उत्तराखंड के सीएम हरीश रावत ने थिरुवल्लूवर की प्रतिमा लगाने का फैसला लिया है।
देहरादून:
उत्तराखंड सरकार ने हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे मेला भवन के बगीचे में तमिलनाडु के कवि थिरुवल्लूवर की मूर्ति लगाने का फैसला लिया। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि पर्वतीय राज्य दक्षिण के महान संत की प्रतिमा लगाने का मौका मिलने से गौरवान्वित है।
मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के उपाध्यक्ष आर मीनाक्षी सुंदरम ने भाषा को बताया कि मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा हरिद्वार भेजे गए वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के एक दल ने मेला भवन के बगीचे में एक स्थान तय कर लिया है जहां दक्षिण के महान कवि की मूर्ति लगाने के लिये आधारस्तंभ बनाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि मूर्ति लगाने के लिए चुना गया बगीचा काफी बड़ा है और उसी स्थान के पास है जहां फिलहाल मूर्ति को अस्थायी तौर पर रखा गया है। अधिकारी ने कहा कि प्रतिमा स्थापना के लिए आयोजित होने वाले कार्यक्रम के मद्देनजर इस क्षेत्र का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है।
जल्द से जल्द लगाई जाएगी मूर्ति
प्रतिमा स्थापना का समय पूछे जाने पर मीनाक्षीसुंदरम ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इसके लिए 26 जुलाई की संभावित तिथि दी है, लेकिन हरिद्वार जिला प्रशासन का मानना है कि इस दौरान कांवड़ मेले की भीड़ के चलते इस कार्यक्रम को मेले के समापन (31 जुलाई) के बाद करना बेहतर रहेगा।
अधिकारी ने कहा, "तारीख को लेकर हम मुख्यमंत्री के साथ बातचीत करेंगे और जैसा वह कहेंगे, किया जाएगा। हालांकि, हमारा मानना है कि प्रतिमा स्थापना के लिये अगस्त का पहला सप्ताह ज्यादा ठीक रहेगा।" इसी बीच, मुख्यमंत्री रावत ने तमिलनाडु की अपनी समकक्ष जे जयललिता को पत्र लिखकर उन्हें अवगत कराया है कि थिरुवल्लूवर की मूर्ति लगाना उत्तराखंड के लिए बहुत गौरव की बात है और ऐसा पूरी शानो शौकत के साथ किया जायेगा।
पत्र में रावत ने कहा, 'तमिलनाडु के संत कवि पूरे देश में सभी वर्गों के लोगों के लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहे हैं, उत्तराखंड के लिए यह बहुत गौरव की बात है कि प्रसिद्ध कवि की प्रतिमा हरिद्वार में स्थापित की जा रही है।' रावत ने उम्मीद जताई कि जल्दी ही यह प्रतिमा इस शहर का एक अभिन्न हिस्सा बन जाएगी और यहां मौजूद आध्यात्मिक और पर्यटन की दृष्टि से लोकप्रिय स्थानों में से एक बन जाएगी।
दक्षिण भारत में हो रहा विवाद
प्राचीन तमिल कवि थिरुवल्लूवर की प्रतिमा की हरिद्वार में उपेक्षित पड़ी तस्वीरों से दक्षिणी राज्य में भड़क रहे आक्रोश के चलते रावत ने स्थापना तक मूर्ति के लिए एक सरकारी इमारत में एक उचित जगह तलाशने हेतु वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की एक टीम को धर्मनगरी भेजा।
मीनाक्षीसुंदरम ने कहा, "मुख्यमंत्री प्रतिमा की स्थापना को लेकर चल रही प्रक्रिया को तेज करना चाहते हैं।" तमिलनाडु के रहने वाले मीनाक्षीसुंदरम ने हालांकि इस बात से इंकार किया कि संत कवि की मूर्ति लगाने को लेकर साधु और संत विरोध कर रहे थे।
मीनाक्षी सुंदरम ने कहा, "वे थिरुवल्लूवर की मूर्ति लगाए जाने के विरोध मे कभी नहीं थे। वे सिर्फ उनकी मूर्ति हर की पौड़ी पर लगाने के विरोध में थे जहां अब तक केवल हिंदू देवी-देवताओं की ही मूर्तियां लगाई गई हैं।" उन्होंने कहा, "उन्हें आशंका है कि घाट पर थिरुवल्लूवर की प्रतिमा लगाए जाने से विभिन्न मतों को मानने वालों से भी इसी प्रकार की मांगें उठने लगेंगी। तमिल कवि की प्रतिमा फिलहाल मेला भवन के मैदान पर खड़ी हुई है।" एक समाचारपत्र में मेला भवन के परिसर में काली प्लास्टिक से ढंकी हुई उपेक्षित पड़ी प्रतिमा की तस्वीर प्रकाशित होने से तमिलनाडु में काफी आक्रोश फैल गया जिसके बाद वहां की मुख्यमंत्री जयललिता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर हरिद्वार में उनकी मूर्ति स्थापना की प्रक्रिया को तेज करने के लिये हस्तक्षेप करने की मांग की।
दक्षिण भारत के प्राचीन संत कवि थिरुवल्लूवर की महान साहित्यिक विरासत को उत्तर भारत से रूबरू कराने की पहल करते हुए पूर्व भाजपा सांसद तरूण विजय ने उनकी 12 फुट लंबी प्रतिमा हरिद्वार में लाने और उसे स्थापित करने का फैसला किया था। इस संबंध में मुख्यमंत्री रावत ने कहा, "थिरुवल्लूवर की प्रतिमा को हरिद्वार लाने के फैसले से पहले विजय ने स्थानीय पुजारियों और संतों को विश्वास में नहीं लिया। खैर, अब हमने उनकी मूर्ति मेला भवन में लगाने का फैसला कर लिया है।" वह चाहते हैं कि एक सप्ताह के अंदर उनकी मूर्ति स्थापित हो जाए।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के उपाध्यक्ष आर मीनाक्षी सुंदरम ने भाषा को बताया कि मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा हरिद्वार भेजे गए वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के एक दल ने मेला भवन के बगीचे में एक स्थान तय कर लिया है जहां दक्षिण के महान कवि की मूर्ति लगाने के लिये आधारस्तंभ बनाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि मूर्ति लगाने के लिए चुना गया बगीचा काफी बड़ा है और उसी स्थान के पास है जहां फिलहाल मूर्ति को अस्थायी तौर पर रखा गया है। अधिकारी ने कहा कि प्रतिमा स्थापना के लिए आयोजित होने वाले कार्यक्रम के मद्देनजर इस क्षेत्र का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है।
जल्द से जल्द लगाई जाएगी मूर्ति
प्रतिमा स्थापना का समय पूछे जाने पर मीनाक्षीसुंदरम ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इसके लिए 26 जुलाई की संभावित तिथि दी है, लेकिन हरिद्वार जिला प्रशासन का मानना है कि इस दौरान कांवड़ मेले की भीड़ के चलते इस कार्यक्रम को मेले के समापन (31 जुलाई) के बाद करना बेहतर रहेगा।
अधिकारी ने कहा, "तारीख को लेकर हम मुख्यमंत्री के साथ बातचीत करेंगे और जैसा वह कहेंगे, किया जाएगा। हालांकि, हमारा मानना है कि प्रतिमा स्थापना के लिये अगस्त का पहला सप्ताह ज्यादा ठीक रहेगा।" इसी बीच, मुख्यमंत्री रावत ने तमिलनाडु की अपनी समकक्ष जे जयललिता को पत्र लिखकर उन्हें अवगत कराया है कि थिरुवल्लूवर की मूर्ति लगाना उत्तराखंड के लिए बहुत गौरव की बात है और ऐसा पूरी शानो शौकत के साथ किया जायेगा।
पत्र में रावत ने कहा, 'तमिलनाडु के संत कवि पूरे देश में सभी वर्गों के लोगों के लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहे हैं, उत्तराखंड के लिए यह बहुत गौरव की बात है कि प्रसिद्ध कवि की प्रतिमा हरिद्वार में स्थापित की जा रही है।' रावत ने उम्मीद जताई कि जल्दी ही यह प्रतिमा इस शहर का एक अभिन्न हिस्सा बन जाएगी और यहां मौजूद आध्यात्मिक और पर्यटन की दृष्टि से लोकप्रिय स्थानों में से एक बन जाएगी।
दक्षिण भारत में हो रहा विवाद
प्राचीन तमिल कवि थिरुवल्लूवर की प्रतिमा की हरिद्वार में उपेक्षित पड़ी तस्वीरों से दक्षिणी राज्य में भड़क रहे आक्रोश के चलते रावत ने स्थापना तक मूर्ति के लिए एक सरकारी इमारत में एक उचित जगह तलाशने हेतु वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की एक टीम को धर्मनगरी भेजा।
मीनाक्षीसुंदरम ने कहा, "मुख्यमंत्री प्रतिमा की स्थापना को लेकर चल रही प्रक्रिया को तेज करना चाहते हैं।" तमिलनाडु के रहने वाले मीनाक्षीसुंदरम ने हालांकि इस बात से इंकार किया कि संत कवि की मूर्ति लगाने को लेकर साधु और संत विरोध कर रहे थे।
मीनाक्षी सुंदरम ने कहा, "वे थिरुवल्लूवर की मूर्ति लगाए जाने के विरोध मे कभी नहीं थे। वे सिर्फ उनकी मूर्ति हर की पौड़ी पर लगाने के विरोध में थे जहां अब तक केवल हिंदू देवी-देवताओं की ही मूर्तियां लगाई गई हैं।" उन्होंने कहा, "उन्हें आशंका है कि घाट पर थिरुवल्लूवर की प्रतिमा लगाए जाने से विभिन्न मतों को मानने वालों से भी इसी प्रकार की मांगें उठने लगेंगी। तमिल कवि की प्रतिमा फिलहाल मेला भवन के मैदान पर खड़ी हुई है।" एक समाचारपत्र में मेला भवन के परिसर में काली प्लास्टिक से ढंकी हुई उपेक्षित पड़ी प्रतिमा की तस्वीर प्रकाशित होने से तमिलनाडु में काफी आक्रोश फैल गया जिसके बाद वहां की मुख्यमंत्री जयललिता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर हरिद्वार में उनकी मूर्ति स्थापना की प्रक्रिया को तेज करने के लिये हस्तक्षेप करने की मांग की।
दक्षिण भारत के प्राचीन संत कवि थिरुवल्लूवर की महान साहित्यिक विरासत को उत्तर भारत से रूबरू कराने की पहल करते हुए पूर्व भाजपा सांसद तरूण विजय ने उनकी 12 फुट लंबी प्रतिमा हरिद्वार में लाने और उसे स्थापित करने का फैसला किया था। इस संबंध में मुख्यमंत्री रावत ने कहा, "थिरुवल्लूवर की प्रतिमा को हरिद्वार लाने के फैसले से पहले विजय ने स्थानीय पुजारियों और संतों को विश्वास में नहीं लिया। खैर, अब हमने उनकी मूर्ति मेला भवन में लगाने का फैसला कर लिया है।" वह चाहते हैं कि एक सप्ताह के अंदर उनकी मूर्ति स्थापित हो जाए।
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