केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा (फाइल फोटो)
पटना:
केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री और रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने कॉलेजियम प्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए कॉलेजियम को लोकतंत्र के लिए 'धब्बा' बताया है. मंगलवार को पटना में एक कार्यक्रम में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि कॉलेजियम प्रणाली योग्यता को अनदेखा करता है और यह हमारे लोकतंत्र पर एक धब्बा है.
वर्तमान कोलेजियम व्यवस्था पूर्ण व्यवस्था नहीं : कुशवाहा
पटना में एक कार्यक्रम के दौरान उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि 'लोग आरक्षण का विरोध करते हैं. कहते हैं कि यह योग्यता को अनदेखा करता है मगर मुझे लगता है कि कॉलेजियम योग्यता को अनदेखा करता है. एक चाय बेचने वाला पीएम बन सकता है, एक मछुआरे का बच्चा वैज्ञानिक बन सकता है और बाद में राष्ट्रपति बन सकता है, लेकिन क्या एक नौकरानी का बच्चा न्यायाधीश बन सकता है? कॉलेजियम हमारे लोकतंत्र पर एक धब्बा है.'
ऐसा नहीं है कि पहली बार केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री और रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने कॉलेजियम प्रणाली पर सवाल खड़े किये हों. इससे पहले भी उन्होंने कहा था कि न्यायालय में नियुक्ति से जुड़ी वर्तमान कोलेजियम व्यवस्था पूर्ण व्यवस्था नहीं है क्योंकि यह देश के सभी लोगों को अवसर नहीं दे पा रही है. उन्होंने कहा कि हम ‘‘सबके लिए अवसर’’ की बात कर रहे हैं जो आज की यह व्यवस्था नहीं दे पा रही है.कुशवाहा ने कहा कि न्याय होना ही काफी नहीं, यह हो रहा है, यह भी दिखना जरूरी है, तभी लोगों का भरोसा बढेगा.
VIDEO: बिहार NDA में दरार!
वर्तमान कोलेजियम व्यवस्था पूर्ण व्यवस्था नहीं : कुशवाहा
पटना में एक कार्यक्रम के दौरान उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि 'लोग आरक्षण का विरोध करते हैं. कहते हैं कि यह योग्यता को अनदेखा करता है मगर मुझे लगता है कि कॉलेजियम योग्यता को अनदेखा करता है. एक चाय बेचने वाला पीएम बन सकता है, एक मछुआरे का बच्चा वैज्ञानिक बन सकता है और बाद में राष्ट्रपति बन सकता है, लेकिन क्या एक नौकरानी का बच्चा न्यायाधीश बन सकता है? कॉलेजियम हमारे लोकतंत्र पर एक धब्बा है.'
केंद्रीय मंत्री कुशवाहा ने आगे कहा कि 'वर्तमान में न्यायपालिक के रूख के मुताबिक, जज अऩ्य जजों की नियुक्ति नहीं करते हैं, वास्तव में वे अपने उत्तराधिकारी नियुक्त करते हैं. वे ऐसा क्यों करते हैं? उत्तराधिकारी चुनने के लिए यह प्रणाली क्यों बनाई गई है?'People oppose reservation, say it ignores merit but I think collegium ignores merit. A tea-seller can become PM, fisherman's child can become scientist&later President but can a maid's child become judge? Collegium's a blot on our democracy: U Kushwaha, MoS (HRD) in Patna (05.06) pic.twitter.com/FcsLBpXO9O
— ANI (@ANI) June 6, 2018
ऐसा नहीं है कि पहली बार केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री और रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने कॉलेजियम प्रणाली पर सवाल खड़े किये हों. इससे पहले भी उन्होंने कहा था कि न्यायालय में नियुक्ति से जुड़ी वर्तमान कोलेजियम व्यवस्था पूर्ण व्यवस्था नहीं है क्योंकि यह देश के सभी लोगों को अवसर नहीं दे पा रही है. उन्होंने कहा कि हम ‘‘सबके लिए अवसर’’ की बात कर रहे हैं जो आज की यह व्यवस्था नहीं दे पा रही है.कुशवाहा ने कहा कि न्याय होना ही काफी नहीं, यह हो रहा है, यह भी दिखना जरूरी है, तभी लोगों का भरोसा बढेगा.
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