आगरतला:
असम-त्रिपुरा की सीमा पर 1000 से ज्यादा ट्रक करीब एक हफ्ते से अटके खड़े हैं। इनमें से कई ट्रकों में खाना, दवाई और ईंधन जैसे मूलभूत सामान हैं जो अपनी मंज़िल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। हालांकि यह जाम किसी विरोध प्रदर्शन का नहीं बारिश का नतीजा है। तेज़ बारिश ने असम के बराक वैली क्षेत्र और त्रिपुरा को पिछले दस दिन से भिगो रखा है। इसकी वजह से त्रिपुरा को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली एकमात्र सड़क नेशनल हाईवे 44 (नई प्रणाली के मुताबिक नेशनल हाईवे 8) कीचड़ भरा रास्ता बनकर रह गई है।
इस हाईवे का एक हिस्सा असम-त्रिपुरा की सीमा से लगा है जहां विक्रम का ट्रक फंसा हुआ है। वह बताते हैं 'मैं यहां एक हफ्ते से फंसा हुआ हूं। सारे पैसे खत्म हो गए हैं। पता नहीं यह रास्ता कब खुलेगा।' स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क को साफ करने की कोशिशें नाकाफी हैं। मसलन एक हिस्से में मात्र एक अर्थमूवर मशीन और कुछ ट्रक ड्राइवरों की हिम्मत की बदौलत रास्ता साफ करने की कोशिश की जा रही है। ट्रकों के इस तरह अटके रहने का असर त्रिपुरा खासतौर पर राजधानी आगरतला में देखने को मिल रहा है जहां ईंधन की कमी और अन्य जरूरी सामान की कमी होती जा रही है।
मरम्मत के लिए गुहार
बता दें कि त्रिपुरा अपनी मूलभूत जरूरतों, ईंधन उत्पाद, निर्माण मटेरियल, खाद और देश के बाकी हिस्सों से आने वाले सामान के लिए इस हाईवे पर भी निर्भर है। त्रिपुरा के परिवहन मंत्री मानिक डे का कहना है कि 'त्रिपुरा अपने एकमात्र राष्ट्रीय राजमार्ग की मरम्मत के लिए गुहार लगा रहा है और असम के साथ साथ केंद्रीय सरकार को भी इस गंभीर समस्या से अवगत करवाया गया है लेकिन दोनों ही सरकारों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी।'
वहीं खाद्य और नागिरक आपूर्ति विभाग के अधिकारी का कहना है कि पिछले एक हफ्ते से सभी 60 पेट्रोल पंप सूखे पड़े हैं जिससे लोगों को बहुत ही ज्यादा असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति और भी गंभीर है क्योंकि बारिश और भूस्खलन की वजह से असम के पहाड़ी जिले दिमा हसाओ के रेल ट्रैक को काफी नुकसान पहुंचा है। इसकी वजह से त्रिपुरा, मिज़ोरम, मणिपुर, दक्षिणी असम और भारत के बाकी हिस्सों के बीच की ट्रेन सेवा पिछले 45 दिनों से रद्द पड़ी है।
बीजेपी के त्रिपुरा अध्यक्ष विप्लव देब ने असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और असम के सड़क एवं राज्यमार्ग मंत्री परिमल शुक्लाबैद्य के साथ कुछ दिन पहले एक बैठक की थी। उनका कहना है कि उन्हें आश्वासन दिया गया है कि जल्दी ही हालात काबू में किए जाएंगे और क्षेत्र की सड़क संबंधित समस्या का निपटारा होगा।
इस हाईवे का एक हिस्सा असम-त्रिपुरा की सीमा से लगा है जहां विक्रम का ट्रक फंसा हुआ है। वह बताते हैं 'मैं यहां एक हफ्ते से फंसा हुआ हूं। सारे पैसे खत्म हो गए हैं। पता नहीं यह रास्ता कब खुलेगा।' स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क को साफ करने की कोशिशें नाकाफी हैं। मसलन एक हिस्से में मात्र एक अर्थमूवर मशीन और कुछ ट्रक ड्राइवरों की हिम्मत की बदौलत रास्ता साफ करने की कोशिश की जा रही है। ट्रकों के इस तरह अटके रहने का असर त्रिपुरा खासतौर पर राजधानी आगरतला में देखने को मिल रहा है जहां ईंधन की कमी और अन्य जरूरी सामान की कमी होती जा रही है।
मरम्मत के लिए गुहार
बता दें कि त्रिपुरा अपनी मूलभूत जरूरतों, ईंधन उत्पाद, निर्माण मटेरियल, खाद और देश के बाकी हिस्सों से आने वाले सामान के लिए इस हाईवे पर भी निर्भर है। त्रिपुरा के परिवहन मंत्री मानिक डे का कहना है कि 'त्रिपुरा अपने एकमात्र राष्ट्रीय राजमार्ग की मरम्मत के लिए गुहार लगा रहा है और असम के साथ साथ केंद्रीय सरकार को भी इस गंभीर समस्या से अवगत करवाया गया है लेकिन दोनों ही सरकारों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी।'
वहीं खाद्य और नागिरक आपूर्ति विभाग के अधिकारी का कहना है कि पिछले एक हफ्ते से सभी 60 पेट्रोल पंप सूखे पड़े हैं जिससे लोगों को बहुत ही ज्यादा असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति और भी गंभीर है क्योंकि बारिश और भूस्खलन की वजह से असम के पहाड़ी जिले दिमा हसाओ के रेल ट्रैक को काफी नुकसान पहुंचा है। इसकी वजह से त्रिपुरा, मिज़ोरम, मणिपुर, दक्षिणी असम और भारत के बाकी हिस्सों के बीच की ट्रेन सेवा पिछले 45 दिनों से रद्द पड़ी है।
बीजेपी के त्रिपुरा अध्यक्ष विप्लव देब ने असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और असम के सड़क एवं राज्यमार्ग मंत्री परिमल शुक्लाबैद्य के साथ कुछ दिन पहले एक बैठक की थी। उनका कहना है कि उन्हें आश्वासन दिया गया है कि जल्दी ही हालात काबू में किए जाएंगे और क्षेत्र की सड़क संबंधित समस्या का निपटारा होगा।
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