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This Article is From Aug 23, 2016

गुजरात : सड़क किनारे पड़ा मृत बछड़ा फेंकने से मना करने पर 2 दलितों की पिटाई

गुजरात : सड़क किनारे पड़ा मृत बछड़ा फेंकने से मना करने पर 2 दलितों की पिटाई
प्रतीकात्मक तस्वीर
  • दलित अधिकार कार्यकर्ताओं ने मृत पशु फेंकने का काम बंद करने का आह्वान किया
  • इससे प्रभावित नागजी और मायाभाई राठौड़ ने बछड़े का शव उठाने से मना कर दिया
  • पुलिस ने इस मामले में 7 के खिलाफ केस दर्ज किया, सरपंच गिरफ्तार
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राजकोट: गुजरात के सौराष्ट्र इलाके के एक गांव में स्वघोषित गौरक्षकों के एक समूह ने गाय के बछड़े का शव फेंकने से मना करने पर दो दलित युवकों के साथ मारपीट की. पुलिस ने बताया कि मांडल गांव में सात लोगों के एक समूह ने नागजी राठौड़ और मायाभाई राठौड़ की उस वक्त पिटाई की, जब उन्होंने कहा कि उन्होंने यह काम करना बंद कर दिया है.

नागजी और मायाभाई को महुवा में स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद तत्काल कार्रवाई करते हुए सोमवार को दलित युवकों की पिटाई करने वाले समूह का नेतृत्व करने वाले गांव के सरपंच अटाभाई अहिर को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस के मुताबिक, हमले में शामिल दो आरोपियों की पहचान अभी नहीं हो पाई है.

45 वर्षीय नागजी राठौड़ की शिकायत पर सभी आरोपियों के खिलाफ अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. पुलिस निरीक्षक वी. एम. जाला ने बताया, 'हमने सात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है और मामले की जांच राजुला के पुलिस उपाधीक्षक को सौंप दी गई है.'

नागजी के बड़े भाई सोमा राठौड़ ने बताया, 'दो दिन पहले मांडल गांव में सड़क किनारे एक बछड़ा मर गया था. सरपंच अटाभाई अहिर ने नागजी से मृत पशु को हटाने के लिए कहा. नागजी ने यह कहकर मृत पशु को हटाने से मना कर दिया कि गौरक्षकों द्वारा हमला करने की घटनाओं को देखते हुए उन्होंने यह काम बंद कर दिया है.' सोमा ने बताया, 'हमें बिना वजह गांव वाले लगातार परेशान कर रहे हैं. हमारी स्थिति दयनीय होती जा रही है, क्योंकि लोग हमे आर्थिक नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.'

सोमा राठौड़ मांडल में एक कारखाना चलाते हैं, जहां मृत पशुओं की हड्डी का चूरा बनाकर उन्हें आगे प्रोसेस करने के लिए गोधरा भेजा जाता है. राठौड़ परिवार पर यह दूसरा हमला है. इससे पहले मई में सोमा राठौड़ के बेटे प्रेमजी राठौड़ सहित सात दलित युवकों के साथ राजुला में 20 गौरक्षकों ने मारपीट की थी.

गौरतलब है कि दलितों के अधिकारों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राज्य के दलित समुदाय से मृत पशुओं को फेंकने का काम न करने का आह्वान किया है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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