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This Article is From May 11, 2016

इससे पहले भी राज्य सरकारों को दखल से बचाया है सुप्रीम कोर्ट ने...

इससे पहले भी राज्य सरकारों को दखल से बचाया है सुप्रीम कोर्ट ने...
नई दिल्ली: उत्तराखंड में राजनीतिक घमासान जारी है और सुप्रीम कोर्ट आज विधानसभा में हुए शक्ति परीक्षण का परिणाम देश को बताएगा। इस पर कोर्ट अपने आदेश भी दे सकता है। राज्य में शक्ति परीक्षण के समय को छोड़कर फिर राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है। राज्य में संवैधानिक व्यवस्था के चरमराने का आरोप लगाते हुए केंद्र ने राष्ट्रपति शासन लगा दिया था।

बता दें कि यह तीसरी बार होगा जब कोर्ट के दखल के बाद राज्यों में शक्ति परीक्षण कराया गया है और जिसने जीत हासिल की उसे सीएम की कुर्सी पर नियमानुसार बिठाया गया।

सबसे पहले 1998 में यह किया गया था
कोर्ट ने सबसे पहले 1998 में यह किया था जब उत्तर प्रदेश की कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त कर दिया गया था और तत्कालीन राज्यपाल ने लोकतांत्रिक कांग्रेस पार्टी के नेता जगदंबिका पाल को राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया था। तब कोर्ट की निगरानी में राज्य विधानसभा में शक्ति परीक्षण करवाया गया था और कल्याण सिंह ने अपना बहुमत साबित किया था और उन्हें फिर मुख्यमंत्री पद मिला था।

मार्च 2005 में झारखंड में
इसी तरह मार्च 2005 में झारखंड में राज्यपाल ने शीबू सोरेन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था। ऐसे में देश की सर्वोच्च अदालत ने यह तय करने के लिए शक्ति परीक्षण करने का आदेश दिया था कि शीबू सोरेन और अर्जुन मुंडा में किसके पास बहुमत है। शीबू सोरेन बहुमत साबित करने में नाकाम रहे थे और उन्होंने इस्तीफा दिया। बाद में अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री पद मिला था।

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