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This Article is From Apr 09, 2013

कोलकाता में केंद्र पर बरसे मोदी, कहा- अपाहिज सरकार गिन रही है आखिरी घड़ियां

कोलकाता: कुछ दिन पहले देश की राजधानी के प्रमुख कॉलेज के छात्र-छात्राओं को, फिर सोमवार को देश की महिला उद्यमियों को अपने संबोधन से मंत्रमुग्ध कर देने वाले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ओर केंद्र की यूपीए सरकार और राज्य में 30 वर्ष से भी अधिक समय तक सत्ता में रहे वामपंथियों को जमकर लताड़ा, वहीं राज्य में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली मौजूदा तृणमूल कांग्रेस की सरकार की प्रशंसा भी की।

मंगलवार को कोलकाता में पश्चिम बंगाल के तीन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित कार्यक्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार उधार के समय पर चल रही है। उन्होंने कहा, ''यह (यूपीए सरकार) कैलेंडर नहीं, घड़ी देख रहे हैं, और आखिरी घड़ियां गिन रहे हैं।''

नरेंद्र मोदी ने केंद्र पर गैर-कांग्रेस शासित राज्यों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि एनडीए की वाजपेयी सरकार के दौरान पश्चिम बंगाल ने कभी यह नहीं कहा कि उसके साथ भेदभाव किया जा रहा है, जबकि अब उन्हें पश्चिम बंगाल में यही होता दिख रहा है। उन्होंने कहा, ''यूपीए सरकार के पास किसी भी सरकार के साथ भेदभाव करने का हक नहीं है। अब कांग्रेस और गैर-कांग्रेसी राज्यों के बीच पक्षपात के आरोप हैं।''

मोदी की यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आरोपों की पृष्ठभूमि में आई है, जिसमें उन्होंने केंद्र पर राज्य की 'आर्थिक नाकाबंदी' करने का आरोप लगाया था। ममता के केंद्र सरकार द्वारा गैर-कांग्रेसी राज्यों के साथ पक्षपात करने के आरोपों में सुर मिलाते हुए मोदी ने कहा कि यूपीए सरकार का रवैया देश के संघीय ढांचे को कमजोर करने वाला है।

गुजरात के मुख्यमंत्री ने पश्चिम बंगाल में पूर्ववर्ती वाममोर्चा सरकार की भी आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने (वामपंथियों ने) 32 वर्ष के अपने शासन के दौरान गड्ढे खोद डाले। मोदी ने दावा किया, ''कांग्रेस ने गुजरात में जो हालात पैदा किए, उसे सही करने में और गडढों को भरने में मुझे 10 साल लगे।'' इसी संदर्भ में उन्होंने तृणमूल सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, ''पश्चिम बंगाल में वामदलों द्वारा 32 वर्ष के कुशासन के दौरान खोदे गए गड्ढों को भरने में कई साल लग जाएंगे।'' हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि पश्चिम बंगाल की सरकार लोगों के सपनों को पूरा करेगी।

बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार माने जा रहे नरेंद्र मोदी ने केंद्र सरकार पर नीतिगत जड़ता का भी आरोप लगाया और दावा किया कि यह इटालियन नौसैनिकों, बांग्लादेशी व पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा भारतीय सैनिकों का सिर कलम करने समेत कई मुद्दों पर लड़खड़ाती नजर आ रही है।

नरेंद्र मोदी ने केंद्र को उसकी कमज़ोरी के लिए लताड़ते हुए कहा कि इटली के नौसैनिकों के मामले में केंद्र सरकार की नीति लचर रही। उन्होंने हैरानी जताई कि पता नहीं, इटली जैसा देश हमें कैसे डरा पा रहा है। मोदी ने नसीहत दी कि विदेश नीति के आधार में देशहित प्रमुख होना चाहिए, जबकि हमारे विदेशमंत्री ने किसी दूसरे का भाषण पढ़कर खिल्ली उड़वाई।

उन्होंने कहा, ''यह आश्चर्यजनक है कि भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी इटालियन नौसैनिकों को वोट देने के लिए उनके देश जाने की अनुमति दी गई, जबकि भारतीय आरोपी की मां की मौत होने पर भी उन्हें उनके अंतिम संस्कार में जाने की अनुमति नहीं दी जाती।''

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के बनने में भारत के महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बावजूद वहां वर्तमान संकट के समय उस देश में किसी की ओर से दिल्ली को कोई भी महत्व नहीं दिया जा रहा है। मोदी ने कहा कि भारतीय सैनिकों का सिर कलम किए जाने के बावजूद पाकिस्तान के प्रति सरकार का रवैया नरम है।

उन्होंने लगातार बज रही जोरदार तालियों के बीच बंगाल के स्वर्णिम इतिहास को भी याद किया और कहा कि देश की स्वाधीनता के लिए बंगाल सबसे आगे रहा और सशस्त्र क्रांति की आवाज़ इसी भूमि से उठी थी। नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा कि उन्होंने बंगाल से बहुत कुछ सीखा है, और अब वह सारी सीख गुजरात जाकर वहां लागू करेंगे।

अपने भाषण के उपरांत सवाल-जवाब के दौर में मोदी ने प्रधानमंत्री पद की महत्वाकांक्षा से जुड़े सवालों को टाल दिया, और कहा कि वह 'अराजनीतिक व्यक्ति' हैं। जब मोदी से शीर्ष राजनीतिक पद के लिए राजनीतिकों की इच्छा और इस संबंध में उनके रवैये के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था, 'एक राजनीतिक व्यक्ति की महत्वाकांक्षा (प्रधानमंत्री बनने की) हो सकती है, लेकिन मैं राजनीतिक नहीं हूं। मैं अराजनीतिक व्यक्ति हूं।'

इस बीच, प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने नरेंद्र मोदी के भाषण के बाद ट्वीट करते हुए कई तथ्य सामने रखे हैं। उन्होंने लिखा, पहला तथ्य : केंद्र ने राज्यों को आर्थिक न्याय के लिए तयशुदा फार्मूले के मुताबिक पैसे दिए हैं। दूसरा तथ्य : पिछली पंचवर्षीय योजना के दौरान ज्यादातर राज्यों की जीडीपी दर बेहतर हुई है। तीसरा तथ्य : पहले धीमी विकास दर हासिल करने वाले राज्यों ने भी बेहतर प्रदर्शन किया है।

वैसे, उल्लेखनीय है कि नरेंद्र मोदी अब तक जहां भी गए हैं, उनसे मिलने के लिए उद्योगपतियों की भीड़ लगी रही है, लेकिन लेकिन बंगाल में हाल कुछ अलग रहा। राज्य के सबसे बड़े उद्योगपति - जैसे अंबुजा के हर्ष नियोतिया, गोयनका ग्रुप के संजीव गोयनका और पेटोन के एमडी संजय बुधिया - आदि मंगलवार को कोलकाता में नहीं थे। इन सभी से एनडीटीवी की फोन पर हुई बातचीत के मुताबिक, आरपी गोयनका शहर से बाहर है, जबकि नियोतिया देश में ही नहीं हैं और बुधिया फिलहाल विशाखापट्टनम में हैं। बंगाल के ये सभी उद्योगपति राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी माने जाते हैं। इसके अलावा मोदी से नहीं मिलने वालों में इमामी ग्रुप भी शामिल है।

इसके अलावा, बेलूर मठ के दौरे के बाद मोदी ने संवाददाताओं से बातचीत में उम्मीद जाहिर की कि देश के नौजवान स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रेरित होंगे और उनका पालन करते हुए देश को नई उंचाइयों पर ले जाकर जगतगुरु बनाएंगे। इस मौके पर पुराने दिनों को याद करते हुए मोदी ने कहा, "किशोरावस्था के दिनों में स्वामी विवेकानंद द्वारा आरंभ इस मठ में मैं आता रहा हूं और स्वामी अथवास्थानंद से मुझे काफी प्यार और स्नेह मिला है, हालांकि, मुख्यमंत्री बनने के बाद मठ में मैं पहली बार आया हूं।"

नरेंद्र मोदी के भाषण के मुख्य अंश...
  • बंगाल से मेरे भावनात्मक संबंध रहे हैं।
  • कोलकाता से सीखकर मैं गुजरात जाऊंगा, और सीख वहां लागू करूंगा।
  • बंगाल में 18वीं सदी से ही ज्ञान का दौर शुरू हो गया था।
  • भारत की आज़ादी के लिए भी बंगाल सबसे आगे रहा।
  • सशस्त्र क्रांति की आवाज सबसे पहले बंगाल से ही उठी।
  • बंगाल से ही गुलामी के खिलाफ संघर्ष शुरू हुआ था।
  • हमारी भव्य विरासत में बंगाल की महत्वपूर्ण भूमिका है।
  • गुजरात के गड्ढों को भरने में हमें 10-12 साल लग गए।
  • इसी प्रकार बंगाल में 32 साल लेफ्ट की सरकार रही, और तबाही का मंजर चला।
  • पश्चिम बंगाल अब सही रास्ते पर लौटा है।
  • पश्चिम बंगाल की विकास ही देश के पूर्वी हिस्से को शक्तिशाली बनाएगा।
  • आप भारत के सपनों को साकार कर सकते हैं।
  • जिस प्रकार ऊंचा कूदने के लिए शरीर को झुकाना पड़ता है, वैसे ही आगे बढ़ने के लिए कुछ पीछे हटकर अपने अतीत से सीखना होगा।
  • केन्द्र सरकार राज्यों से दोहरा व्यवहार कर रही है, और उनके सपने तोड़ रही है।
  • राज्यों में अंधेरे के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है।
  • केन्द्र सरकार बेशर्मी से बयानबाजी करती है।
  • एनडीए के दौर में पश्चिम बंगाल ने अन्याय की शिकायत नहीं की।
  • केन्द्र सरकार ने विकास और खेती को आपस में लड़ाया।
  • गुजरात में खेती के साथ विकास को भी बढ़ावा दिया गया।
  • चुनौतियां हर सरकार के सामने आती हैं।
  • केन्द्र की कृषि विकास दर दो से तीन प्रतिशत रही है, जबकि 10 साल में गुजरात में औसत कृषि विकास 10 प्रतिशत रहा।
  • गुजरात में प्रति व्यक्ति आमदनी भी बढ़ी है।
  • बिना सरकारी मदद के खेती नहीं हो सकती।
  • मदद मिले तो भारत का किसान दुनिया के सामने खड़ा हो सकेगा।
  • हमें खेती में आधुनिकतम तकनीक लानी होगी।
  • केन्द्र को खेती के ताजा आंकड़े नहीं मिल पाते।
  • केंद्र सरकार को अनाज सड़ने की परवाह नहीं है।
  • पहले अनाज सड़ने दिया, फिर बेच दिया गया।
  • सुना है, यह अनाज 65 पैसे प्रति किलो की दर से शराब कंपनियों को बेचा गया।
  • केंद्र सरकार पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार का भी असर नहीं हुआ।
  • गुजरात में हमने मवेशियों की भी देखभाल की, और अब हम फूड प्रोसेसिंग पर ध्यान दे रहे हैं।
  • गुजरात ने सर्विस सेक्टर को बढ़ावा दिया।
  • कपास निर्यात पर रोक से गुजरात को नुकसान।
  • गुजरात पहले पर्यटन के नक्शे पर नहीं था।
  • अब गुजरात के पर्यटन में दोगुनी वृद्धि हुई है।
  • गुजरात देश का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा केन्द्र है।
  • गुजरात में कम दर पर सौर ऊर्जा उपलब्ध है।
  • गुजरात में एशिया का सबसे बड़ा सोलर पार्क है।
  • 7,900 करोड़ रुपये के घाटे से आज हम सरप्लस में।
  • गुजरात आज बिजली के मामले में भी सरप्लस है।
  • हमने 12 साल में बिजली की दर नहीं बढ़ाई।
  • हमने बिजली का लीकेज रोका, और अब गुजरात के किसी गांव में बिजली नहीं जाती।
  • बाकी राज्यों में बिजली आने पर ख़बर बनती है, लेकिन गुजरात में अगर बिजली गई तो ख़बर बन जाती है।
  • हमें और उत्पादन के लिए कोयला नहीं मिलता।
  • इटली के नौसैनिकों के मामले में भी केन्द्र सरकार की नीति लचर है।
  • गवर्नेंस के मामले में केन्द्र सरकार बहुत पीछे है।
  • हिन्दुस्तान के मौजूदा हालात को बदलना ही होगा।
  • युवा ताकत देश को बदलने में सक्षम है।
  • ज़रूरत पड़ने पर हम नीतियों को 'मॉडिफाई' करते हैं, 'मोदीफाई' नहीं।
  • विदेश नीति के आधार में देशहित प्रमुख होना चाहिए।
  • पता नहीं, इटली जैसा देश हमें कैसे डरा पा रहा है।
  • हमारे विदेशमंत्री ने किसी दूसरे का भाषण पढ़कर खिल्ली उड़वाई।
  • हमें पर्यावरण से जुड़ी तकनीक को अपनाना होगा।
  • हम शिक्षकों का दुनिया में निर्यात कर सकते हैं।
  • हमें अपना मानव संसाधन बेहतर बनाना होगा।
  • मैं एक छात्र के रूप में पश्चिम बंगाल आया हूं, और इस बार यहां से सीखकर जाना चाहता हूं।
  • आप बंगाली लोग अच्छे सैलानी होते हैं।
  • हमने स्वास्थ्य क्षेत्र में काफी काम किया है
  • अहमदाबाद सबसे प्रदूषित शहरों में था, लेकिन अब सबसे साफ शहर है।
  • केंद्र सरकार पूरी तरह अपाहिज, आखिरी घड़ियां गिन रही है।
(इनपुट एजेंसियों से भी)

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