भारत के उत्थान के समानांतर ग्लोबल साउथ (Global South) का उदय हो रहा है. ग्लोबल साउथ अब केवल ग्लोबल पॉलिसी अपनाने वाला नहीं हैं, बल्कि सक्रिय रूप से इसे आकार दे रहा है. एनडीटीवी वर्ल्ड समिट (NDTV World Summit) में जी20 में भारत के शेरपा और नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि आने वाले वर्षों में दुनिया की सारी ग्रोथ ग्लोबल साउथ में होने वाली है. समिट में भूटान के पीएम शेरिंग तोबगे ने कहा कि जब प्रमुख वैश्विक मुद्दों को सुलझाने की बात आती है तो पूरी दुनिया, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ, भारत के नेतृत्व की ओर देखता है.
अमिताभ कांत ने कहा कि, आईएमएफ और विश्व बैंक दोनों के अनुसार, अगले चार दशकों में दुनिया में तीन चौथाई विकास ग्लोबल साउथ में होने वाला है. इस साल अगर आप इसे देखें, तो आईएमएफ का कहना है कि ग्लोबल ग्रोथ 3.2% होने जा रही है. विकसित देशों में वृद्धि 1.8% होने जा रही है. विकासशील देशों की ग्रोथ रेट 4.4% रहने वाली है. इसलिए आने वाले वर्षों में सारी ग्रोथ ग्लोबल साउथ से आने वाली है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत, एशिया और अफ्रीका में डेमोग्राफिक्स युवा है. अमेरिका में, यूरोप में बूढ़ों की जनसंख्या बढ़ रही है लेकिन भारत और अफ्रीका में जनसंख्या अत्यंत युवा है और इसलिए सारी ग्रोथ यहीं से आने वाली है.
विकास के लिए टेक्नालॉजी की जरूरत
उन्होंने कहा कि, अब जब सारा विकास यहीं से होने वाला है, तो आपको टेक्नालॉजी के उपयोग की जरूरत है. आपको वित्तीय संस्थानों, वर्क बैंक और आईएमएफ दोनों के रीस्ट्रक्चरिंग की आवश्यकता है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के लिए डिजाइन किए गए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचे को ग्लोबल साउथ के लिए फिर से तैयार किया जाना चाहिए, और यही वह है जो भारत करने की कोशिश कर रहा है. जी 20 में भारत की प्रमुख भूमिका, प्रधानमंत्री मोदी की प्रमुख भूमिका अफ्रीकी संघ को जी 20 का सदस्य बनाने और उसे जी 21 बनाने की था. उन्होंने इसे जी 21 बनाया और ऐसा करके उन्होंने जी 20 को आगे बढ़ाया. जी 20 में दुनिया की आबादी का सिर्फ़ 76% हिस्सा था, उन्होंने इसे 90% तक पहुंचाया. इसे बहुत समावेशी बनाया.
भारत की सदी
जब हम भारत की सदी कहते हैं तो इसके क्या मायने हैं? इस सवाल पर अमिताभ कांत ने कहा कि, पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जो अगले 2.5 वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. यहां की इकॉनामी पिछले साल लगभग 8.2% की दर से बढ़ी है. यह एक मात्र ऐसा देश है जहां आज करीब 35 किलोमीटर सड़क और 12 किलोमीटर रेलवे लाइन हर दिन बन रही है. जो रियल टाइम का लगभग 50 प्रतिशत है.
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उन्होंने कहा कि, दुनिया में फास्ट पेमेंट, जिसने पिछले सात सालों में सौर ऊर्जा उत्पादन में 31 गुना वृद्धि की है. इसे वास्तव में यदि आप हवाईअड्डों के निर्माण के संदर्भ में देखें, तो हर साल करीब नौ एयरपोर्ट और लगभग तीन महानगरों का निर्माण है. दुनिया में कहीं और ऐसा नहीं हो रहा है. यह वास्तव में भारत का न केवल दशक है, बल्कि भारत की शताब्दी है, क्योंकि जनसांख्यिकी बहुत युवा है.
भारत को एक मैन्युफैक्चरिंग नेशन बनने की जरूरत
भारत की 65% जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है. अगर हम उन्हें रोजगार देने में सक्षम हैं और अगर हम उनका उचित स्किल डेवलपमेंट करने में सक्षम हैं, तो उनका भविष्य वास्तविक है. इसलिए जब हम जनसांख्यिकीय लाभांश के बारे में बात करते हैं, तो हमारे लिए रीस्किलिंग के बारे में बात करना कितना महत्वपूर्ण है?
इस सवाल पर उन्होंने कहा कि, यह सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है, क्योंकि भारत केवल सर्विसेज के बल पर आगे नहीं बढ़ सकता. भारत को एक मैन्युफैक्चरिंग नेशन बनने की जरूरत है. आपकी जीडीपी का 17.5% विनिर्माण से आता है. आपको इसे 25% तक ले जाने की जरूरत है. आपको शहरीकरण की जरूरत है क्योंकि अगले पांच दशकों में 500 मिलियन लोग शहरीकरण की प्रक्रिया में शामिल होने जा रहे हैं. इसका मतलब है कि भारत की चुनौती अगले पांच दशकों में दो अमेरिका बनाने की है, आपको अपना कृषि उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत है. कृषि पर निर्भर लोगों की संख्या करीब 45% है, जो बहुत ज्यादा है. इसलिए आपको सभी क्षेत्रों पर काम करने की जरूरत है, सर्विसेज, मैन्युफैक्चरिंग, शहरीकरण, एग्रीकल्चर.. इन सभी पर.
अमिताभ कांत ने कहा कि, मैन्युफैक्चरिंग और शहरीकरण के लिए आपको विकास के बिल्कुल नए क्षेत्र आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, क्वांटम कंप्यूटिंग में लाने के लिए जरूरी कौशल प्रदान करने की जरूरत है. यही कारण है कि भारत ने इन सभी क्षेत्रों में नए मिशन शुरू किए हैं, जिसमें सेमीकंडक्टर के लिए एक मिशन और ग्रीन हाइड्रोजन के लिए एक मिशन शामिल है. यह सब भारत के लिए महत्वपूर्ण है.
आत्मनिर्भरता का मतलब है ग्लोबल वेल्यू चेन का अभिन्न अंग होना
भारत के आत्मनिर्भरता बनने को लेकर पूछे गए सवाल पर अमिताभ कांत ने कहा कि, जब हम आत्मनिर्भरता के बारे में बात करते हैं, तो इसका मतलब ग्लोबल वेल्यू चेन का अभिन्न अंग होना है. आप तीन दशक या उससे ज्यादा समय तक हर साल 9 से 10% की दर से विकास नहीं कर सकते. हमें यह समझना चाहिए कि जब हम विकसित भारत बनने की बात करते हैं, तो हम 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की बात कर रहे हैं. चार ट्रिलियन से 30 ट्रिलियन तक बढ़ने का मतलब है कि आपकी जीडीपी को नौ गुना बढ़ना होगा. आपकी प्रति व्यक्ति आय को आठ गुना और आपके विनिर्माण को 16 गुना बढ़ना होगा. यही चुनौती है.
उन्होंने कहा कि, मुझे लगता है कि इस चुनौती से पार पाने के लिए भारत को वास्तव में वेल्यू चेन्स का एक अभिन्न अंग बनने और गलोबल वेल्यू चेन्स में पैठ बनाने की जरूरत है. आपको बहुत बड़े पैमाने पर निर्यात करने की आवश्यकता है और इसीलिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना पर बहुत जोर दिया जा रहा है. आपको ग्लोबल मार्केट में पैठ बनाने के लिए यहां 10,000 बड़ी विनिर्माण कंपनियों की आवश्यकता है. आपको मैन्यूफैक्चरिंग के आकार और पैमाने की जरूरत है. जैसा कि आप जानते हैं, 12 भारतीय राज्यों को 10% से अधिक की दर से बढ़ना है और ऐसा होना ही चाहिए.
ग्लोबल साउथ को भारत और पीएम मोदी के नेतृत्व पर भरोसा : भूटान के पीएम तोबगे
ग्लोबल साउथ के मुद्दे पर भूटान के पीएम शेरिंग तोबगे ने एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में पिछले 10 वर्षों में भूटान के आर्थिक विकास को गति देने में अहम भूमिका निभाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि जब प्रमुख वैश्विक मुद्दों को सुलझाने की बात आती है तो पूरी दुनिया, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ, भारत के नेतृत्व की ओर देखता है.
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शेरिंग तोबगे ने कहा, "दुनिया को भारत की जरूरत है. यह कई कारणों से भारत की सदी है. भारत की आबादी दुनिया में सबसे ज्यादा है और यह लगातार बढ़ रही है. भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है, यदि कोविड न होता तो पांच ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर जाती. भारत के पास सबसे बड़ा उपभोक्ता आधार है और विशेष रूप से उन्नत देशों में बहुत बड़ा प्रवासी समुदाय है. हर मायने में यह भारत की सदी है.'
समस्या का समाधान करने में सिर्फ भारत सक्षम
भूटान के पीएम ने कहा, "एक चीज जो सबसे अलग है, वह है भारत का नेतृत्व. न केवल भारतीय बल्कि पूरा ग्लोबल साउथ भारत के नेतृत्व पर भरोसा करता है." उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के पिछले दो कार्यकालों का इस्तेमाल आने वाले वर्षों में भारत को आगे ले जाने के लिए किया जाएगा.
प्रधानमंत्री तोबगे ने कहा, "अगर कोई देश किसी समस्या का समाधान कर सकता है, तो वह भारत है. आर्थिक समस्याओं की बात आने पर दुनिया भारतीय बाजारों की ओर देखती है. कोविड महामारी के दौरान दुनिया ने टीकों और दवाओं के लिए भारत की ओर देखा. यहां तक कि रूस और यूक्रेन, अगर कोई व्यक्ति संघर्ष को सुलझा सकता है, तो मेरा मानना है कि वह प्रधानमंत्री मोदी हैं."
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