नई दिल्ली:
भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) की अधिकारी नंदिनी के. आर ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा, 2016 में पहली रैंक हासिल की है. इस परीक्षा के अंतिम परिणाम बुधवार को घोषित किए गए. नंदिनी अभी फरीदाबाद स्थित राष्ट्रीय सीमा-शुल्क, उत्पाद शुल्क एवं नारकोटिक्स अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं. वह मूल रूप से कर्नाटक के कोलार जिले की रहने वाली हैं. नंदिनी ने बताया कि आईएएस अधिकारी बनना हमेशा से उनका सपना था. उन्होंने कहा कि यह सपने के साकार होने जैसा है. यह उनका चौथा प्रयास था. साल 2014 की सिविल सेवा परीक्षा में भी वह सफल हुई थीं और उन्हें भारतीय राजस्व सेवा (सीमा शुल्क एवं केंद्रीय उत्पाद शुल्क) आवंटित किया गया था.
नंदिनी के उनके पिता सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं और मां गृहिणी हैं. सिविल परीक्षा की तैयारी के बारे में नंदिनी ने कहा कि उन्होंने कभी घंटे के हिसाब से पढ़ाई नहीं की, बल्कि एक निश्चित लक्ष्य बनाकर पढ़ाई करती थीं. उन्होंने कहा कि उनकी सफलता में परिवार का भी पूरा सहयोग रहा. किसी भी कठिनाई के वक्त परिवार मेरे साथ मजबूती से खड़ा रहा.
नंदिनी ने सिविल सेवा परीक्षा में कन्नड़ साहित्य को वैकल्पिक विषय के तौर पर चुना था. उनका कहना है कि सब्जेक्ट भले ही कोई भी हो, तैयारी अच्छी हो तो सफलता निश्चित रूप से मिल सकती है. सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को नंदिनी ने सलाह दी कि अगर प्रयास को हमेशा जारी रखा जाए, तो सफलता जरूर मिलती है.
जब नंदिनी से पूछा गया कि जो लोग लड़कियों को बोझ मानते हैं उनके लिए क्या संदेश है, जवाब देते हुए नंदिनी ने कहा लड़की और लड़कों में कोई फर्क नहीं करना चाहिए. अगर आप दोनों को मौका देते हैं तो आप देख सकते हैं लड़की कितना आगे निकल सकते हैं, जो देश के लिए भी अच्छा है. नंदिनी ने अपनी सफलता का श्रेय पूरे समाज के साथ-साथ अपने परिवार को दिया. नंदिनी ने कहा, उन्होंने एग्जाम में तो अच्छा किया, लेकिन उम्मीद नहीं कर रही थीं कि वह टॉप कर जाएंगी. नंदिनी ने बताया कि सबसे पहले उनके दोस्तों ने बताया कि उन्होंने टॉप किया है, लेकिन उनको लगा कि दोस्त मजाक कर रहे हैं, क्योंकि पहले भी ऐसे मजाक कर चुके थे, लेकिन इस बार यह सच निकाला. नंदिनी ने कहा कि आप किस बैकग्राउंड से हैं, कोई फर्क नहीं पड़ता. अपने लक्ष्य को सामने रखकर पूरे डेडिकेशन के साथ तैयारी करनी चाहिए,अपने ऊपर भरोसा होना चाहिए.
नंदिनी के उनके पिता सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं और मां गृहिणी हैं. सिविल परीक्षा की तैयारी के बारे में नंदिनी ने कहा कि उन्होंने कभी घंटे के हिसाब से पढ़ाई नहीं की, बल्कि एक निश्चित लक्ष्य बनाकर पढ़ाई करती थीं. उन्होंने कहा कि उनकी सफलता में परिवार का भी पूरा सहयोग रहा. किसी भी कठिनाई के वक्त परिवार मेरे साथ मजबूती से खड़ा रहा.
नंदिनी ने सिविल सेवा परीक्षा में कन्नड़ साहित्य को वैकल्पिक विषय के तौर पर चुना था. उनका कहना है कि सब्जेक्ट भले ही कोई भी हो, तैयारी अच्छी हो तो सफलता निश्चित रूप से मिल सकती है. सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को नंदिनी ने सलाह दी कि अगर प्रयास को हमेशा जारी रखा जाए, तो सफलता जरूर मिलती है.
जब नंदिनी से पूछा गया कि जो लोग लड़कियों को बोझ मानते हैं उनके लिए क्या संदेश है, जवाब देते हुए नंदिनी ने कहा लड़की और लड़कों में कोई फर्क नहीं करना चाहिए. अगर आप दोनों को मौका देते हैं तो आप देख सकते हैं लड़की कितना आगे निकल सकते हैं, जो देश के लिए भी अच्छा है. नंदिनी ने अपनी सफलता का श्रेय पूरे समाज के साथ-साथ अपने परिवार को दिया. नंदिनी ने कहा, उन्होंने एग्जाम में तो अच्छा किया, लेकिन उम्मीद नहीं कर रही थीं कि वह टॉप कर जाएंगी. नंदिनी ने बताया कि सबसे पहले उनके दोस्तों ने बताया कि उन्होंने टॉप किया है, लेकिन उनको लगा कि दोस्त मजाक कर रहे हैं, क्योंकि पहले भी ऐसे मजाक कर चुके थे, लेकिन इस बार यह सच निकाला. नंदिनी ने कहा कि आप किस बैकग्राउंड से हैं, कोई फर्क नहीं पड़ता. अपने लक्ष्य को सामने रखकर पूरे डेडिकेशन के साथ तैयारी करनी चाहिए,अपने ऊपर भरोसा होना चाहिए.
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