रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण अपने अमेरिकी समकक्ष जेम्स मैटिस के साथ.
नई दिल्ली:
भारत दौरे पर आए अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने भरोसा दिलाया कि दुनिया में कहीं भी सुरक्षित आतंकवादी ठिकाने होने कि इजाज़त नहीं दी जा सकती है. जेम्स मैटिस ने भारत की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाक़ात की और दोनों देशों ने एक साझा बयान जारी किया. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने मैटिस से कहा कि वह जब पाकिस्तान जाएं तो उन्हें सुरक्षित आतंकवादी ठिकानों पर बातचीत करनी चाहिए. दोनों ने आतंकवाद पर विस्तार से चर्चा की है.
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निर्मला सीतारमण ने अमेरिका के रक्षा मंत्री से कहा कि जो ताकतें पाकिस्तान में पलती हैं, वह न्यूयॉर्क और मुंबई को दहलाने की ज़िम्मेदार हैं. जो देश आतंकवाद को सरकारी नीति के रूप में लेते हैं, उन्हें आतंकी ढांचे को ख़त्म करना चाहिए.
मैटिस ने कहा कि कहीं भी सुरक्षित आतंकी ठिकाने होने की इजाज़त नहीं दी जा सकती. इसको ख़त्म करने में हम भारत के साथ मिलकर काम करेंगे. हम रक्षा क्षेत्र से जुड़ी अत्याधुनिक तकनीकें भारत के साथ साझा करेंगे.
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भारत और अमेरिका ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर ज़ोर दिया है. इसके तहत अब दोनों देशों के बीच साझा सैन्य अभ्यास बढ़ाए जाएंगे और रक्षा तकनीक के हस्तानांतरण में भी तेज़ी लाई जाएगी. दोनों नेताओं ने दक्षिण चीन सागर में नेविगेशन की आज़ादी पर खासा ज़ोर दिया. गौरतलब है कि चीन इसका विरोधी रहा है. गौरतलब है कि ट्रंप के के राष्ट्रपति बनने के बाद यह पहला मौका है कि अमेरिका का कोई मंत्री भारत आया है. अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मुलाकत करेंगे. अमेरिकी रक्षा मंत्री मैटिस के भारत दौरे से अहम रक्षा समझौते पर मुहर लग सकती है.
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वहीं, मैटिस के भारत दौरे के संबंध में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय के हवाले से कहा गया है कि मैटिस का भारत दौरा दोनों देशों के लिए बेहद अहम और प्रभावशाली होगा.
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निर्मला सीतारमण ने अमेरिका के रक्षा मंत्री से कहा कि जो ताकतें पाकिस्तान में पलती हैं, वह न्यूयॉर्क और मुंबई को दहलाने की ज़िम्मेदार हैं. जो देश आतंकवाद को सरकारी नीति के रूप में लेते हैं, उन्हें आतंकी ढांचे को ख़त्म करना चाहिए.
मैटिस ने कहा कि कहीं भी सुरक्षित आतंकी ठिकाने होने की इजाज़त नहीं दी जा सकती. इसको ख़त्म करने में हम भारत के साथ मिलकर काम करेंगे. हम रक्षा क्षेत्र से जुड़ी अत्याधुनिक तकनीकें भारत के साथ साझा करेंगे.
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भारत और अमेरिका ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर ज़ोर दिया है. इसके तहत अब दोनों देशों के बीच साझा सैन्य अभ्यास बढ़ाए जाएंगे और रक्षा तकनीक के हस्तानांतरण में भी तेज़ी लाई जाएगी. दोनों नेताओं ने दक्षिण चीन सागर में नेविगेशन की आज़ादी पर खासा ज़ोर दिया. गौरतलब है कि चीन इसका विरोधी रहा है. गौरतलब है कि ट्रंप के के राष्ट्रपति बनने के बाद यह पहला मौका है कि अमेरिका का कोई मंत्री भारत आया है. अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मुलाकत करेंगे. अमेरिकी रक्षा मंत्री मैटिस के भारत दौरे से अहम रक्षा समझौते पर मुहर लग सकती है.
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वहीं, मैटिस के भारत दौरे के संबंध में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय के हवाले से कहा गया है कि मैटिस का भारत दौरा दोनों देशों के लिए बेहद अहम और प्रभावशाली होगा.
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