त्रिपुरा (Tripura) के 56 सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों के समूह रोमन स्क्रिप्ट फॉर कोकबोरोक-चोबा (आरएसकेसी) ने देश के पूर्वोत्तर राज्यों में हिंदी (Hindi) को दसवीं कक्षा (10 Class) तक अनिवार्य विषय बनाने के कदम का विरोध किया है. आरएसकेसी के अध्यक्ष बिकाश रॉय देबबर्मा ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘आरएसकेसी न तो हिंदी के खिलाफ है और न ही देवनागरी लिपि के ही. लेकिन, यह सामान्य रूप से पूर्वोत्तर राज्यों और विशेष रूप से त्रिपुरा में हिंदी भाषा और देवनागरी लिपि को जबरदस्ती थोपने का कड़ा विरोध करता है.''
उन्होंने कहा, ‘‘भाषा राज्य का विषय है और आरएसकेसी की राय है कि पूर्वोत्तर में हिंदी को अनिवार्य बनाना संवैधानिक प्रावधान से स्पष्ट विचलन के अलावा और कुछ नहीं है.'' उन्होंने कहा कि जहां तक लिपि का सवाल है, आरएसकेसी उन भाषाओं के लिए देवनागरी लिपि लागू करने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव का विरोध करती है, जिनकी अपनी लिपि नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार किसी भी भाषाई समूह पर उनकी इच्छा या पसंद के खिलाफ देवनागरी को थोप नहीं सकती है. चुनने का अधिकार एक संवैधानिक गारंटी है, जिसे छीना नहीं जा सकता.'' देबबर्मा ने कहा कि पूर्वोत्तर के लोग शांतिप्रिय हैं, लेकिन उनके लिए हिंदी को अनिवार्य बनाना एक ‘‘गलत कदम'' होगा.
उन्होंने केंद्र सरकार से पूर्वोत्तर राज्यों में हिंदी को अनिवार्य नहीं बनाने और इसे लोगों पर छोड़ने का आग्रह किया.
इसे भी पढ़ें : बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में हुई इफ्तार पार्टी को लेकर मचा बवाल, छात्र बोले- नई परंपरा शुरू कर रहे वीसी
देखें PHOTOS : नियुक्ति की मांग को लेकर पटना पहुंचे चयनित शिक्षकों पर पुलिस बल का प्रयोग
इसे भी देखें: BHU में इफ्तार पार्टी को लेकर छात्रों का बवाल, महिला महाविद्यालय में हुआ था आयोजन
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)