उत्तर प्रदेश के कानपुर में पिछले शुक्रवार को पुलिस मुठभेड़ में आठ पुलिसकर्मियों को घेरकर उनकी हत्या करने का जिम्मेदार कुख्यात गैंगस्टर विकास दूबे आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ गया है. गुरुवार की सुबह उसे मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार किया गया है. आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद यहां-वहां भागा फिर रहा विकास दूबे उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर दर्शन के लिए पहुंचा था. जहां उसकी पहचान कर ली गई. फिलहाल वो उज्जैन पुलिस के कब्जे में है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक ट्वीट कर कहा है कि मध्य प्रदेश पुलिस इस शातिर खतरनाक अपराधी को यूपी पुलिस को सौंपेगी.
विकास दूबे की तलाश में दिन-रात जुटी पुलिस का हाथ तो दूबे के गिरेबान तक पहुंच गया है, लेकिन कुछ बहुत अहम सवाल हैं, जिनके जवाब यूपी पुलिस के लिए ढूंढने बहुत अहम होंगे. मुठभेड़ के बाद से अबतक हर बार विकास दूबे पुलिस को चकमा देता आया था. लेकिन अब अचानक उसका दूसरे राज्य में सामने आना और ऐसे गिरफ्तारी, कई सवाल खड़े कर रही है.
पुलिस की छापेमारी से पहले विकास दुबे को किसने दी थी जानकारी?
कानपुर के आठ पुलिसकर्मी जो शुक्रवार की मुठभेड़ में मारे गए थे, उनके लिए विकास दूबे के गुर्गों की तरफ से जैसी तैयारी दिखी थी, उससे साफ है कि पुलिस के छापेमारी की खबर उन्हें पहले से ही थी. स्थानीय चौबेपुर के तत्कालीन थाना इंजार्च विनय तिवारी पर दूबे से मिलीभगत के भी आरोप हैं. फिलहाल तिवारी निलंबन के बाद पुलिस की गिरफ्त में हैं. इस केस में खुद पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में है. ऐसे में यह सामने आना जरूरी है कि विकास दूबे को पहले से छापेमारी की जानकारी किसने दी.
वारदात को अंजाम देने के बाद कानपुर से कैसे रफूचक्कर हुआ विकास दुबे?
मुठभेड़ में आठ पुलिसवालों की बेरहमी से हत्या करने के बाद विकास दूबे और उसके कुछ साथी वहां से फरार हो गए थे. ऐसे में सवाल हैं कि वारदात को अंजाम देने के बाद विकास दूबे ने भागने की योजना कैसे बनाई? और कैसे इतनी दूर तक भागता-फिरता रहा.
फरीदाबाद में पुलिस के पहुंचने से पहले ही उसे कैसे हुई जानकारी कि वह वहां से निकला
दूबे पुलिस को फरीदाबाद में भी चकमा देने में कामयाब हो गया था. यहां उसे एक होटल में देखा गया था, लेकिन वो यहां से भी बच निकला, तो क्या उसे पहले से पुलिस के आने की जानकारी थी?
कानपुर से फरीदाबाद और वहां से उज्जैन कैसे पहुंचा.. कौन कर रहा था मदद?
विकास दूबे आखिर इतने आराम से, इतनी लंबी दूरी का सफर कैसे करता रहा? आखिर उसे मदद कैसे मिल रही थी? क्या कोई उसकी मदद कर रहा था? कर रहा था तो कौन?
अपने साथियों के एनकाउंटर के बाद यूपी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ना चाहता था विकास दुबे?
गिरफ्तारी के बाद यह सवाल भी उठ रहे हैं कि अपने साथियों के एक के बाद एक एनकाउंटर में मारे जाने से विकास दूबे डर गया था? क्या उसे डर था कि पुलिस उसका भी एनकाउंटर कर देगी?
क्या जान बूझकर पुलिस को दी गिरफ्तारी?
यह भी बहुत अहम सवाल है कि क्या विकास दूबे ने अपनी गिरफ्तारी जानबूझकर करवाई है? क्या यह गिरफ्तारी उसका अपना प्लान है?
एक सप्ताह से कहां छुपा था विकास दुबे?
और आखिर सवाल कि, वो एक हफ्ते से कहां छुपा हुआ था? कैसे वो एक हफ्ते तक पुलिस के हत्थे चढ़ने से बचा रहा?
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