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"...तो ऐसे ही संबोधित किया जाएगा" : राहुल गांधी को लेकर चिराग पासवान ने क्‍यों कहा ऐसा 

चिराग पासवान ने कहा कि जिस तरह से विपक्ष ने हंगामा किया वो शर्मनाक था. उन्‍होंने कहा कि पीएम मोदी ने आज मर्यादित शब्दों में नेता प्रतिपक्ष की सभी बातों का जवाब दिया है.

चिराग पासवान ने कहा कि जब आपके पास कोई तर्क नहीं होता है, तभी आप हंगामा करते हैं. (फाइल)

नई दिल्‍ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब दिया. इस दौरान विपक्षी सांसद लगातार हंगामा करते रहे. केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने इसे लेकर कहा कि जिस तरह विपक्ष हंगामा कर रहा था, वह बहुत ही शर्मनाक था. उन्‍होंने कांग्रेस को लेकर कहा कि वह डेढ़ सौ साल पुरानी पार्टी है, वह किस तरह की परंपरा स्थापित कर रहे हैं. जब आपके पास कहने को कोई तर्क नहीं होता है, तभी आप इस तरह हंगामा करते हैं. 

मणिपुर सहित कई मुद्दों पर विपक्षी सांसदों ने जमकर हंगामा किया. इसे लेकर चिराग पासवान ने कहा कि मणिपुर को लेकर अगर इतनी ही चिंता थी तो आप मणिपुर के सांसद को बोलने का मौका देते. आप उनको समय देते समय तो आपके पास था, लेकिन आपने नहीं दिया. एक घंटे से ज्यादा का समय विपक्ष को दिया गया. विपक्ष की प्राथमिकता में ही मणिपुर नहीं है. 

PM मोदी ने मर्यादित शब्‍दों में जवाब दिया : पासवान 

उन्‍होंने कहा कि इस तरह सदन में हम लोगों ने कभी नहीं देखा, ऐसी परंपरा होनी भी नहीं चाहिए. सत्ता पक्ष और विपक्ष में इतना संयम होना चाहिए कि दोनों की बातों को सुनें. उन्‍होंने कहा, "आज प्रधानमंत्री जी ने मर्यादित शब्दों में जवाब दिया है, कल विपक्ष के नेता ने सही गलत जो भी बातें की सबका जवाब दिया, लेकिन विपक्ष सुनने को तैयार नहीं. सच कहें तो प्रधानमंत्री जी ने विपक्ष के नेता को पानी पिलाने का काम किया है."

'विपक्ष के नेता होने के बावजूद अपनी मर्यादा नहीं समझे' 

उन्‍होंने राहुल गांधी को लेकर कहा, "जब आप ऐसी हरकत करेंगे तो आपको ऐसे ही संबोधित किया जाएगा. बाल बुद्धि कहकर प्रधानमंत्री जी ने संबोधित किया. आप विपक्ष के नेता होने के बावजूद अभी तक अपनी मर्यादा को नहीं समझे. यह काम विपक्ष के नेता को शोभा नहीं देता है. आप जिम्मेदारी वाले पद पर बैठे हैं उसकी गरिमा को समझिए."

राहुल गांधी को लेकर पासवान ने कहा कि उनके आचरण की भर्त्सना की गई है और होनी भी चाहिए. ऐसी परंपरा को हम आने वाली पीढ़ी को सौंपकर नहीं जा सकते हैं. 

उन्‍होंने कहा कि टकराव से किसी को परहेज नहीं है. लोकतंत्र में टकराव होते रहने चाहिए, लेकिन इस तरह से नहीं कि आप सवाल कीजिए, सरकार जवाब दीजिए. इस तरह से नहीं कि जब जवाब देने की बारी आई तो आप सुनेंगे ही नहीं. 

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