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ट्रंप की नई 'टैरिफ मिसाइल' से इन सेक्टरों को सबसे ज्यादा खतरा, जानें कहां लग सकती है कितनी चोट

ट्रंप के भारत पर 25 फीसदी एक्स्ट्रा टैरिफ से कई भारतीय कंपनियों और सेक्टरों पर काफी बुरा असर पड़ने की आशंका है. जिन्हें सबसे ज्यादा मार सहनी पड़ सकती है, उनमें टेक्सटाइल, फार्मा, ऑटो कंपोनेंट्स, स्टील व एल्यूमीनियम आदि शामिल हैं.

ट्रंप की नई 'टैरिफ मिसाइल' से इन सेक्टरों को सबसे ज्यादा खतरा, जानें कहां लग सकती है कितनी चोट
  • ट्रंप ने भारत पर 25 पर्सेंट नए टैरिफ का ऐलान किया है. अब तक वह 50 प्रतिशत टैरिफ लगा चुके हैं.
  • इससे टेक्सटाइल, फार्मा, ऑटो कंपोनेंट्स, स्टील, सोलर उपकरण जैसे प्रमुख सेक्टर प्रभावित हो सकते हैं.
  • अमेरिका सबसे बड़े ट्रेडिंग पार्टनर में से है. 2024 में भारत से 81 अरब डॉलर का निर्यात अमेरिका को हुआ था.
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नई दिल्ली:

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी एक्स्ट्रा टैरिफ थोप दिया है. वह अब तक कुल मिलाकर 50 पर्सेंट टैरिफ भारत पर लगा चुके हैं. पिछला 25 फीसदी टैरिफ 7 अगस्त से लागू होना है. नया 25 पर्सेंट टैरिफ इसके 21 दिन बाद से लगेगा. ट्रंप की इस टैरिफ मिसाइल से कई भारतीय कंपनियों और सेक्टरों पर काफी बुरा असर पड़ने की आशंका है. अमेरिका को निर्यात होने वाली कई वस्तुओं का व्यापार काफी प्रभावित होने का खतरा पैदा हो गया है. आइए बताते हैं कि  कौन से सेक्टर अमेरिकी बाजार पर कितने निर्भर हैं और ट्रंप के ताजा फैसले से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं.

भारत का 17% एक्सपोर्ट अमेरिका को 

ट्रंप की नई 'टैरिफ मिसाइल' का जिन सेक्टरों पर सबसे ज्यादा असर होने की आशंका है, उनमें टेक्सटाइल, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटो कंपोनेंट्स, स्टील व एल्यूमीनियम, सोलर उपकरण और आईटी सर्विसेज शामिल हैं. अमेरिका भारत के सबसे बड़े ट्रेडिंग पार्टनर में से एक रहा है. 2024 में भारत का अमेरिका को निर्यात 81 अरब डॉलर तक पहुंच गया था. वित्त वर्ष 2024 में, भारत के कुल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 17.7 प्रतिशत रही थी. भारत का अमेरिका से व्यापार में ट्रेड सरप्लस है. 

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कपड़ा सेक्टर के सामने बड़ी चुनौती

भारत के कपड़ा निर्यात का करीब 28% हिस्सा अमेरिका को जाता है. वित्त वर्ष 2025 में भारत ने अमेरिका को लगभग 10.8 बिलियन डॉलर के अपैरल एक्सपोर्ट किए थे.कपड़े व परिधान के भारत के आधे से ज़्यादा आयात में अमेरिकी कॉटन का प्रयोग होता है. अमेरिका को टेक्सटाइल और अपैरल एक्सपोर्ट करने वाली प्रमुख कंपनियों में ट्राइडेंट, वेलस्पन लिविंग, केपीआर मिल, आलोक इंडस्ट्रीज, हिमतसिंगका सीडे और अरविंद मिल्स शामिल हैं. अमेरिका अभी भारतीय टेक्सटाइल पर 10 से 12 पर्सेंट टैरिफ लगाता है. अब 50 पर्सेंट एक्स्ट्रा टैरिफ से भारतीय गारमेंट्स व्यापारियों को तगड़ा झटका लग सकता है. 

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दवा कंपनियों को भारी नुकसान की आशंका

अमेरिका को भारत से दूसरी जो चीज सबसे अधिक जाती है, वो हैं फार्मास्यूटिकल उत्पाद. भारत से जेनरिक दवाओं और अन्य संबंधित उत्पादों को अमेरिका का वित्त वर्ष 2025 में निर्यात लगभग 10 बिलियन डॉलर का है. यह भारत के कुल फार्मा निर्यात का लगभग 31-35 फीसदी है. अगर फार्मा उत्पादों को टैरिफ बढ़ोतरी से छूट नहीं मिली तो अमेरिका में भारतीय दवाओं और अन्य उत्पादों की कमी होने से कीमतें बढ़ सकती हैं. 

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ऑटो पार्ट्स का निर्यात होगा प्रभावित

भारत ने साल 2024 में अमेरिका को लगभग 2.2 बिलियन डॉलर के ऑटो पार्ट्स और कंपोनेंट्स एक्सपोर्ट किए थे. तैयार वाहनों का निर्यात तो 10 मिलियन डॉलर का है, लेकिन कलपुर्जों का निर्यात ज्यादा है. ट्रंप के 25 पर्सेंट टैरिफ के ऐलान से इस क्षेत्र में निर्यात प्रभावित होने की आशंका है. इसका भारत के इंजीनियरिंग गुड्स सेक्टर पर भी असर पड़ सकता है, जो भारत सरकार के मेक इन इंडिया एक्सपोर्ट पहल का प्रमुख हिस्सा है. 

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रत्न-आभूषण निर्यात की चमक फीकी!

भारत में वित्त वर्ष 2025 में अमेरिका को लगभग 12 बिलियन डॉलर के रत्न और आभूषण एक्सपोर्ट किए थे, जिसमें अमेरिका का हिस्सा लगभग 30 फीसदी थी. चूंकि इन वस्तुओं पर पहले से ही 27 फीसदी का टैरिफ है, ऐसे में अतिरिक्त 25 पर्सेंट टैरिफ लगने से व्यापार में प्रॉफिट मार्जिन बहुत बुरी तरह प्रभावित हो सकता है.  

तेल-गैस सेक्टर भी अछूता नहीं

ट्रंप के फैसले से तेल और गैस सेक्टर भी अछूता नहीं रहेगा. भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरतों का 35 से 40% हिस्सा रूस से हासिल करता था. रिलायंस इंडस्ट्रीज और ओएमसी को रूस से मिलने वाले कच्चे तेल पर 2-3 डॉलर प्रति बैरल की छूट मिलती थी. अगर कच्चे तेल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं भी हो, तब भी सोर्स बदलने से लागत 3 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकती है. 

कच्चे तेल की बढ़ी हुई सोर्सिंग लागत का बोझ अगर ग्राहकों पर नहीं डाला गया तो कंपनियों के मार्केटिंग मार्जिन पर असर पड़ेगा. सामान्य तौर पर, कच्चे तेल की कीमत में हर एक डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी से मार्केटिंग कंपनियों का मार्जिन 0.5 रुपये प्रति लीटर कम हो जाता है. ऐसा हुआ तो रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) के EBITDA पर 3% और ओएमसी के EBITDA पर 10% का असर पड़ सकता है. 

सोलर कंपनियों की पावर पर असर

ट्रंप के टैरिफ वार से भारत का एनर्जी सेक्टर भी प्रभावित हो सकता है. यूटिलिटीज और नवीकरणीय ऊर्जा डेवलपर्स पर तो कोई सीधा असर नहीं होगा, लेकिन सोलर पीवी सेल और मॉड्यूल निर्यातकों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. हालांकि ट्रंप के नए टैरिफ अटैक से भारत के जिन सेक्टरों पर कम असर होने की संभावना है, उनमें आईटी सर्विसेज, एफएमसीजी, टेलिकॉम, रियल एस्टेट, बैंक, इंश्योरेंस, पावर और कैपिटल गुड्स शामिल हैं. 

'चीन की तरह देनी होगी सरकारी मदद'

परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (APEC) के अध्यक्ष सुधीर सेखरी ने NDTV से कहा कि भारतीय निर्यातक 25% अतिरिक्त अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को बनाए रखने में सक्षम नहीं हो पाएंगे. अगर सरकार ने उस तरह मदद नहीं की, जैसे कि चीन की सरकार अपने निर्यातकों को देती है, तो ट्रंप का यह कदम भारत में बेरोजगारी पैदा करने वाला साबित हो सकता है. उन्होंने कहा कि टेक्सटाइल सेक्टर में लेबर की प्रधानता होती है, ऐसे में यह क्षेत्र सबसे बुरी तरह प्रभावित हो सकता है.

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