प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने कहा कि व्यापक सुधारों के बिना संयुक्त राष्ट्र (United Nations) 'विश्वसनीयता के संकट' का सामना कर रहा है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि दुनिया को एक सुधारवादी बहुपक्षीय मंच की जरूरत है, जो कि आज की हकीकत को दर्शाता हो, सभी हितधारकों को आवाज उठाने का मौका दे, समकालीन चुनौतियों का समाधान करता हो और मानव कल्याण पर ध्यान दे.
प्रधानमंत्री मोदी की ओर से बहुपक्षीय सुधारवाद का आह्वान ऐसे समय में महत्वपूर्ण है जब भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में गैर-स्थायी सदस्य के रूप में दो साल के लिए चुना गया है. भारत का यह कार्यकाल एक जनवरी 2021 से शुरू होगा.
संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आम सभा की उच्च स्तरीय बैठक को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "हम पुराने ढांचे या व्यवस्था के साथ आज की चुनौतियों का सामना नहीं कर सकते. व्यापक सुधारों के अभाव में संयुक्त राष्ट्र (UN) को विश्वास के संकट का सामना करना पड़ रहा है."
वहीं, कोविड-19 महामारी के बीच जब संयुक्त राष्ट्र अपना 75 वां स्थापना वर्ष मना रहा है, ऐसे में इसके महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने सोमवार को बेहतर विश्व शासन की अपील की. साथ ही, उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि आज बहुपक्षीय चुनौतियां कहीं अधिक है लेकिन समाधानों का अभाव है.
भाषा की खबर के मुताबिक, वैश्विक संस्था की 75 वीं वर्षगांठ पर संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने विश्व को कमजोर बना दिया है. उन्होंने कहा, ‘‘हम साथ मिल कर ही उनका समाधान कर सकते हैं. आज कहीं अधिक बहुपक्षीय चुनौतियां हैं जबकि बहुपक्षीय समाधानों की कमी है. ''
वैश्विक संस्था की ऐतिहासिक 75 वीं वर्षगांठ का विशेष समारोह व्यापक रूप से डिजिटल रहेगा क्योंकि कोविड-19 महामारी को लेकर विश्व के नेता न्यूयार्क की यात्रा नहीं करेंगे. वैश्विक संस्था की 75 वीं वर्षगांठ मनाने के लिये संयुक्त राष्ट्र महासभा के विशेष कार्यक्रम के साथ उच्च स्तरीय संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र शुरू होगा. सप्ताह भर चलने वाली आमचर्चा में राष्ट्रों एवं सरकारों के प्रमुख तथा मंत्री पहले से रिकार्ड किये गये वीडियो बयान के जरिये भाषण देंगे, वैश्विक संस्था के 75 वर्षों के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा.
इस अवसर पर 193 सदस्य देश संयुक्त राष्ट्र की 75 वीं वर्षगांठ को मनाने के लिये आम सहमति से एक राजनीतिक घोषणापत्र स्वीकार करेंगे. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि वैश्विक संस्था ने ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं. हालांकि अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है, खासतौर पर लैंगिक समानता के क्षेत्र में. उन्होंने कहा कि बीजिंग कार्रवाई मंच के 25 साल बाद भी लैंगिक समानता दुनिया भर में सबसे चुनौती बनी हुई है.
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