मणिपुर की दो महिला पीड़ित सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं, हिंसा प्रभावितों के लिए पोर्टल बनाने की मांग

सुप्रीम कोर्ट ने जातीय संघर्ष के दौरान यौन उत्पीड़न का सामना करने वाली दो महिलाओं की ओर से दायर याचिका पर मणिपुर सरकार को नोटिस जारी किया

मणिपुर की दो महिला पीड़ित सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं, हिंसा प्रभावितों के लिए पोर्टल बनाने की मांग

मणिपुर में जातीय हिंसा की घटनाओं का सिलसिला लंबा चला था (फाइल फोटो).

नई दिल्ली:

मणिपुर हिंसा मामले में दो अन्य महिला पीड़ित सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा के पीड़ितों के लिए पोर्टल बनाने की मांग की है. यौन उत्पीड़न का सामना करने वाली दो महिलाओं ने याचिका दायर की है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर मणिपुर सरकार को नोटिस जारी किया है. याचिका में एक पीड़ित महिला की मां और भाई की हत्या की भी जांच की मांग भी की गई है. साथ ही राज्य से भागे लोगों के लिए शिकायतें अपलोड करने के लिए एक पोर्टल बनाने की मांग भी की गई है. 

सुप्रीम कोर्ट ने जातीय संघर्ष के दौरान यौन उत्पीड़न का सामना करने वाली दो महिलाओं द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया है. इसमें से एक महिला की मां और भाई की हत्या की जांच की मांग की गई है.  

याचिकाकर्ता महिलाओं ने एक वेब पोर्टल स्थापित करने का निर्देश देने की भी मांग की है, जो हिंसा के कारण मणिपुर से भाग गए लोगों को अपनी शिकायतें, एफआईआर, चिकित्सा दस्तावेज और पारिवारिक पेंशन जारी करने के लिए आवेदन अपलोड करने में सक्षम बनाए. 

सुनवाई के लिए 13 अक्टूबर की तारीख तय

याचिका को मुख्य मामले के साथ टैग कर दिया गया है और आगे की सुनवाई के लिए 13 अक्टूबर की तारीख तय की गई है. याचिका में कहा गया है कि हिंसा के दौरान एक याचिकाकर्ता की मां और भाई को कथित तौर पर दूसरे समुदाय की भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला. याचिकाकर्ताओं को बेरहमी से प्रताड़ित किया गया, और उनके परिवार के सदस्यों को उनकी आंखों के सामने मार डाला गया. जो महिलाएं भी भीड़ का हिस्सा थीं, वे दूसरी याचिकाकर्ता के एक साल के बच्चे को मार रही थीं.

कपड़े फाड़ दिए और इम्फाल में डिप्टी कमिश्नर की इमारत में घुमाया

यह भी कहा गया है कि हिंसा के कारण, याचिकाकर्ता के हाथों में फ्रैक्चर हो गया और उसके सिर पर गंभीर चोटें आईं, जबकि भीड़ ने उसके कपड़े फाड़ दिए और उसे इम्फाल में डिप्टी कमिश्नर की इमारत में जबरदस्ती घुमाया गया, जहां पुलिस अधिकारी खड़े थे, लेकिन कोई भी उसकी मदद के लिए नहीं आया. 

यह भी कहा गया है कि याचिकाकर्ता और उक्त समुदाय के अन्य लोग मणिपुर राज्य से दूसरे राज्यों में भाग गए हैं. उन्हें फिर से स्थापित होने और मानसिक और शारीरिक दोनों चोटों से उबरने के लिए गंभीर आर्थिक बोझ का सामना करना पड़ रहा है.

ऑनलाइन पोर्टल से मिल सकेगी मदद

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यह दावा करते हुए कि उनके पास मणिपुर में लौटने के लिए आय का कोई स्रोत या जगह नहीं है, याचिकाकर्ता एक ऑनलाइन पोर्टल चाहते हैं जो याचिकाकर्ताओं की पारिवारिक पेंशन (केंद्र/राज्य) जारी करने की अनुमति दे. याचिकाकर्ताओं के अनुसार, इससे हिंसा के कारण मणिपुर से भागे लोगों को प्रतिपूर्ति का दावा करने के लिए अपने चिकित्सा दस्तावेज अपलोड करने और जांच/मुआवजे और आगे की कार्रवाई के लिए अपनी शिकायतें अपलोड करने में मदद मिलेगी.