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अरावली पर बड़ा खुलासा: '100 मीटर ऊंची पहाड़ियों पर खनन की बात पूरी तरह गलत', केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया क्या है सरकार का असली प्लान

Aravali Mining Row: अरावली की पहाड़ियों को लेकर चल रहे भारी विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने पहली बार चुप्पी तोड़ी है. 31 पहाड़ों के गायब होने और 100 मीटर की ऊंचाई पर खनन की खबरों ने सबको डरा दिया था. क्या सरकार सच में पहाड़ों को काटने की इजाजत दे रही है? मंत्री के इस 'एक्सक्लूसिव' जवाब ने पूरी तस्वीर बदल दी है.

अरावली पर बड़ा खुलासा: '100 मीटर ऊंची पहाड़ियों पर खनन की बात पूरी तरह गलत', केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया क्या है सरकार का असली प्लान
अरावली में 100 मीटर की ऊंचाई पर खनन का सच क्या है? भूपेंद्र यादव ने दूर किया सबसे बड़ा 'कन्फ्यूजन'
PTI

Delhi News: अरावली की पहाड़ियों (Aravali Hills) को लेकर चल रहे विवादों के बीच देश के पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupender Yadav) ने सरकार का पक्ष साफ कर दिया है. उन्होंने एक खास इंटरव्यू में बताया कि सरकार अरावली को बचाने के लिए क्या कर रही है और जो बातें फैलाई जा रही हैं, उनमें कितनी सच्चाई है.

सवाल 1: अरावली को बचाना क्यों इतना बड़ा मुद्दा बन गया है?

जवाब: अरावली को बचाना सिर्फ पहाड़ों का मामला नहीं है. यह हमारे पर्यावरण, पीने के पानी और प्रकृति के संतुलन से जुड़ा है. सरकार इसे सुरक्षित रखने के लिए पूरी तरह तैयार है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर स्पष्ट आदेश दिए हैं. हमारा सबसे बड़ा लक्ष्य अवैध खनन (Illegal Mining) को पूरी तरह रोकना है. जब तक वैज्ञानिकों की टीम एक पक्का प्लान नहीं बना लेती, तब तक वहां किसी भी नई खुदाई की अनुमति नहीं दी जाएगी.

सवाल 2: क्या सुप्रीम कोर्ट ने खनन के नियमों में कोई ढील दी है?

जवाब: बिल्कुल नहीं. कोर्ट ने कोई छूट नहीं दी है, बल्कि दो जरूरी बातें कही हैं. पहली- सरकार के 'ग्रीन अरावली प्रोजेक्ट' (हरियाली बढ़ाने की योजना) को मंजूरी दी है. दूसरी, वैज्ञानिकों (ICFRE) को जिम्मेदारी दी है कि वे अरावली का पूरा नक्शा और सुरक्षा प्लान तैयार करें. जब तक यह वैज्ञानिक रिपोर्ट नहीं आती, कोई नया खनन शुरू नहीं हो सकता.

सवाल 3: चर्चा है कि 100 मीटर ऊंची पहाड़ियों पर अब खनन हो सकेगा, क्या यह सच है? 

जवाब: यह बात पूरी तरह गलत है. 100 मीटर की ऊंचाई पर खनन की कोई अलग से परमिशन नहीं दी गई है. असल में, हम पहाड़ियों की पहचान कर रहे हैं. नियम यह है कि अगर कोई पहाड़ी 200 मीटर ऊंची है, तो उसके आसपास का 500 मीटर का इलाका भी अरावली का हिस्सा माना जाएगा और वहां कुछ नहीं होगा. अरावली की 90% खेती वाली जमीन को भी हमने खनन से पूरी तरह बाहर रखा है.

सवाल 4: यह 100 मीटर की ऊंचाई कैसे नापी जाएगी? 

जवाब: इसे ऊपर या नीचे से नहीं नापा जाएगा. इसे उस जिले की जमीन के स्तर (Ground Level) के हिसाब से तय किया जाएगा. यानी जमीन से लेकर पहाड़ की चोटी तक की पूरी बनावट को देखा जाएगा.

सवाल 5: सुप्रीम कोर्ट में सरकार का रुख क्या पहले जैसा ही है?

जवाब: हां, यह कोई नया स्टैंड नहीं है. अवैध खनन रोकने के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई गई थी, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर ही कोर्ट का यह फैसला आया है. यह एक लंबी कानूनी प्रक्रिया का नतीजा है.

सवाल 6: कांग्रेस के समय अरावली की क्या स्थिति थी?

जवाब: उस समय बहुत ज्यादा अवैध खनन हो रहा था, जिसकी वजह से लोग कोर्ट गए थे. अब हमारी सरकार इसे वैज्ञानिक तरीके से सुधार रही है ताकि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे.

सवाल 7: आपने पहले कहा था कि 31 पहाड़ गायब हो गए हैं, अगर ऐसा ही रहा तो क्या होगा?

जवाब: इसी खतरे को रोकने के लिए हम हर जिले के लिए एक खास सुरक्षा प्लान (Management Plan) बना रहे हैं. बिना साइंटिफिक प्लानिंग के अब वहां कोई काम नहीं होगा. हमारा मकसद पहाड़ों और प्रकृति को हर हाल में बचाना है.

सवाल 8: क्या चित्तौड़गढ़ और सवाई माधोपुर को इस सुरक्षा प्लान से बाहर रखा गया है?

जवाब: यह खबर पूरी तरह गलत है. अरावली के जितने भी हिस्से हैं, चाहे वो कोई भी जिला हो, सबको इस सुरक्षा योजना में शामिल किया गया है. किसी को बाहर नहीं रखा गया.

सवाल 9: क्या अरावली को लेकर लोगों के बीच भ्रम फैलाया जा रहा है?

जवाब: जो लोग झूठ फैला रहे हैं, वे अपने राजनीतिक फायदे के लिए ऐसा कर रहे हैं. लेकिन जनता अब सच जान चुकी है, इसलिए वे सफल नहीं हो पाएंगे.

सवाल 10: क्या इस विरोध के पीछे कोई विदेशी ताकत या एनजीओ है?

जवाब: विपक्षी दल जनता को डराने की कोशिश कर रहे हैं, जैसा पहले भी कई बड़े प्रोजेक्ट्स के समय किया गया है. लेकिन सरकार पूरी पारदर्शिता के साथ काम कर रही है और पहाड़ों को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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