यूपीएससी टॉपर इरा सिंघल की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
यूपीएससी के रिजल्ट आने के बाद टॉप पांच में से ऊपर के चार स्थानों पर लड़कियों का कब्जा रहा। पहले नंबर पर इरा सिंघल, दूसरे नंबर पर रितु राज, तीसरे नंबर पर निधि गुप्ता और चौथे नंबर पर निधि राव व पांचवे नंबर पर बिहार के सहर्ष भगत है। इरा सिंघल आदतन टॉपर रही हैं। लोरेंटो कांवेंट से लेकर दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग तक की परीक्षा में वो पहले स्थान पर रही हैं।
इस बार इरा सिंघल ने 60 फीसदी के करीब शारीरिक विकलांग होने के बावजूद सामान्य वर्ग में टॉप करके इतिहास रच दिया। लेकिन ये बात हैरान करने वाली है कि पांच साल पहले आईआरएस बनने के बावजूद इरा सिंघल को नियुक्ति के लिए 2014 तक का इंतजार करना पड़ा।
शारीरिक रूप से विकलांगता का बहाना बनाकर पहले डीओपीडी ने अंड़गा लगा दिया, फिर रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने ये कहकर आपत्ति कर दी कि वो हाथ से भार नहीं उठा सकती हैं। इस कामयाबी के बावजूद चार साल के बीच उन्होंने कई परीक्षाएं दी और साबित किया कि मानसिक रूप से उनकी मजबूती सामान्य लोगों से कहीं ज्यादा है।
तब जाकर उनको ट्रेनिंग की परमिशन मिली। लेकिन 2015 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में सामान्य वर्ग में टॉप करके इरा सिंघल ने करारा जवाब उन लोगों को दिया है, जो विकलांगता को काम में बड़ी मुश्किल मानते हैं।
इरा सिंघल का करियर पढ़ाई के मामले में चमकदार रहा है। उनके पिता राजेंद्र सिंघल बताते हैं कि लोरेटो कांन्वेंट से लेकर इंजीनियर कॉलेज और फिर यूपीएससी तक की परीक्षा में पहले ही प्रयास में इरा सिंघल ने कामयाबी हासिल की है।
ये बात अलग है कि उसकी कामयाबी को धक्का 2010 में लगा, जब उसे आईआरएस में विकलांग होने के नाम पर नियुक्ति नहीं मिली। बीते चार साल से उसके पिता ने नार्थ ब्लॉक से लेकर कैट में मुकदमा करने तक का लंबा संघर्ष किया।
कैट के आदेश के छह महीने बाद उसे आईआरएस की ट्रेनिंग पर भेजा गया। इसी के चलते इस बार भी उसका परिवार इस बात को लेकर आशंकित है कि आईएएस में टॉप करने के बावजूद कहीं नियुक्ति में शारीरिक विकलांगता आड़े ना आ जाए।
इस बार इरा सिंघल ने 60 फीसदी के करीब शारीरिक विकलांग होने के बावजूद सामान्य वर्ग में टॉप करके इतिहास रच दिया। लेकिन ये बात हैरान करने वाली है कि पांच साल पहले आईआरएस बनने के बावजूद इरा सिंघल को नियुक्ति के लिए 2014 तक का इंतजार करना पड़ा।
शारीरिक रूप से विकलांगता का बहाना बनाकर पहले डीओपीडी ने अंड़गा लगा दिया, फिर रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने ये कहकर आपत्ति कर दी कि वो हाथ से भार नहीं उठा सकती हैं। इस कामयाबी के बावजूद चार साल के बीच उन्होंने कई परीक्षाएं दी और साबित किया कि मानसिक रूप से उनकी मजबूती सामान्य लोगों से कहीं ज्यादा है।
तब जाकर उनको ट्रेनिंग की परमिशन मिली। लेकिन 2015 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में सामान्य वर्ग में टॉप करके इरा सिंघल ने करारा जवाब उन लोगों को दिया है, जो विकलांगता को काम में बड़ी मुश्किल मानते हैं।
इरा सिंघल का करियर पढ़ाई के मामले में चमकदार रहा है। उनके पिता राजेंद्र सिंघल बताते हैं कि लोरेटो कांन्वेंट से लेकर इंजीनियर कॉलेज और फिर यूपीएससी तक की परीक्षा में पहले ही प्रयास में इरा सिंघल ने कामयाबी हासिल की है।
ये बात अलग है कि उसकी कामयाबी को धक्का 2010 में लगा, जब उसे आईआरएस में विकलांग होने के नाम पर नियुक्ति नहीं मिली। बीते चार साल से उसके पिता ने नार्थ ब्लॉक से लेकर कैट में मुकदमा करने तक का लंबा संघर्ष किया।
कैट के आदेश के छह महीने बाद उसे आईआरएस की ट्रेनिंग पर भेजा गया। इसी के चलते इस बार भी उसका परिवार इस बात को लेकर आशंकित है कि आईएएस में टॉप करने के बावजूद कहीं नियुक्ति में शारीरिक विकलांगता आड़े ना आ जाए।
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