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ट्रंप का टैरिफ और मोदी का मंत्र... क्या भारत खोज सकता है स्वदेशी में नया रास्ता?

प्रधानमंत्री मोदी ने दुकानदारों से भी अपील की है कि वे अपनी दुकानों के बाहर लिखें “यहां स्वदेशी सामान मिलता है.” यह केवल नारा नहीं, बल्कि आर्थिक स्वतंत्रता की दिशा में बड़ा कदम है.

ट्रंप का टैरिफ और मोदी का मंत्र... क्या भारत खोज सकता है स्वदेशी में नया रास्ता?
  • PM मोदी ने स्वदेशी को हर भारतीय के जीवन का मंत्र बनाने की अपील की, जिससे भारत आत्मनिर्भर और सशक्त बनेगा
  • वैश्विक व्यापार में संरक्षणवाद बढ़ रहा है, अमेरिका और यूरोप नए टैरिफ और गैर-टैरिफ अवरोध लगा रहे हैं
  • महात्मा गांधी के स्वदेशी मंत्र को राष्ट्रीय स्वाभिमान और आर्थिक आत्मनिर्भरता के प्रतीक माना जाता है
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नई दिल्ली:

अमेरिका द्वारा भारत पर टैरिफ बढ़ाने और लगातार गैर-टैरिफ बैरियर्स लगाने के बीच स्वदेशी पर एक बार फिर चर्चा की शुरुआत हो गई है. सोमवार को पीएम मोदी ने साफ कहा था कि स्वदेशी को हर भारतीय के जीवन का मंत्र बनाना होगा, क्योंकि यही भारत को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने का रास्ता है. यह बयान ऐसे समय आया है जब वैश्विक व्यापार में संरक्षणवाद (Protectionism) बढ़ रहा है, अमेरिका और यूरोप अपने उद्योगों को बचाने के लिए नए-नए अवरोध खड़े कर रहे हैं, और डॉलर से लेकर पेमेंट सिस्टम व ग्लोबल सप्लाई चेन तक का हथियार की तरह इस्तेमाल हो रहा है. 

गांधी जी के स्वदेशी मंत्र से लेकर कोरोना महामारी और अब ट्रंप के टैरिफ कदमों तक हर घटना ने भारत को यह सिखाया है कि आत्मनिर्भर बने बिना आर्थिक और तकनीकी आज़ादी असंभव है. आज भारत में बनी कारें और इलेक्ट्रॉनिक सामान दुनिया भर में छा रहे हैं. रक्षा से लेकर डिजिटल तकनीक तक, आत्मनिर्भरता का यह अभियान अब केवल नारा नहीं, बल्कि भारत के भविष्य की सबसे बड़ी आर्थिक रणनीति बन चुका है. 

दुनिया की बदलती राजनीति और व्यापारिक नीतियां यह साबित कर रही हैं कि स्वदेशी और आत्मनिर्भरता भविष्य की राह बना सकती है. 

गांधी जी का स्वदेशी मंत्र एक बार फिर हो सकता है कारगर

महात्मा गांधी ने आज़ादी की लड़ाई के दौरान स्वदेशी को केवल आर्थिक आंदोलन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वाभिमान का प्रतीक माना था. उन्होंने विदेशी वस्त्रों की होली जलाकर भारतीयों से अपने ही देश में बने उत्पादों के इस्तेमाल का आह्वान किया था. गांधी जी का मानना था कि स्वदेशी न केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता लाता है बल्कि यह देश के हर नागरिक को राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनाता है. 

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आज जब वैश्विक व्यापार एक बार  संरक्षणवाद की ओर लौट रहा है, गांधी जी का यही स्वदेशी मंत्र एक बार फिर प्रासंगिक हो गया है। अमेरिका समेत कई विकसित देश अपने उद्योगों को बचाने के लिए टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाएं खड़ी कर रहे हैं। ऐसे में भारत के लिए आत्मनिर्भरता ही सबसे बड़ा विकल्प है.

उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वदेशी और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष विज्ञापन जारी किया है. इस विज्ञापन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस संदेश को केंद्र में रखा गया है, जिसमें उन्होंने हर भारतीय से स्वदेशी को जीवन का मंत्र बनाने की अपील की थी. विज्ञापन में यह स्पष्ट संदेश दिया गया है कि देश की आर्थिक स्वतंत्रता और तेज़ी से विकास के लिए स्वदेशी ही सबसे मजबूत आधार है. 

विज्ञापन में गांधी जी के स्वदेशी मंत्र का भी उल्लेख है, जिसने आज़ादी के आंदोलन के दौरान लोगों को आत्मनिर्भरता और स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग के लिए प्रेरित किया था.  

स्वदेशी ही आत्मनिर्भरता का रास्ता: स्वदेशी जागरण मंच

स्वदेशी जागरण मंच का कहना है कि भारत के सामने स्वदेशी और आत्मनिर्भर बनने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है.  संगठन का मानना है कि कोरोना महामारी के दौरान जब वैश्विक सप्लाई चेन टूट गई थी, तब भी देश ने आत्मनिर्भरता का महत्व समझा. अब डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ कदमों ने भी भारत को यह सिखाया है कि हमें अपने उद्योगों, किसानों और तकनीक को आत्मनिर्भर बनाना ही होगा. 

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भारत दुनिया भर में कर रहा है निर्यात

आज भारत में बनी कारें पूरी दुनिया में बिक रही हैं. हाल ही में लांच हुई इलेक्ट्रिक कार “e-VITARA” इसका उदाहरण है.  यह विदेशी कंपनियों की कारों से एक-तिहाई सस्ती और गुणवत्ता में बेहतर बताई जा रही है. 

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि iPhone भारत में न बनकर अमेरिका में बनता, तो उसकी कीमत तीन गुना अधिक होती.  इसका सीधा मतलब है कि भारत में विनिर्माण (Manufacturing) की लागत काफी कम है और यही भारत को आत्मनिर्भरता की ओर ले जा सकती है. 

ग्लोबलाइजेशन से लेकर टैरिफ वॉर तक

पिछले दो दशकों में दुनिया भर में ग्लोबलाइजेशन का पाठ पढ़ाया गया.  कहा गया कि WTO के नियमों के तहत दुनिया का व्यापार खुलेपन के साथ चलेगा. लेकिन अब वही विकसित देश अपने उद्योगों को बचाने के लिए टैरिफ और गैर-टैरिफ हथकंडे अपना रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि डॉलर, पेमेंट सिस्टम और ग्लोबल सप्लाई चेन का भी हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. 

ऐसे में भारत के लिए जरूरी है कि वह अपने कृषि, उद्योग और टेक्नोलॉजी सेक्टर में आत्मनिर्भर बने ताकि किसी बाहरी दबाव का सामना आसानी से कर सके. 

रक्षा के क्षेत्र में स्वदेशी तकनीक ने कमाल कर के दिखाया है

हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता ने अहम भूमिका निभाई. स्वदेशी हथियारों और तकनीक की मदद से भारत ने तेज़ी और कुशलता से सफलता हासिल की. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर न होता, तो यह उपलब्धि संभव नहीं थी. 

यूपी सरकार ने दिया स्वदेशी का विज्ञापन

उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वदेशी और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष विज्ञापन जारी किया है. इस विज्ञापन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस संदेश को केंद्र में रखा गया है, जिसमें उन्होंने हर भारतीय से स्वदेशी को जीवन का मंत्र बनाने की अपील की थी. विज्ञापन में यह स्पष्ट संदेश दिया गया है कि देश की आर्थिक स्वतंत्रता और तेज़ी से विकास के लिए स्वदेशी ही सबसे मजबूत आधार है. 

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विज्ञापन में गांधी जी के स्वदेशी मंत्र का भी उल्लेख है, जिसने आज़ादी के आंदोलन के दौरान लोगों को आत्मनिर्भरता और स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग के लिए प्रेरित किया था.

स्वदेशी को लेकर मोदी सरकार का क्या रहा है रुख

प्रधानमंत्री मोदी ने दुकानदारों से भी अपील की है कि वे अपनी दुकानों के बाहर लिखें “यहां स्वदेशी सामान मिलता है.” यह केवल नारा नहीं, बल्कि आर्थिक स्वतंत्रता की दिशा में बड़ा कदम है. ‘मेक इन इंडिया', ‘स्टार्ट-अप इंडिया', ‘डिजिटल इंडिया' और अब ‘आत्मनिर्भर भारत' जैसे अभियानों का मकसद यही है कि देश का उद्योग और तकनीक दुनिया के मुकाबले खड़ा हो सके.  आज भारत तेज़ी से विनिर्माण हब बनता जा रहा है.  अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने या गैर-टैरिफ बैरियर लगाने के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था और उद्योग नई ऊंचाइयां छू रहे हैं. 

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