चुनाव आयोग के कानूनी सलाहकार एसके मेंदीरत्ता को राष्ट्रपति ने सम्मानित किया.
नई दिल्ली:
चुनाव आयोग के कानूनी सलाहकार एसके मेंदीरत्ता को आयोग में पांच दशकों से अधिक समय तक लगातार सेवा करने के लिए सम्मानित किया गया है. 77 साल के मेंदीरत्ता 1964 से चुनाव आयोग में हैं और आयोग को कानूनी पेचीदगियों पर सलाह देते रहे हैं. 25 जनवरी को नेशनल वोटर डे के मौके पर उन्हें राष्ट्रपति ने लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया.
मेंदीरत्ता ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि “मैंने पिछले 53 सालों में सभी चुनाव आयुक्तों के साथ काम किया है. इन सालों में आयोग में कई बदलाव आए. चुनाव सुधारों की दिशा में कोशिश जारी है लेकिन टीएन शेषन के वक्त जो कानूनी लड़ाइयां लड़ीं वह अब भी याद हैं."
जाहिर तौर पर शेषन का कार्यकाल संक्रमण काल था और चुनाव आयोग की ताकत का अंदाजा उसी वक्त लोगों को हुआ. मेंदीरत्ता कहते हैं कि उन्होंने एक सहायक के तौर पर आयोग में शुरुआत की और फिर काम के साथ-साथ कानून की पढ़ाई करते रहे.
मृदुभाषी और शांत स्वभाव के मेंदीरत्ता कभी कैमरे के सामने नहीं दिखते लेकिन आयोग के सबसे पेचीदा फैसलों को लिखने और अदालती लड़ाईयों में रणनीति तय करने में उनका अहम रोल रहा है. हाल ही में समाजवादी पार्टी में मचे घमासान और साइकिल चुनाव चिन्ह के फैसले को लेकर आयोग को सलाह देने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई.
जाने माने चुनाव विशेषज्ञ केजे राव का कहना है कि, "मैंने मेंदीरत्ता जी के साथ 40 साल काम किया. मुझे टीवी पर आने और फील्ड में रहने की वजह से कई लोग जानते हैं लेकिन मेंदीरत्ता चुपचाप काम करने वाले लोगों में रहे. वह ड्रॉफ्टिंग के विशेषज्ञ हैं और मेरे गुरु की तरह हैं."
मेंदीरत्ता ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि “मैंने पिछले 53 सालों में सभी चुनाव आयुक्तों के साथ काम किया है. इन सालों में आयोग में कई बदलाव आए. चुनाव सुधारों की दिशा में कोशिश जारी है लेकिन टीएन शेषन के वक्त जो कानूनी लड़ाइयां लड़ीं वह अब भी याद हैं."
जाहिर तौर पर शेषन का कार्यकाल संक्रमण काल था और चुनाव आयोग की ताकत का अंदाजा उसी वक्त लोगों को हुआ. मेंदीरत्ता कहते हैं कि उन्होंने एक सहायक के तौर पर आयोग में शुरुआत की और फिर काम के साथ-साथ कानून की पढ़ाई करते रहे.
मृदुभाषी और शांत स्वभाव के मेंदीरत्ता कभी कैमरे के सामने नहीं दिखते लेकिन आयोग के सबसे पेचीदा फैसलों को लिखने और अदालती लड़ाईयों में रणनीति तय करने में उनका अहम रोल रहा है. हाल ही में समाजवादी पार्टी में मचे घमासान और साइकिल चुनाव चिन्ह के फैसले को लेकर आयोग को सलाह देने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई.
जाने माने चुनाव विशेषज्ञ केजे राव का कहना है कि, "मैंने मेंदीरत्ता जी के साथ 40 साल काम किया. मुझे टीवी पर आने और फील्ड में रहने की वजह से कई लोग जानते हैं लेकिन मेंदीरत्ता चुपचाप काम करने वाले लोगों में रहे. वह ड्रॉफ्टिंग के विशेषज्ञ हैं और मेरे गुरु की तरह हैं."
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