हरदीप सिंह पुरी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली मेट्रो के किराये बढ़ोतरी के बाद से कैब सेवा बढ़ने, यात्री घटने और कार खरीदने जैसी अटकलों को खारिज करते हुए केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि मेट्रो किराये की वजह से कारों की बिक्री बढ़ी है, ये पूरी तरह से निरर्थक तर्क है. पुरी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा मेट्रो के किराये में बढ़ोतरी के फैसले पर पुनर्विचार करने या सरकार द्वारा बढ़े हुये किराये को सब्सिडी के माध्यम से कम करने के विकल्प पर संज्ञान लेने के अनुरोध के जवाब में शनिवार को यह बात कही.
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पुरी ने ट्वीट कर कहा कि मेट्रो किराये में बढ़ोतरी से मेट्रो के यात्रियों द्वारा मजबूर होकर कार खरीदने का तर्क निरर्थक है. केजरीवाल ने हाल ही में पुरी को लिखे पत्र में मेट्रो का किराया बढ़ने से उसके यात्रियों की संख्या में कमी आने के आधार पर किराये बढ़ोतरी के बोझ से जनता को निजात दिलाने के लिये दिल्ली सरकार द्वारा सब्सिडी देने के प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है. पुरी ने इसे हास्यास्पद और भ्रम फैलाने वाली दलील बताते हुये कहा ‘तर्क दिया जा रहा है कि जो लोग देश की सबसे सस्ती मेट्रो सेवा के किराये का बोझ नहीं उठा पा रहे हैं वे मंहगी कार खरीद रहे हैं या मंहगी कैब सेवा का रुख कर रहे हैं. इस तर्क की ‘निरर्थकता’ को समझने के लिये किसी को अर्थशास्त्री होने की दरकार नहीं है.’
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केजरीवाल को जवाबी पत्र में पुरी ने कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली मेट्रो की किराया निर्धारण समिति द्वारा तय किये गये किराये को वापस लेने का अधिकार न तो दिल्ली सरकार के पास है और ना ही केन्द्र सरकार के पास. पुरी ने किराया बढ़ोतरी के कारण मेट्रो के यात्रियों में कमी आने की दलील को गलत बताते हुये कहा कि अक्तूबर में तीन अलग अलग दिनों में पिछले साल की तुलना में यात्रियों की संख्या बढ़ी है.
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पुरी ने ट्वीट कर कहा कि मेट्रो किराये में बढ़ोतरी से मेट्रो के यात्रियों द्वारा मजबूर होकर कार खरीदने का तर्क निरर्थक है. केजरीवाल ने हाल ही में पुरी को लिखे पत्र में मेट्रो का किराया बढ़ने से उसके यात्रियों की संख्या में कमी आने के आधार पर किराये बढ़ोतरी के बोझ से जनता को निजात दिलाने के लिये दिल्ली सरकार द्वारा सब्सिडी देने के प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है. पुरी ने इसे हास्यास्पद और भ्रम फैलाने वाली दलील बताते हुये कहा ‘तर्क दिया जा रहा है कि जो लोग देश की सबसे सस्ती मेट्रो सेवा के किराये का बोझ नहीं उठा पा रहे हैं वे मंहगी कार खरीद रहे हैं या मंहगी कैब सेवा का रुख कर रहे हैं. इस तर्क की ‘निरर्थकता’ को समझने के लिये किसी को अर्थशास्त्री होने की दरकार नहीं है.’
पुरी ने केजरीवाल पर परिवहन सेवा में बसों की खरीद प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाने का भी आरोप लगाते हुये कहा कि इस वजह से लोग सार्वजनिक परिवहन छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं. एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा ‘अगर मेट्रो सार्वजनिक परिवहन का मंहगा साधन है तो दिल्ली परिवहन निगम को तत्काल नयी बसें खरीदना चाहिये जिससे 7000 बसों की कमी पूरी हो और बस यात्रियों की संख्या में 35 प्रतिशत की गिरावट की भी भरपायी की जा सके. इस स्थिति के लिये कौन जिम्मेदार है. बेशक दिल्ली वाले प्रभावी और भरोसेमंद डीटीसी की सेवा के भी हकदार हैं.’Desire to create false narrative on #MetroFare taking an amusing turn.It’s being suggested those who weren’t able to afford India’s cheapest metro can actually afford to buy &run expensive cars or use cabs. You don’t have to be an economist to see absurdity of this argument(1/ 2) pic.twitter.com/CaR4SESYiM
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) December 16, 2017
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केजरीवाल को जवाबी पत्र में पुरी ने कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली मेट्रो की किराया निर्धारण समिति द्वारा तय किये गये किराये को वापस लेने का अधिकार न तो दिल्ली सरकार के पास है और ना ही केन्द्र सरकार के पास. पुरी ने किराया बढ़ोतरी के कारण मेट्रो के यात्रियों में कमी आने की दलील को गलत बताते हुये कहा कि अक्तूबर में तीन अलग अलग दिनों में पिछले साल की तुलना में यात्रियों की संख्या बढ़ी है.
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