या किसी भी सरकार के तहत, किसी भी स्थानीय या अन्य प्राधिकरण के अधीन किसी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए. 
  • राज्यों के राज्यपाल, केंद्र या राज्यों के मंत्री इसके लिए लाभ के पद नहीं माने जाते हैं. 
  • पर्चा भरने के लिए 20 निर्वाचकों, 20 अनुमोदकों के दस्तखत वाला पत्र रिटर्निंग अधिकारी को देना होता है. 15 हजार रुपये की जमानत राशि भी जमा करानी होती है.

उपराष्ट्रपति को कितनी सैलरी मिलती है?

उपराष्ट्रपति को सीधे तौर पर कोई नियमित वेतन नहीं मिलता. हालांकि संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा के पदेन सभापति की भूमिका के लिए उन्हें वेतन प्राप्त होता है. 2018 में हुए संशोधन के बाद, उपराष्ट्रपति को महीने में 4 लाख रुपये वेतन मिलता है. इसके अलावा अन्य कई सुविधाएं भी मिलती हैं. 

उपराष्ट्रपति को सुविधाएं क्या-क्या मिलती हैं?

उपराष्ट्रपति को एक बड़ा और सुंदर मुफ्त आवास मिलता है. दैनिक भत्ता, ट्रैवल अलाउंस, रेल व हवाई यात्रा, लैंडलाइन फोन, मोबाइल फोन समेत कई सुविधाएं दी जाती हैं. उपराष्ट्रपति और उनके परिवार को मुफ्त मेडिकल सुविधाएं मिलती हैं. 24 घंटे हाई सिक्योरिटी के लिए बड़ा स्टाफ मिलता है. प्राइवेट सेक्रेटरी और अन्य कर्मचारी भी दिए जाते हैं. रिटायरमेंट के बाद, वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता है.

रिटायरमेंट पर क्या सुविधाएं दी जाती हैं?

पूर्व उपराष्ट्रपति को लगभग दो लाख रुपये प्रति माह पेंशन मिलती है. इसके अलावा टाइप-8 बंगला, एक प्राइवेट सेक्रेटरी, एक अतिरिक्त निजी सचिव, एक निजी सहायक भी दिया जाता है. इसके अलावा एक डॉक्टर, एक नर्सिंग अधिकारी और चार निजी नर्स/अटेंडेट भी मिलते हैं. पूर्व उपराष्ट्रपति के निधन पर जीवनसाथी को आजीवन टाइप-7 आवास का अधिकार होता है.

NDA उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन का परिचय 

चंद्रपुर पोन्नुसामी राधाकृष्णन महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे हैं. वह लगभग डेढ़ साल तक झारखंड के राज्यपाल रह चुके हैं. इसके अलावा, तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाल चुके हैं. वह 2004 से 2007 तक तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष रहे. 2020 से 2022 तक केरल बीजेपी के अखिल भारतीय प्रभारी रहे. वह कोयंबटूर से दो बार सांसद रह चुके हैं. 2019 में दिए चुनावी हलफनामे के मुताबिक, पेशे से बिजनेसमैन राधाकृष्णन के पास 67 करोड़ रुपये की संपत्ति है. 

विपक्षी कैंडिडेट बी सुदर्शन रेड्डी को जानिए

8 जुलाई 1946 को आंध्र प्रदेश के रंगारेड्डी जिले के आकुला मायलावरम गांव में जन्मे बी सुदर्शन रेड्डी का जन्म किसान परिवार से हैं. उन्होंने हैदराबाद में पढ़ाई की. 1971 में उस्मानिया यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री लेकर वकालत भी की. 1988 से 1990 तक, उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में सरकारी वकील के तौर पर काम किया. कुछ समय के लिए केंद्र के अतिरिक्त स्थायी वकील भी बने. 1993-94 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष चुने गए. 2 मई 1995 को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के जज बने. 5 दिसंबर 2005 को उन्हें गुवाहाटी हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया. 12 जनवरी 2007 को सुप्रीम कोर्ट का जज चुना गया. 8 जुलाई 2011 को रिटायर हुए. साल 2013 में गोवा का लोकायुक्त नियुक्त किया गया, लेकिन निजी कारणों से 7 महीने में ही इस्तीफा दे दिया.

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