नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले में रूरा स्टेशन के निकट बुधवार तड़के लगभग 5:30 बजे सियालदेह से अजमेर जा रही अजमेर-सियालदह एक्सप्रेस (12987) ट्रेन के 15 डिब्बे पटरी से उतर गए, जिसमें 52 लोग ज़ख्मी हो गए हैं, लेकिन गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है, जब कानपुर के आसपास इसी जिले में कोई ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हुई हो, क्योंकि लगभग सवा महीना पहले ही 20 नवंबर की रात को लगभग 3:00 बजे इसी जिले के पुखरायां में भी मध्य प्रदेश के इंदौर से बिहार की राजधानी पटना जा रही इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन (19321) के 14 डिब्बे पटरी से उतर गए थे, और 150 से ज़्यादा लोग मौत के मुंह में समा गए थे. इस हादसे में 200 से ज़्यादा लोग ज़ख्मी भी हुए थे.
उस समय घटनास्थल पर सेना, NDRF और स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव कार्य में जुटा रहा था, और घायलों को अस्पताल तक ले जाने के लिए 52 एम्बुलेंसों का इंतज़ाम किया गया था. केंद्रीय रेलमंत्री सुरेश प्रभु तथा रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने भी घटनास्थल पर पहुंचकर हालात का जायज़ा लिया था. सुरेश प्रभु ने हादसे की जांच के आदेश देने के साथ-साथ हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को 3.5 लाख रुपये के मुआवज़े की घोषणा की थी, वहीं गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को 50-50 हज़ार, और हल्की चोट वालों को 25-25 हज़ार रुपये का मुआवज़ा दिए जाने का ऐलान किया था.
उस समय उत्तर रेलवे के प्रवक्ता विजय कुमार ने बताया था ट्रेन के पटरी से उतरने की असल वजह की जानकारी जांच के बाद ही पता चल पाएगी, लेकिन सूत्रों का कहना था कि दुर्घटना की प्रकृति और समय से पता चलता है कि हादसा पटरी में टूट-फूट के कारण हुआ है. उस वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी पुलिस महानिदेशक से राहत अभियान पर खुद नज़र रखने के लिए कहा था, तथा केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बताया था कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीम को भी मौके पर भेजा गया है.
बुधवार तड़के हुआ हादसा भी ट्रेन के डिब्बों के पटरी से उतर जाने के कारण हुआ है, लेकिन असल वजह जांच के बाद ही पता चल पाएगी. जानकारी के अनुसार पटरी से उतरे कुल 15 डिब्बों में से दो नहर में गिरे हैं. कुछ देर पहले कानपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक जकी अहमद ने दावा किया था कि ट्रेन की शयनयान श्रेणी के 13 और सामान्य श्रेणी के दो डिब्बे पटरी से उतरने के कारण दो लोगों की मृत्यु हुई है, जबकि 43 लोग घायल हुए हैं. उन्होंने कहा था कि बचाव कार्य पूरा हो चुका है. पटरी से उतरे डिब्बों से सभी यात्रियों को बाहर निकाल लिया गया है. घायल यात्रियों में से 33 को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि 10 का इलाज कानपुर के हैलट अस्पताल में चल रहा है.
उस समय घटनास्थल पर सेना, NDRF और स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव कार्य में जुटा रहा था, और घायलों को अस्पताल तक ले जाने के लिए 52 एम्बुलेंसों का इंतज़ाम किया गया था. केंद्रीय रेलमंत्री सुरेश प्रभु तथा रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने भी घटनास्थल पर पहुंचकर हालात का जायज़ा लिया था. सुरेश प्रभु ने हादसे की जांच के आदेश देने के साथ-साथ हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को 3.5 लाख रुपये के मुआवज़े की घोषणा की थी, वहीं गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को 50-50 हज़ार, और हल्की चोट वालों को 25-25 हज़ार रुपये का मुआवज़ा दिए जाने का ऐलान किया था.
उस समय उत्तर रेलवे के प्रवक्ता विजय कुमार ने बताया था ट्रेन के पटरी से उतरने की असल वजह की जानकारी जांच के बाद ही पता चल पाएगी, लेकिन सूत्रों का कहना था कि दुर्घटना की प्रकृति और समय से पता चलता है कि हादसा पटरी में टूट-फूट के कारण हुआ है. उस वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी पुलिस महानिदेशक से राहत अभियान पर खुद नज़र रखने के लिए कहा था, तथा केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बताया था कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीम को भी मौके पर भेजा गया है.
बुधवार तड़के हुआ हादसा भी ट्रेन के डिब्बों के पटरी से उतर जाने के कारण हुआ है, लेकिन असल वजह जांच के बाद ही पता चल पाएगी. जानकारी के अनुसार पटरी से उतरे कुल 15 डिब्बों में से दो नहर में गिरे हैं. कुछ देर पहले कानपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक जकी अहमद ने दावा किया था कि ट्रेन की शयनयान श्रेणी के 13 और सामान्य श्रेणी के दो डिब्बे पटरी से उतरने के कारण दो लोगों की मृत्यु हुई है, जबकि 43 लोग घायल हुए हैं. उन्होंने कहा था कि बचाव कार्य पूरा हो चुका है. पटरी से उतरे डिब्बों से सभी यात्रियों को बाहर निकाल लिया गया है. घायल यात्रियों में से 33 को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि 10 का इलाज कानपुर के हैलट अस्पताल में चल रहा है.
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