सुप्रीम कोर्ट का फाइल फोटो...
नई दिल्ली:
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की ब्रिटिश नागरिकता विवाद मामले में वकील एम एल शर्मा को सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करने पर चीफ जस्टिस एच एल दत्तू के कई सवालों का सामना करना पड़ा। इस मामले में सीबीआई जांच की मांग करने वाले वकील शर्मा की याचिका जब सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश की बेंच के सामने आई तो सीजेआई ने वकील शर्मा से कई बुनियादी सवाल पूछ डाले।
जब बुनियादी सवालों पर निरुत्तर वकील पर नाराज हुए सीजेआई
मसलन, किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ जनहित याचिका कैसे दायर की जा सकती? आपको ये पेपर (वो पेपर जिसको आधार बनाकर ब्रिटिश नागरिकता का विवाद खड़ा किया गया) कहां से मिला? इस पेपर की प्रामाणिकता का सबूत क्या है? आपने सीबीआई को भी शिकायत लिखी थी, उसका सबूत क्या है? आपने इस मामले में राष्ट्रपति को भी शिकायत लिखी थी, राष्ट्रपति को लिखने का आधार क्या था?... इन सब सवालों पर एम एल शर्मा निरुत्तर थे। सीजेआई जस्टिस दत्तू एम एल शर्मा पर नाराज़ थे। याचिका खारिज करते हुए वे बस इतना ही कह पाए 'मैं इस पद पर केवल दो और दिन के लिए हूं... आपके खिलाफ जुर्माना लगाने के लिए बाध्य मत करिये।' गौरतलब है कि जस्टिस एच एल दत्तू 2 दिसम्बर को सेवानिवृत हो रहे हैं।
चीफ जस्टिस ने बयां किया एक मार्मिक अनुभव
तब जस्टिस एच एल दत्तू ने जनहित याचिका कैसी होनी चाहिए ये बताने के लिए अपना एक मार्मिक अनुभव बयां किया। उन्होंने बताया, जब वो एक मंदबुद्धि केंद्र में गए, जहां 49 बच्चों के लिए केवल एक तौलिया, एक टूथ ब्रश और एक ही बाथ टब था। एक ही टूथ ब्रश से सभी बच्चे ब्रश करते थे। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में जनहित याचिका दाखिल की जानी चाहिए और मांग की जानी चाहिए कि कोर्ट राज्य सरकार को ये आदेश दे कि इन बच्चों को 49 टूथ ब्रश और 49 टावल उपलब्ध कराए जाएं। जस्टिस दत्तू ने बताया कि इसके बाद उन्होंने वहां के जिलाधिकारी को उचित व्यवस्था के लिए आदेश दिया था।
CJI बोले, हम इस तुच्छ याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकते
इसके साथ ही जस्टिस दत्तू ने याचिकाकर्ता एम एल शर्मा को जमकर फटकार भी लगाई और कहा कि आप कैसे किसी व्यक्तिगत मामले में जनहित याचिका दाखिल कर सकते हैं? हम हर मामले में चलते-फिरते जांच के आदेश नहीं दे सकते। अगर ऐसा होगा तो हो सकता है कि कोई सेंसेटिव व्यक्ति खुदकुशी भी कर सकता है। पिछले हफ्ते जस्टिस लोकुर ने एक आदेश पारित किया था कि कोर्ट को किसी व्यक्तिगत मामले में जनहित याचिका को स्वीकार नहीं करना चाहिए। हम इस तुच्छ याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकते।
राहुल गांधी के खिलाफ की गई थी एफआईआर दर्ज कराने की मांग
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ दोहरी नागरिकता के मामले में सीबीआई को मामला दर्ज करने का आदेश देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर कहा था। राहुल गांधी पर कथित आरोप है कि उन्होंने 2003 में ब्रिटेन में कंपनी रजिस्ट्रार के समक्ष स्वयं को ब्रिटिश नागरिक बताया था। याचिकाकर्ता वकील एमएल शर्मा ने याचिका में कहा था कि राहुल गांधी ने खुद को ब्रिटिश नागरिक बताया है तो वो भारत के नागरिक कैसे हो सकते हैं? ऐसे में 2004 और 2009 में अमेठी लोकसभा चुनाव में दाखिल हलफनामा भी सही नहीं हो सकता। याचिका में मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट राहुल के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जीवाडे़ की एफआईआर दर्ज करने के आदेश दे और सीबीआई से मामले की जांच कराए।
जब बुनियादी सवालों पर निरुत्तर वकील पर नाराज हुए सीजेआई
मसलन, किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ जनहित याचिका कैसे दायर की जा सकती? आपको ये पेपर (वो पेपर जिसको आधार बनाकर ब्रिटिश नागरिकता का विवाद खड़ा किया गया) कहां से मिला? इस पेपर की प्रामाणिकता का सबूत क्या है? आपने सीबीआई को भी शिकायत लिखी थी, उसका सबूत क्या है? आपने इस मामले में राष्ट्रपति को भी शिकायत लिखी थी, राष्ट्रपति को लिखने का आधार क्या था?... इन सब सवालों पर एम एल शर्मा निरुत्तर थे। सीजेआई जस्टिस दत्तू एम एल शर्मा पर नाराज़ थे। याचिका खारिज करते हुए वे बस इतना ही कह पाए 'मैं इस पद पर केवल दो और दिन के लिए हूं... आपके खिलाफ जुर्माना लगाने के लिए बाध्य मत करिये।' गौरतलब है कि जस्टिस एच एल दत्तू 2 दिसम्बर को सेवानिवृत हो रहे हैं।
चीफ जस्टिस ने बयां किया एक मार्मिक अनुभव
तब जस्टिस एच एल दत्तू ने जनहित याचिका कैसी होनी चाहिए ये बताने के लिए अपना एक मार्मिक अनुभव बयां किया। उन्होंने बताया, जब वो एक मंदबुद्धि केंद्र में गए, जहां 49 बच्चों के लिए केवल एक तौलिया, एक टूथ ब्रश और एक ही बाथ टब था। एक ही टूथ ब्रश से सभी बच्चे ब्रश करते थे। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में जनहित याचिका दाखिल की जानी चाहिए और मांग की जानी चाहिए कि कोर्ट राज्य सरकार को ये आदेश दे कि इन बच्चों को 49 टूथ ब्रश और 49 टावल उपलब्ध कराए जाएं। जस्टिस दत्तू ने बताया कि इसके बाद उन्होंने वहां के जिलाधिकारी को उचित व्यवस्था के लिए आदेश दिया था।
CJI बोले, हम इस तुच्छ याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकते
इसके साथ ही जस्टिस दत्तू ने याचिकाकर्ता एम एल शर्मा को जमकर फटकार भी लगाई और कहा कि आप कैसे किसी व्यक्तिगत मामले में जनहित याचिका दाखिल कर सकते हैं? हम हर मामले में चलते-फिरते जांच के आदेश नहीं दे सकते। अगर ऐसा होगा तो हो सकता है कि कोई सेंसेटिव व्यक्ति खुदकुशी भी कर सकता है। पिछले हफ्ते जस्टिस लोकुर ने एक आदेश पारित किया था कि कोर्ट को किसी व्यक्तिगत मामले में जनहित याचिका को स्वीकार नहीं करना चाहिए। हम इस तुच्छ याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकते।
राहुल गांधी के खिलाफ की गई थी एफआईआर दर्ज कराने की मांग
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ दोहरी नागरिकता के मामले में सीबीआई को मामला दर्ज करने का आदेश देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर कहा था। राहुल गांधी पर कथित आरोप है कि उन्होंने 2003 में ब्रिटेन में कंपनी रजिस्ट्रार के समक्ष स्वयं को ब्रिटिश नागरिक बताया था। याचिकाकर्ता वकील एमएल शर्मा ने याचिका में कहा था कि राहुल गांधी ने खुद को ब्रिटिश नागरिक बताया है तो वो भारत के नागरिक कैसे हो सकते हैं? ऐसे में 2004 और 2009 में अमेठी लोकसभा चुनाव में दाखिल हलफनामा भी सही नहीं हो सकता। याचिका में मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट राहुल के खिलाफ धोखाधड़ी और फर्जीवाडे़ की एफआईआर दर्ज करने के आदेश दे और सीबीआई से मामले की जांच कराए।
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