आज संसद के सत्र में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकाअर्जुन खरगे के बयान पर संसद में जमकर हंगामा हो रहा है. बीजेपी कांग्रेस अध्यक्ष के बयान पर उनसे माफी की मांग कर रही है. हालांकि मल्लिकाअर्जुन खरगे ने अपने बयान पर माफी मांगने से साफ इंकार करते हुए कहा कि मैं अभी भी अपने बयान पर कायम हूं. बीते दिन ही कांग्रेस के दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने आजादी में बीजेपी की भूमिका पर एक बयान दिया था, जो कि अब विवादों में आ गया. नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता खरगे ने कहा कि उन्होंने जो कहा सदन के बाहर कहा.
इसके बावजूद सत्ता पक्ष के सांसद लगातार हंगामा कर रहे थे. वो माफी की मांग कर रहे थे. हंगामे की वजह से लोकसभा की कार्यवाही 11.30 तक स्थगित कर दी गई. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने खरगे की भाषा अभद्र बताया. अलवर के मालाखेड़ा में सोमवार को हुई जनसभा में कांग्रेस के दिग्गज नेता खरगे ने कहा कि 'हमने (कांग्रेस पार्टी) ने देश को आजादी दिलाई और देश की एकता के लिए इंदिरा और राजीव गांधी ने अपनी जान की कुर्बानी दी. उन्होंने बीजेपी से सवाल करते हुए कहा कि हमारे पार्टी के नेताओं ने अपनी जान दी, आपने क्या किया? आपके घर में कोई देश के लिए कुत्ता तक मरा है? क्या(किसी ने) कोई कुर्बानी दी है?'.
इसी के साथ उन्होंने कहा कि बीजेपी अपने आप को बहुत देशभक्त बताती है और हम जब कुछ भी बोलें तो हमें देशद्रोही करार कर देती है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में ऐसी ही स्थिति है, देश का हाल यही हो रहा है. इस दौरान वह बीजेपी पर जमकर बरसे. उनके इसी बयान पर संसद को दोनों सदनों में जमकर हंगामा हो रहा है. एक तरफ जहां बीजेपी खरगे के मुद्दे पर विपक्ष पर हमलावर हो रही है. वहीं संसद की अब तक की कार्यवाही में विपक्ष चीन के मुद्दे पर बहस को लेकर सरकार को घेरने में लगी है, जिससे सरकार बचती नजर आ रही है.
केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कांग्रेस के अध्यक्ष ने जिस तरह की भाषा अलवर में प्रयोग की, मैं उसकी घोर निंदा करता हूं. यह ओरिजिनल कांग्रेस नहीं है यह गलत कहते हैं कि आजादी की लड़ाई में केवल कांग्रेस थी आजादी के बाद गांधी जी ने खुद कहा था कि कांग्रेस को खत्म कर देना चाहिए. ये कांग्रेस असली कांग्रेस नही है ये इटेलियन कांग्रेस है, ये रबर स्टैम्प अध्यक्ष है जो नकली नेता है, उनका बयान गंदी सोच को दिखाता हैं. हम उनके बयान की निंदा करते हैं. सबको पता है कि कांग्रेस ने सुभाष चंद्र बोस और तिलक जैसे नेताओं के साथ कैसे व्यवहार किया है.
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