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This Article is From May 12, 2020

1,000 KM का सफर, जेब में सिर्फ 10 रुपये... : घर लौटते प्रवासी मजदूर की दर्दभरी दास्तान

उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित एक कंट्रक्शन कंपनी में काम करने वाले 20 साल के मजदूर ओम प्रकाश की घर जाने की कहानी बेहद दर्दभरी है.

1,000 KM का सफर, जेब में सिर्फ 10 रुपये... : घर लौटते प्रवासी मजदूर की दर्दभरी दास्तान
घर लौटते प्रवासी मजदूरों की कहानी
लखनऊ:

उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित एक कंट्रक्शन में काम करने वाले मजदूर 20 साल के ओम प्रकाश की घर जाने की कहानी बेहद दर्दभरा है. ओम प्रकाश का घर बिहार के सरण में है, जोकि करीब 1000 किलोमीटर की दूरी पर है. उसने करीब 200 किलोमीटर का पैदल सफर तय कर आगरा तक पहुंचा और फिर करीब 350 किमी दूर लखनऊ तक जाने के लिए ट्रक के साथ निकला. लखनऊ पहुंचकर ट्रकवाले को पैसे देने के बाद प्रवासी मजदूर के पास सिर्फ 10 रुपए बचे. अभी भी घर जाने के लिए उसे सैकड़ों किलोमीटर चलना है, लेकिन पैसे बिल्कुल भी नहीं बचे.

इस बड़ी परेशानी के साथ घर जाने की उम्मीद लगाए और आंखों में आंसू के साथ ओम प्रकाश ने NDTV से कहा, ''मेरे जेब में सिर्फ 10 रुपए है.'' उन्होंने कहा, ''मुझे ट्रक ड्राइवर को आगरा से लखनऊ तक आने के लिए 400 रुपए देने पड़े. मुझे नहीं पता कि मैं क्या करूं.''

करीब 200 मीटर की दूरी पर पुलिस वाले खड़े हुए थे, जहां उन्होंने एक खाली ट्रक को रोका और उनमें से एक कॉन्सटेबल ने कहा, ''इन प्रवासी मजदूरों को पास के रेलवे स्टेशन पर छोड़ दो. वहां कई बसें हैं और सब व्यवस्था हो जाएगी. इन्हें कहीं और मत ले जाना.'' कई मजदूर ट्रक के पीछे चढ़ गए.

ओमप्रकाश जैसे हजारों प्रवासी लखनऊ के पास एक टोल प्लाजा पर घूम रहे हैं, अपने मूल राज्यों में वापस जाने की उम्मीद में सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल रहे हैं. कुछ ने ट्रक चालकों को भारी रकम चुकाने के बाद लखनऊ पहुंचे. ज्यादातर लोगों के पास पैसे नहीं बचे, और घर अभी भी सैकड़ों किलोमीटर दूर है.

कुछ दूरी पर एक ट्रक ड्राइवर जिसका नाम महेंदर कुमार है, वह ट्रक के नीचे खाने के लिए दाल-बाटी बना रहा है. उसे खुद के लिए, अपने हेल्पर और ट्रक में आगरा से लखनऊ तक साथ सफर करने वाले प्रवासी मजदूर के लिए खाना बनाया. उन्हीं में से एक सफर करने वाले मजदूर ने बताया कि ट्रक ड्राइवर ने खाने के लिए एक रुपए तक नहीं लिया.

जब ड्राइवर से पूछा गया कि आप पैसे क्यों नहीं ले रहे, जबकि और लोग काफी पैसे ले रहे हैं. तो जवाब में कहा, ''मेरा जमीर गवाह नहीं देता. कोई भी उनके साथ सहानुभूति रखेगा. सड़कों पर चलने वालों की संख्या का कोई अंत नहीं है; हजारों की संख्या में हैं.''

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