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This Article is From Aug 09, 2018

बाल गृहों के सोशल आडिट का विरोध करने वाले राज्यों में यूपी और बिहार भी शामिल

बिहार और उत्तर प्रदेश के अलावा हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, केरल, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और दिल्ली की सरकारें सोशल आडिट के विरोध में

बाल गृहों के सोशल आडिट का विरोध करने वाले राज्यों में यूपी और बिहार भी शामिल
प्रतीकात्मक फोटो.
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
बाल गृहों में कुल सात हजार से अधिक बच्चे रहते हैं
मुजफ्फरपुर के एक शेल्टर होम में हुआ लड़कियों का यौन उत्पीड़न
देवरिया के एक बाल गृह से 24 लड़कियों को बचाया गया
नई दिल्ली: बिहार और उत्तर प्रदेश सरकारें राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा उनके 316 बाल गृहों में सोशल आडिट का विरोध कर रही हैं. इन संस्थानों में कुल सात हजार से अधिक बच्चे रहते हैं. 

एनसीपीसीआर के एक अधिकारी ने बताया कि बिहार और उत्तर प्रदेश के अलावा हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, केरल, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और दिल्ली भी अपने बाल गृहों के सोशल आडिट का विरोध कर रहे हैं. ये जानकारियां ऐसे समय सामने आई हैं जब बिहार और उत्तर प्रदेश में आश्रय गृहों में लड़कियों के कथित यौन उत्पीड़न के दो भयानक मामले सामने आए हैं. 

लड़कियों के यौन उत्पीड़न का मुद्दा सबसे पहले अप्रैल में सुर्खियों में आया था जब टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज ने राज्य सामाजिक कल्याण विभाग को बिहार के आश्रय गृहों पर अपनी आडिट रिपोर्ट सौंपी थी. इसमें मुजफ्फरपुर के एक शेल्टर होम में लड़कियों के यौन उत्पीड़न की संभावना की बात कही गई थी. बाद में मेडिकल जांच में इसकी पुष्टि हुई. दूसरा मामला इस सप्ताह प्रकाश में आया जब उत्तर प्रदेश के देवरिया के एक बाल गृह से 24 लड़कियों को बचाया गया था. आरोप है कि उनका भी यौन उत्पीड़न हुआ है. 

अधिकारी ने कहा कि एनसीपीसीआर ने उच्चतम न्यायालय को राज्यों द्वारा सोशल आडिट का विरोध करने के बारे में जानकारी दे दी है जिसके बाद शीर्ष अदालत ने 11 जुलाई को कहा था कि ऐसा लगता है कि बाल अधिकार संगठन द्वारा सोशल आडिट का विरोध करने वाले राज्य ‘‘कुछ छिपा’’ रहे हैं. 

VIDEO : मुजफ्फरपुर कांड पर हंगामा

इन आठ राज्यों और एक केन्द्र शासित प्रदेश में स्थित 2211 बाल गृहों में करीब 43,437 बच्चे रह रहे हैं. बिहार और उत्तर प्रदेश में 316 बाल गृहों में 7,399 बच्चे रह रहे हैं. शीर्ष अदालत ने पिछले साल पांच मई को बाल गृहों के सोशल आडिट का आदेश दिया था. 
(इनपुट भाषा से)

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