फ्रांस की वायु और अंतरिक्ष सेना की एक टुकड़ी ने प्रशांत महासागर में अपने महा सैन्य अभियान के तहत तमिलनाडु में भारतीय वायु सेना के सुलुर केंद्र पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ठहराव किया है. टुकड़ी के साथ तीन राफेल लड़ाकू विमान भी हैं. भारतीय वायु सेना द्वारा फ्रांस की सेना को दिया गया समर्थन उस साजो-सामान संबंधी सहयोग के समझौते के क्रियान्वयन को दर्शाता है जिसके लिए फ्रांस और भारत ने 2018 में सैन्य सहयोग बढ़ाने के मकसद से हस्ताक्षर किए थे.
फ्रांस के एक वक्तव्य में गुरुवार को कहा गया कि भारतीय वायु सेना के साथ सहयोग दोनों पक्षों के बीच उच्च स्तर के आपसी विश्वास और अंतर-सक्रियता को दर्शाता है. उसने कहा कि फ्रांसीसी टुकड़ी की 10 और 11 अगस्त को वायु सेना केंद्र सुलुर में तकनीकी पड़ाव के लिए मेजबानी की गई. फ्रांसीसी बल 10 अगस्त से 18 सितंबर तक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में लंबी दूरी का मिशन संचालित कर रहा है जिसका कूट नाम पगासे 22 है.
वायुसेना की तरफ से रीडआउट में बताया गया कि फ्रांस के तीन रफाल 10 अगस्त की शाम को वायुसेना स्टेशन सुलूर पर उतरे, इसके बाद 11 अगस्त के शुरुआती घंटों ईंधन भरने के बाद फिर से उड़ान भर ली. इसमें आगे कहा गया कि ऑपरेशन ने फ्रांसीसी और भारतीय वायु सेना के बीच उच्च स्तर के आपसी विश्वास और अंतर-संचालन का प्रदर्शन किया, जिसे इस तथ्य से और बढ़ावा मिला है कि दोनों वायु सेना अब राफेल जेट उड़ाती है.
रीडआउट ने दो वायु सेनाओं के बीच सहयोग का उल्लेख किया जो पारस्परिक रसद समर्थन समझौते के "ठोस" कार्यान्वयन को दर्शाता है. फ्रांसीसी राजदूत इमैनुएल लेनिन ने सफल ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि फ्रांस हिंद-प्रशांत की एक शक्ति है, और यह महत्वाकांक्षी लंबी दूरी की वायु शक्ति प्रक्षेपण क्षेत्र और हमारे सहयोगियों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है. उन्होंने कहा कि यह स्वाभाविक ही है कि इस मिशन को अंजाम देने के लिए फ्रांस ने भारत पर भरोसा किया और इसे फ्रांस का "एशिया में सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार" बताया.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं