सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली में प्रदूषण को लेकर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आज संकेत दिए कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में बाहर से आने वाले कमर्शियल वाहनों से लिया जाने वाला ग्रीन टैक्स अब 700 से बढ़ाकर 1300 रुपये किया जा सकता है। इसके अलावा 2000cc से ज़्यादा की डीज़ल गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन भी दिल्ली में नहीं किया जाएगा। वहीं, अप्रैल 2016 तक, 2005 से पहले के पंजीकृत वाहनों को दिल्ली-NCR में बैन किया जा सकता है।
लोगों की जान पर बनी है, आपको कार बेचने की पड़ी है : कार डीलरों से CJI
मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने कहा कि चीफ जस्टिस ने कहा अमीर लोग SUV और लग्जरी गाड़ियों से वातावरण को प्रदूषित नहीं कर सकते। साथ ही सीजेआई ने कार डीलरों से कहा कि लोगों की जान पर बनी हुई है और आपको कार बेचने की पड़ी है। इसके अलावा चीफ जस्टिस ने सम-विषम फॉर्मूले पर पर कहा कि हमने आपको रोक नहीं रहे, लेकिन सवाल ये है कि इसे किस तरह लागू किया जाएगा? कौन इसे लागू कराएगा और इससे क्या सही में कोई फायदा होगा? क्या इससे कंफ्यूजन होगा? ये हम नहीं जानते।
'पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल में केरोसिन मिलाते हैं, कोई चेक नहीं करता'
इससे पहले आज मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने केंद्र और दिल्ली सरकार से सवाल करते हुए कहा कि आप दोनों क्यों नहीं साथ बैठकर दिल्ली के वातावरण को साफ करने का समाधान निकालते? ये क्रेडिट आप अपने हाथ में क्यों नहीं लेते? आप ये मौका हाथ से क्यों जाने देना चाहते हैं? न्यायालय ने सवाल उठाते हुए कहा कि पेट्रोल पंपों में पेट्रोल में केरोसिन मिलाया जाता है, लेकिन कोई चेक करने वाला नहीं। पेट्राेल पंपों के मामले में भी पॉलिसी बननी चाहिए। अगर ईंधन में ही मिलावट होगी तो प्रदूषण तो होगा ही। मिलावटी ईंधन के बावजूद हमारी गाडि़यां हरफनमौला हैं... क्योंकि ये उसी से चलती हैं।
दिल्ली में वाहनों की संख्या 97 फीसदी बढ़ी- हरीश साल्वे
मामले की सुनवाई के दौरान एमिक्स क्यूरी हरीश साल्वे ने कहा कि साल 2000 से दिल्ली में वाहनों की संख्या 97 फीसदी बढ़ी है। दिल्ली में करीब 85 लाख वाहन हो गए हैं, जबकि लॉस एंजिलिस में 65 लाख, न्यूयॉर्क में 77 लाख वाहन हैं। दिल्ली में डीजल की गाड़ियों संख्या 30 फीसदी बढ़ी है।
दरअसल, दिल्ली समेत देश के 13 शहरों में डीजल गाड़ियों पर बैन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की। मामले में कोर्ट यह तय करेगा कि देश के बड़े शहरों में डीज़ल गाड़ियों पर रोक लगाई जा सकती है या नहीं। दरअसल, दिल्ली सरकार बढ़ते प्रदूषण को को कम करने के लिए वाहनों पर सम-विषम फॉर्मूला लागू करने की तैयारी में है।
2013 में दायर की गई थी जनहित याचिका
यह जनहित याचिका 2013 में दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से चीफ जस्टिस की बेंच के सामने कहा गया कि 2002 में दिल्ली में कमर्शियल वाहनों में डीजल पर सुप्रीम कोर्ट ने बैन लगाया था, लेकिन 2015 में डीजल कारों की वजह से हालात बदतर हो गए हैं।
डीजल है प्रदूषण का बड़ा कारण
डीजल प्रदूषण का बड़ा कारण है और कारों में डीजल के प्रदूषण को रोकने के लिए कोई कारगर उपाय नहीं है। इसकी वजह से देश के 13 शहर पूरी दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में गिने जाने लगे हैं। ऐेसे में सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जल्द सुनवाई करे।
लोगों की जान पर बनी है, आपको कार बेचने की पड़ी है : कार डीलरों से CJI
मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने कहा कि चीफ जस्टिस ने कहा अमीर लोग SUV और लग्जरी गाड़ियों से वातावरण को प्रदूषित नहीं कर सकते। साथ ही सीजेआई ने कार डीलरों से कहा कि लोगों की जान पर बनी हुई है और आपको कार बेचने की पड़ी है। इसके अलावा चीफ जस्टिस ने सम-विषम फॉर्मूले पर पर कहा कि हमने आपको रोक नहीं रहे, लेकिन सवाल ये है कि इसे किस तरह लागू किया जाएगा? कौन इसे लागू कराएगा और इससे क्या सही में कोई फायदा होगा? क्या इससे कंफ्यूजन होगा? ये हम नहीं जानते।
'पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल में केरोसिन मिलाते हैं, कोई चेक नहीं करता'
इससे पहले आज मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने केंद्र और दिल्ली सरकार से सवाल करते हुए कहा कि आप दोनों क्यों नहीं साथ बैठकर दिल्ली के वातावरण को साफ करने का समाधान निकालते? ये क्रेडिट आप अपने हाथ में क्यों नहीं लेते? आप ये मौका हाथ से क्यों जाने देना चाहते हैं? न्यायालय ने सवाल उठाते हुए कहा कि पेट्रोल पंपों में पेट्रोल में केरोसिन मिलाया जाता है, लेकिन कोई चेक करने वाला नहीं। पेट्राेल पंपों के मामले में भी पॉलिसी बननी चाहिए। अगर ईंधन में ही मिलावट होगी तो प्रदूषण तो होगा ही। मिलावटी ईंधन के बावजूद हमारी गाडि़यां हरफनमौला हैं... क्योंकि ये उसी से चलती हैं।
दिल्ली में वाहनों की संख्या 97 फीसदी बढ़ी- हरीश साल्वे
मामले की सुनवाई के दौरान एमिक्स क्यूरी हरीश साल्वे ने कहा कि साल 2000 से दिल्ली में वाहनों की संख्या 97 फीसदी बढ़ी है। दिल्ली में करीब 85 लाख वाहन हो गए हैं, जबकि लॉस एंजिलिस में 65 लाख, न्यूयॉर्क में 77 लाख वाहन हैं। दिल्ली में डीजल की गाड़ियों संख्या 30 फीसदी बढ़ी है।
दरअसल, दिल्ली समेत देश के 13 शहरों में डीजल गाड़ियों पर बैन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की। मामले में कोर्ट यह तय करेगा कि देश के बड़े शहरों में डीज़ल गाड़ियों पर रोक लगाई जा सकती है या नहीं। दरअसल, दिल्ली सरकार बढ़ते प्रदूषण को को कम करने के लिए वाहनों पर सम-विषम फॉर्मूला लागू करने की तैयारी में है।
2013 में दायर की गई थी जनहित याचिका
यह जनहित याचिका 2013 में दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से चीफ जस्टिस की बेंच के सामने कहा गया कि 2002 में दिल्ली में कमर्शियल वाहनों में डीजल पर सुप्रीम कोर्ट ने बैन लगाया था, लेकिन 2015 में डीजल कारों की वजह से हालात बदतर हो गए हैं।
डीजल है प्रदूषण का बड़ा कारण
डीजल प्रदूषण का बड़ा कारण है और कारों में डीजल के प्रदूषण को रोकने के लिए कोई कारगर उपाय नहीं है। इसकी वजह से देश के 13 शहर पूरी दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में गिने जाने लगे हैं। ऐेसे में सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जल्द सुनवाई करे।
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