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This Article is From Mar 12, 2013

इतालवी मरीन वापसी मामले पर भारत ने नकारा इटली का रुख

नई दि्ल्ली: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इटली द्वारा उसके दो मरीन (नौसैनिक) भारत को सौंपने से इनकार किए जाने को ‘अस्वीकार्य’ बताते हुए मंगलवार को कहा कि इस मसले पर इटली के साथ बात की जाएगी।

वाम दलों और कांग्रेस के केरल से ताल्लुक रखने वाले सांसदों के साथ अलग अलग मुलाकात के दौरान सिंह ने उन्हें यह बताया। ये सांसद अपनी नाराजगी व्यक्त करने और सिंह से इस गंभीर मसले में हस्तक्षेप की मांग करने के लिए उनसे मिले थे।

माकपा सांसद के एन बालगोपाल और एमबी राजेश के मुताबिक प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अस्वीकार्य है।

सिंह ने वाम दलों के सांसदों से कहा कि वह विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद से कहेंगे कि वह यह मुद्दा इटली के साथ उठाएं।

इतालवी विदेश मंत्रालय के बयान के परिप्रेक्ष्य में सिंह की यह टिप्पणी आई। इटली ने कहा है कि दोनों मरीन भारत नहीं लौटेंगे।

दोनों मरीन ने पिछले साल फरवरी में केरल में समुद्र तट के निकट दो मछुआरों की कथित रूप से गोली मारकर हत्या कर दी थी। इटली का दावा है कि भारत ने उसके इस आग्रह का जवाब नहीं दिया, जिसमें उसने कहा था कि इस मामले का राजनयिक समाधान निकाला जाए।

खुर्शीद ने कहा कि सरकार इटली के फैसले, उसकी दलीलों और प्रभावों का अध्ययन कर रही है।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम (मामले का) अध्ययन कर सही कदम उठाएंगे।’’ राजेश ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री से मुलाकात कर इतालवी मरीन का मुद्दा उठाया। प्रधानमंत्री ने हमें बताया कि उन्हें अखबारों के जरिये इस मुद्दे की जानकारी लगी। उन्होंने आश्वासन दिया है कि वह विदेश मंत्री से इस मसले में हस्तक्षेप करने को कहेंगे।

बालगोपाल ने आरोप लगाया कि यह भारत सरकार और इटली सरकार में उच्चस्थ पदों पर बैठे लोगों के बीच ‘साजिश’ का नतीजा है। उन्होंने हालांकि इसे और अधिक स्पष्ट नहीं किया और न ही कोई ब्योरा दिया। केरल से कांग्रेस सांसदों ने भी प्रधानमंत्री से अलग से मुलाकात की।

प्रधानमंत्री से मुलाकात करने वाले नागर विमानन राज्यमंत्री केसी वेणुगोपाल और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पीसी चाको के मुताबिक प्रधानमंत्री ने कहा है कि वह विदेशमंत्री से इस मुद्दे को उठाने को कहेंगे। विदेशमंत्री से कहा जाएगा कि वह दोनों इतालवी मरीन को वापस लाने के लिए राजनयिक जरिये का इस्तेमाल करें।

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और केरल कांग्रेस (मणि) के सांसद भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे।

इस बीच कानून मंत्री अश्वनी कुमार ने कहा कि विदेश मंत्रालय और उनका मंत्रालय एक दूसरे से सलाह मशविरा कर सुनिश्चित करेंगे कि इस मामले में प्रभावशाली ढंग से कदम उठाए जाएं।

उन्होंने कहा कि पेचीदगियां हैं क्योंकि मामला किसी अन्य देश से जुडा है। हम राजनयिक जरिये से भी रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं।

कुमार ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि भारतीय कानूनों और अदालती प्रक्रिया का विदेशी सम्मान करें। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भी संसद परिसर में संवाददाताओं ने इस मसले पर सवाल किया लेकिन उन्होंने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की।

वहीं, भारतीय जनत पार्टी ने साफ कर दिया है कि वह इस मसले पर सरकार से जवाब मांगेगी। उनका कहना है कि इटली ने आखिर भारत के साथ इस तरह का हल्का व्यवहार क्यों किया है।

गौरतलब है कि इटली हमेशा से कहता रहा है कि भारत को अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत उसके नौसैनिकों पर भारत में केस चलाने का अधिकार नहीं है। इसके अलावा इटली का कहना है कि भारत ने कभी भी कूटनीतिक हल के लिए लिखे गए पत्रों का जवाब नहीं दिया। इसके अलावा इटली ने अपने जवाब में लिखा है कि अपने नौसैनिकों को वापस नहीं भेजने का फैसला इटली के रक्षा मंत्रालय और न्याय मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ मिलकर लिया है।

बता दें सोमवार को एक पत्र में कि इटली सरकार ने कहा कि भारत में दो मछुआरों की हत्या के आरोप में सुनवाई का सामना कर रहे दो नौसैनिक भारत नहीं लौटेंगे जिन्हें हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने इटली में चुनाव में वोट डालने के लिए स्वदेश जाने की अनुमति दी थी।

गौरतलब है कि नौसैनिकों मास्सिमिलिआनो लाटोरे और सल्वातोरे गिरोने पर जलदस्युरोधी अभियान के दौरान पिछले साल फरवरी महीने में केरल के तट के पास दो मछुआरों की हत्या का आरोप है। उच्चतम न्यायालय ने इन इतालवी नौसैनिकों को चार सप्ताह के लिए इटली जाने की अनुमति दी थी ताकि वे आम चुनाव में मतदान कर सके।

पिछली बार उन्हें क्रिसमस की छुट्टियां मनाने के लिए स्वदेश जाने की अनुमति दी गई थी और छुट्टियां खत्म होने पर वे भारत लौट आए थे।

(इनपुट भाषा से भी)

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