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This Article is From May 23, 2021

आंदोलन के 6 महीने होने पर "काला दिवस", हजारों की संख्या में किसान करनाल से सिंघु बॉर्डर के लिए रवाना 

Black Day: भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता गुरनाम सिंह चढूनी की अगुवाई में किसानों ने सैकड़ों वाहनों में सवार होकर करनाल के बस्तदा टोल प्लाजा से कूच किया.

आंदोलन के 6 महीने होने पर "काला दिवस", हजारों की संख्या में किसान करनाल से सिंघु बॉर्डर के लिए रवाना 
26 मई को काला दिवस के रूप में मनाएंगे किसान
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन को 6 महीने होने को है
26 मई को काला दिवस के रूप में मनाएंगे किसान
करनाल से गाड़ियों में रवाना हुए हजारों किसान
चंडीगढ़:

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान एक बार फिर बड़ा प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं. किसान कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन (Farmers Protest) के 6 महीने पूरे होने पर 26 मई को 'काला दिवस' के रूप में मनाएंगे. इसी के तहत, रविवार को हरियाणा के करनाल से हजारों की संख्या में किसान दिल्ली के समीप सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) के लिए रवाना हुए. 

भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता गुरनाम सिंह चढूनी की अगुवाई में भारी संख्या में किसान सैकड़ों वाहनों में सवार होकर करनाल के बस्तदा टोल प्लाजा से चले. किसान नेता चढूनी ने कहा कि वे लोग दिल्ली सीमा पर पहुंचने के बाद एक सप्ताह तक लंगर सेवा करेंगे. उन्होंने कहा, "किसान करनाल से रवाना हो गए हैं ताकि दिल्ली के विभिन्न जिलों में आंदोलन का अच्छी तरह प्रतिनिधित्व हो सके."

बता दें कि कोरोना वायरस के मामलों में उछाल के कारण हरियाणा में इस वक्त लॉकडाउन लगा हुआ है. राज्य सरकार ने ग्रामीण इलाकों में कोरोना की रफ्तार में वृद्धि के लिए हरियाणा की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को जिम्मेदार ठहराया है. 

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केंद्र के तीन विवादित कृषि कानूनों को लेकर किसान पिछले कई महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी किसानों की मांग है कि सरकार इन तीनों कानूनों को वापस ले. साथ ही किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी के लिए नया कानून भी चाहते हैं. इस मुद्दे पर सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की बैठक हो चुकी है. हालांकि, ये बैठकें बेनतीजा रहीं.

महामारी के दौरान विरोध प्रदर्शन विनाशकारी साबित हो सकता है इस आरोप पर पलटवार करते हुए चढूनी ने कहा कि यह सरकार ही थी जो संक्रमण फैला रही थी.

उन्होंने कहा, "सरकार सिर्फ अपनी अयोग्यता छिपाने के लिए किसानों को दोष दे रही है. यहां न एंबुलेंस हैै, न बेड और न ही अस्पताल. हमारी अपनी मजबूरियां हैं, लेकिन सरकार क्यों कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं, जहां भीड़ जमा होती है?"

भारतीय किसान यूनियन के नेता ने भी किसानों के रुख को दोहराया कि वे सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं. 40 से अधिक किसान संगठनों की नुमाइंदगी कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बातचीत फिर से शुरू करने का आग्रह किया है.

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