
- ED ने इंदौर में डब्बा ट्रेडिंग और ऑनलाइन सट्टेबाजी केस में 34 करोड़ की संपत्तियां अस्थायी रूप से अटैच की हैं.
- आरोपियों ने कई फर्जी प्लेटफॉर्म और कंपनियां चलाकर गैरकानूनी डब्बा ट्रेडिंग और ऑनलाइन बेटिंग करवाई थी.
- निवेशकों से जमा पैसा म्यूल बैंक अकाउंट्स, हवाला नेटवर्क और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए इधर-उधर किया गया था.
देशभर में ऑनलाइन सट्टेबाजों पर लगातार शिकंजा कसा जा रहा है. प्रवर्तन निदेशालय ने इंदौर में डब्बा ट्रेडिंग केस में 34 करोड़ की चल-अचल संपत्तियां अस्थायी तौर पर अटैच (Indore Dabba Trading Case) की हैं. यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत की गई है. जिन लोगों की संपत्तियां अटैच की गई हैं उनमें विशाल अग्निहोत्री, तरुण श्रीवास्तव, हितेश अग्रवाल, धर्मेश त्रिवेदी, श्रीनिवासन रामासामी, करण सोलंकी, धवल जैन और उनके परिवार के सदस्य शामिल हैं. यह मामला डब्बा ट्रेडिंग और ऑनलाइन सट्टेबाजी से जुड़ा है.
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ED ने जांच की शुरुआत इंदौर के लसूड़िया थाने में दर्ज FIR के आधार पर की थी. जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने कई फर्जी प्लेटफॉर्म और कंपनियां चलाईं. इन प्लेटफॉर्म्स के जरिए गैरकानूनी डब्बा ट्रेडिंग और ऑनलाइन बेटिंग करवाई जा रही थी.
फर्जी कंपनियों के नाम
- V Money/VM Trading (M/s Standard Trades Ltd)
- 11Starss
- Lotusbook247
- 8 Stock Heights
- Goldmine
- Vertex
- Gamebetleague
- iBull Capital Ltd
- Playbook
- TargetFX
- World777
पैसों का हेरफेर कैसे हुआ?
निवेशकों और खिलाड़ियों से इकट्ठा पैसा म्यूल बैंक अकाउंट्स, हवाला नेटवर्क और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए इधर-उधर किया गया. इस मामले में दिसंबर 2024, जून और जुलाई 2025 में इंदौर, भोपाल, मुंबई, चेन्नई और अहमदाबाद में छापेमारी की गई थी. इसमें बड़ी मात्रा में डिजिटल डिवाइस, रिकॉर्ड्स, नकदी, सोना-चांदी और क्रिप्टोकरेंसी जब्त हुई थी. पूछताछ में साफ हुआ कि जुटाई गई रकम से आरोपियों और उनके परिवार के नाम पर संपत्तियां खरीदी गईं.
पहले भी जब्त हुई थी बड़ी रकम
इससे पहले ED ने 24.13 करोड़ की रकम जब्त/फ्रीज की थी, जिसमें कैश, लग्जरी घड़ियां, सोना-हीरे के गहने, बैंक अकाउंट्स और डिमैट होल्डिंग्स शामिल थे. अब तक इस केस में कुल जब्त और अटैच की गई रकम 58.39 करोड़ पहुंच गई है.
ऑनलाइन बेटिंग के जरिए करोड़ों की ठगी
ED का कहना है कि इस मामले की जांच अभी जारी है और और भी लेन-देन और संपत्तियों की तलाश की जा रही है. यह केस दिखाता है कि किस तरह डब्बा ट्रेडिंग और ऑनलाइन बेटिंग के जरिए लोगों से करोड़ों की ठगी की जाती है और फिर उस पैसे को हवाला और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए सफेद बनाया जाता है.
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