प्रतीकात्मक तस्वीर
बलिया:
एक प्रेमी ने प्रेमिका से सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा किया था, मगर पिता के कहने पर शादी से इनकार कर दिया। युवती ने प्रेमी के इस फैसले पर रोने-धोने के बजाय 'मर्दानी' के अंदाज में खुद बारात लेकर प्रेमी के दरवाजे पहुंच गई।
युवती का यह अंदाज देखकर प्रेमी के गांव वालों ने उसका साथ दिया। प्रेमी के पिता को आखिरकार इस शादी के लिए मानना पड़ा। गुरुवार रात दोनों का पूरे विधि-विधान से विवाह हो गया।
जूड़नपुर गांव के लोगों ने बताया कि युवक अशोक और इसी इलाके में रहने वाली आरती एक दूसरे के काफी नजदीक आ गए थे। दोनों ने शादी करने का फैसला ले लिया था। जब अशोक की प्रेम कहानी और शादी के फैसले की खबर पिता जीउत राजभर को मिली तो वह आग बबूला हो गए। उन्होंने इस रिश्ते को मंजूर करने से इनकार कर दिया।
अशोक ने अपने पिता का फैसला आरती को सुनाया और कहा कि उसके पिता शादी के लिए कभी नहीं मानेंगे, इसलिए वह अब दूरी बना ले। मगर आरती ने अपने प्यार को जीत दिलाने की ठान ली। उसने मर्दानी के अंदाज में अपने पिता महातम राजभर के साथ बरात लेकर अशोक के गांव जूड़नपुर पहुंच गई। घोड़ी पर दूल्हे के बजाय दुल्हन को देख खबर समूचे गांव में फैल गई। अनूठी बारात को देखने सैकड़ों की भीड़ जुट गई।
पिता को मना लिए जाने के बाद अशोक भी दूल्हा बनकर साथियों सहित गांव के मंदिर में पहुंचा। उसने आरती की मांग में सिंदूर भरा। लोगों के समझाने पर अशोक के पिता भी आशीर्वाद देने वहां पहुंचे। इसके बाद भीड़ के बीच जयमाल की रस्म पूरी हुई।
युवती का यह अंदाज देखकर प्रेमी के गांव वालों ने उसका साथ दिया। प्रेमी के पिता को आखिरकार इस शादी के लिए मानना पड़ा। गुरुवार रात दोनों का पूरे विधि-विधान से विवाह हो गया।
जूड़नपुर गांव के लोगों ने बताया कि युवक अशोक और इसी इलाके में रहने वाली आरती एक दूसरे के काफी नजदीक आ गए थे। दोनों ने शादी करने का फैसला ले लिया था। जब अशोक की प्रेम कहानी और शादी के फैसले की खबर पिता जीउत राजभर को मिली तो वह आग बबूला हो गए। उन्होंने इस रिश्ते को मंजूर करने से इनकार कर दिया।
अशोक ने अपने पिता का फैसला आरती को सुनाया और कहा कि उसके पिता शादी के लिए कभी नहीं मानेंगे, इसलिए वह अब दूरी बना ले। मगर आरती ने अपने प्यार को जीत दिलाने की ठान ली। उसने मर्दानी के अंदाज में अपने पिता महातम राजभर के साथ बरात लेकर अशोक के गांव जूड़नपुर पहुंच गई। घोड़ी पर दूल्हे के बजाय दुल्हन को देख खबर समूचे गांव में फैल गई। अनूठी बारात को देखने सैकड़ों की भीड़ जुट गई।
पिता को मना लिए जाने के बाद अशोक भी दूल्हा बनकर साथियों सहित गांव के मंदिर में पहुंचा। उसने आरती की मांग में सिंदूर भरा। लोगों के समझाने पर अशोक के पिता भी आशीर्वाद देने वहां पहुंचे। इसके बाद भीड़ के बीच जयमाल की रस्म पूरी हुई।