यूपी के तमाम जिलों किसानों को यूरिया खाद मिलने में दिक्कत आ रही है. जिसकी वजह से खाद बिक्री केंद्रों पर भारी भीड़ है. कुछ जगहों पर खाद पहुंची ही नहीं है तो तमाम जगह कई-कई दिन बाद मिल रही है. सरकार का कहना है कि इस बार पिछले साल से काफी ज्यादा खाद उपलब्ध है.
बाराबंकी के एक खाद बिक्री केंद्र पर किसानों का हुजूम है. कुछ आज आए तो कई ऐसे हैं जो कई-कई दिन से आते और लौट जाते हैं, पर यूरिया नहीं पा सके. लेकिन खाद पा जाने की उम्मीद में जमे हैं. खाद के लिए मसौली गांव की उषा देवी अपने 3 महीने के बच्चे के साथ लाइन में लगी हैं.
उनसे बात करने पर उन्होंने बताया कि भीड़ बहुत है. कहने लगे लाइन बनाओ, कल तबियत खराब हो गई थी तो लौट गए थे. आज फिर आए हैं. अपने छोटे बच्चे को लेकर महिला ने कहा, ''भैया क्या करें, मेरे आदमी का ऑपरेशन हुआ है.''
सोनभद्र के दुद्धि इलाके के सारे खाद बिक्री केंद्र पर कई दिनों से भारी भीड़ है. इस इलाके में करीब 70 फीसद आदिवासी रहते हैं. यूरिया ना मिलने पर वे कई-कई दिन यहां चक्कर लगाते रहे हैं. खाद भले ना हो लेकिन भीड़ इतनी है, मानो खाद मुफ्त बंट रही हो.
सोनभद्र के एक किसान ने बताया कि खाद पूरी तरह से मिल नहीं पा रही है. पब्लिक पेरशान है. एक-एक किलो भी नहीं मिल पा रहा है. यहां काला बाजारी हो रही है.
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अमेठी में तो यूरिया की कालाबाजारी के खिलाफ खाद बिक्री केंद्र पर स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन भी किया. किसानों की बिक्री केंद्रों पर भीड़ है. खाद ना मिलने पर वे कर्मचारियों से उलझते दिखते हैं.
यूपी में धान की फसल की रोपाई करीब महीने-ढेड़ महीने पहले हो गई है. अच्छी बारिश होने से फसल अच्छी होने की उम्मीद है. अब उसे खाद की जरूरत है. यूरिया की ज्यादा मांग की वजह उसका सस्ता होना भी है. यहां के एक किसान का कहना है कि अच्छे मानसून के कारण धान की बुवाई ज्यादा हुई है. इसके साथ-साथ यूरिया का रेट काफी काम है. आप यह समझिए कि 266 रुपए 50 पैसे में यूरिया मिलती है और जो हमारी डीएपी की बोरी है वो 1150 रुपए की है. एनपीके की बोरी 1100 की है.
लेकिन सरकार कहती है कि खाद पहले से बहुत ज्यादा उपलब्ध है. इसलिए खाद की किल्लत नहीं होगी. यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही का कहना है कि राज्य में इस तरह से कही किल्लत नहीं है. जहां कठिनाइयां हैं, उनका समाधान हम कर रहे हैं.
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