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पंकज चौधरी हो सकते हैं UP BJP के अगले अध्यक्ष, पार्षद से 7 बार के सांसद तक का ऐसा है सियासी सफर

Pankaj Chaudhary: महाराजगंज के सांसद और केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बन सकते हैं. सूत्रों से यह जानकारी सामने आई है. पंकज चौधरी ओबीसी समाज से आते हैं.

पंकज चौधरी हो सकते हैं UP BJP के अगले अध्यक्ष, पार्षद से 7 बार के सांसद तक का ऐसा है सियासी सफर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी.
  • केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी यूपी बीजेपी के अगले अध्यक्ष हो सकते हैं. इसकी घोषणा जल्द होगी.
  • पंकज चौधरी महाराजगंज से छह बार सांसद रह चुके हैं और वर्तमान में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री हैं.
  • उन्होंने 1989 में गोरखपुर नगर निगम में पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था.
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लखनऊ:

UP BJP President: उत्तर प्रदेश में BJP अध्यक्ष के लिए केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी (Pankaj Chaudhary) का नाम चुन लिया गया है. सूत्रों के अनुसार यह बड़ी जानकारी निकल कर सामने आई है. केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी यूपी के महाराजगंज से 7 बार के सांसद हैं. उन्हें यूपी बीजेपी का अध्यक्ष बनाया जाएगा. पंकज चौधरी यूपी में बीजेपी के बड़े OBC नेता हैं. सूत्रों के अनुसार यूपी BJP अध्यक्ष के नाम की घोषणा परसो होगी. पंकज चौधरी अभी केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री हैं. उनकी गिनती यूपी के शालीन और जमीन से जुड़े बड़े नेताओं में होती है. 

पंकज चौधरी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1989 में गोरखपुर नगर निगम में पार्षद का चुनाव लड़ने से किया था. वो पार्षद के चुनाव में जीते थे. 1989 में ही गोरखपुर से कटकर महाराजगंज अलग जिला बना. जिसके बाद से पंकज चौधरी ने महाराजगंज को अपनी राजनीति का केंद्र बनाया. 

पंकज चौधरी ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से पढ़ाई-लिखाई की है. उनकी माता उज्ज्वल चौधरी महाराजगंज जिला पंचायत की अध्यक्ष रह चुकी है.

पंकज चौधरी का सियासी सफर

पंकज चौधरी की राजनीति की शुरुआत पार्षद के चुनाव से हुई थी. पार्षद का चुनाव जीतने के बाद वो एक-एक सीढ़ी चढ़ते हुए लगातार 7 बार के सांसद हैं. पंकज चौधरी ने 1991 में पहली बार महाराजगंज से लोकसभा का चुनाव जीता था. इसके बाद से वो महाराजगंज से लगातार सांसदी का चुनाव जीतते आए हैं. 

पंकज चौधरी अभी केंद्र में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री भी हैं. वो विगत वर्षों में यूपी में कुर्मी बिरादरी के बड़े नेता के रूप में उभरकर सामने आए हैं. पंकज चौधरी का सियासी छवि शालीन नेता की है. कुर्मी बिरादरी के साथ साथ अन्य बिरादरी में इनकी पहचान काफी सक्रिय और कुशल नेता के रूप में लोग करते हैं.

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पंकज चौधरी का जन्म 20 नवंबर 1964 को गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था. राजनीति में स्थानीय स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक की यात्रा कर चुके हैं. चौधरी कुर्मी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश में एक प्रभावशाली पिछड़ा वर्ग है. उनकी संपत्ति 2024 के लोकसभा चुनाव हलफनामे के अनुसार लगभग 41.90 करोड़ रुपये बताई गई है, जिसमें कृषि भूमि, आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियां शामिल हैं.

पंकज चौधरी का पारिवारिक इतिहास

  • पंकज चौधरी का परिवार राजनीतिक रूप से सक्रिय रहा है, जो जमींदार बैकग्राउंड से है .
  •  पिता- स्वर्गीय भगवती प्रसाद चौधरी वे एक जमींदार थे और परिवार के मुख्य करता धरता थे .
  • माता- उज्ज्वल चौधरी. वे राजनीतिक रूप से सक्रिय रहीं और महाराजगंज जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं. उनका योगदान स्थानीय स्तर पर विकास कार्यों में काफी रहा .
  • पत्नी- भाग्यश्री चौधरी. उनका विवाह 11 जून 1990 को हुआ. वे सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं.
  • बच्चे- एक पुत्र और एक पुत्री. 

पंकज चौधरी का राजनीतिक इतिहास

पंकज चौधरी की राजनीतिक यात्रा स्थानीय स्तर से शुरू होकर राष्ट्रीय स्तर तक पहुंची है. वे बीजेपी के वफादार सिपाही माने जाते हैं और पूर्वी यूपी में पार्टी की मजबूती के लिए जाने जाते हैं.

पंकज चौधरी की जातिगत भूमिका और मजबूती

चौधरी कुर्मी समुदाय के प्रमुख चेहरे हैं, जो बीजेपी की ओबीसी-केंद्रित रणनीति के मजबूत पीलर हैं. 

  1. बीजेपी के लिए महत्व - चौधरी पूर्वांचल के कुर्मी वोटों को एकजुट रखते हैं. 2021 कैबिनेट विस्तार में उन्हें MoS (Finance) बनाकर बीजेपी ने कुर्मी असंतोष संतोष गंगवार के बाद को शांत किया. 2024 में री-इंडक्शन से कुर्मी बेस को मजबूत किया गया, खासकर जब लोकसभा में बीजेपी की सीटें घटीं. 
  2. मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व- मोदी 3.0 में यूपी से 10 मंत्रियों में 4 ओबीसी (2 कुर्मी: चौधरी + अनुप्रिया पटेल) शामिल हैं. यह जातिगत संतुलन (3 सवर्ण, 2 दलित, 4 ओबीसी) का हिस्सा है, जो 2027 विधानसभा चुनावों से पहले ओबीसी समुदाय पर फोकस को दिखाता है.
  3. चुनावी प्रभाव- 7 बार महाराजगंज से जीतकर उन्होंने कुर्मी + ओबीसी + सवर्ण समीकरण साधा. 2024 में 11 कुर्मी सांसद चुने गए (3 बीजेपी, 7 एसपी), जो कुर्मी वोटों के ध्रुवीकरण को दिखाता है. चौधरी बीजेपी के कुर्मी चेहरे के रूप में एसपी की पीडीए को काउंटर करने वाले सबसे मजबूत नेता हैं.

कुर्मी समुदाय का राजनीतिक महत्व

वोटबैंक - कुर्मी पारंपरिक रूप से कृषक समुदाय है, जो 1990 के दशक से ओबीसी आंदोलन के प्रभाव में आया. पहले कांग्रेस और बीएसपी के साथ जुड़ा रहा, लेकिन 2014 से बीजेपी का कोर वोटबैंक बन गया. बीजेपी ने “सामाज्यिक न्याय” की रणनीति से गैर-यादव ओबीसी (कुर्मी, लोधी, मौर्य आदि) को एकजुट किया. 2024 लोकसभा चुनावों में कुर्मी वोटों का कुछ हिस्सा एसपी की पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) रणनीति की ओर खिसका, जिससे बीजेपी को नुकसान हुआ.

प्रभाव - पूर्वी यूपी में कुर्मी-ठाकुर-ब्राह्मण गठजोड़ बीजेपी की जीत का आधार रहा है. 

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सियासी इतिहास- कुर्मी नेताओं ने बीजेपी को मजबूत किया—जैसे स्वतंत्र देव सिंह (पूर्व यूपी बीजेपी अध्यक्ष, कुर्मी). 2022 विधानसभा चुनावों में कुर्मी समर्थन से बीजेपी ने 255+ सीटें जीतीं. 

बीजेपी इस पंकज चौधरी के चेहरे के जरिए गैर यादव ओबीसी समुदाय को साधने में लगी है जिसका फायदा सीधा सीधा विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा. कुर्मी समुदाय यूपी की कुल आबादी का लगभग 6-10% हिस्सा रखता है और यादवों के बाद सबसे बड़ा ओबीसी वोटबैंक माना जाता है. 

यह समुदाय मुख्य रूप से पूर्वांचल के गोरखपुर-महाराजगंज बेल्ट, अवध और बुंदेलखंड के जिलों जैसे मिर्जापुर, प्रयागराज, जौनपुर, महाराजगंज आदि में प्रभावशाली है, जहां यह करीब 40-50 विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं.

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