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हनीट्रैप का वह रोचक किस्सा जिसे सुन हंस पड़े थे नेहरू

भारत के कई खुफिया एजेंट भी हनीट्रैप का शिकार हो चुके हैं. वहीं एक किस्सा तो भारतीय राजनयिक के हनीट्रैप से जुड़ा है. इस किस्से को सुन नेहरू भी हंस पड़े थे, जानिए क्या किस्सा है.

हनीट्रैप का वह रोचक किस्सा जिसे सुन हंस पड़े थे नेहरू
नई दिल्ली:

हनीट्रैप अक्सर आप इसके बारे में सुनते ही रहते हैं. भारत-पाकिस्तान के संघर्ष के बाद से हनीट्रैप फिर से चर्चा में है. इसकी वजह है कि हाल ही में पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में की गई गिरफ्तारियां. हनीट्रैप एक ऐसा शातिराना जाल होता है जिसमें किसी शख्स को रोमांटिक या किसी तरह के और लालच में फंसाकर उनसे सीक्रेट जानकारियां हासिल की जाती है या उन्हें किसी कार्य के लिए मजबूर किया जाता है. यह अक्सर जासूसी और गुप्त अभियानों में इस्तेमाल किया जाता है. जब पूरे देश में हनीट्रैप की चर्चा हो रही है, तब इतिहास का वो पुराना किस्सा याद आ जाता है जब पूर्व पीएम नेहरू भी हनीट्रैप के बारे में सुन हंस पड़े थे.

हनीट्रैप का वो किस्सा, जिसे सुन हंस पड़े नेहरू

भारतीय खुफिया इतिहास में कई बार जासूसी और हनीट्रैप के मामले सामने आए हैं, लेकिन एक ऐसा वाकया है जिसे सुनकर भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू हंस पड़े थे. यह किस्सा है एक भारतीय राजनयिक का, जो मॉस्को में रूसी जासूसों के हनीट्रैप में फंस गया था. आइए, इस रोचक किस्से के बारे में जानते हैं. जब जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री थे, तब एक युवा भारतीय राजनयिक मॉस्को में तैनात था. इस राजनयिक का परिचय एक रूसी युवती से हुआ, जो वास्तव में सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी केजीबी (KGB) की एजेंट थी. इसके बाद इन दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं, और केजीबी ने इस रिश्ते का फायदा उठाने की योजना बनाई.

जब खूबसूरत महिला के जाल में फंसा भारतीय राजनयिक

केजीबी ने राजनयिक के प्राइवेट पलों की तस्वीरें खींच लीं और उन्हें ब्लैकमेल करने की कोशिश की. तस्वीरें दिखाकर उनसे गोपनीय जानकारी मांगी गई, ताकि भारत की रणनीतिक योजनाओं का खुलासा हो सके. लेकिन राजनयिक ने हिम्मत दिखाई और तुरंत अपने दूतावास के वरिष्ठ अधिकारियों को इस घटना की जानकारी दी. जब ये मामला भारतीय दूतावास के राजदूत तक पहुंचा, जिन्होंने इसे नेहरू को बताया. नेहरू ने पूरी कहानी सुनी और जोर-जोर से हंस पड़े. उन्होंने इस घटना को गंभीरता से लेने के बजाय हल्के-फुल्के अंदाज में लिया. नेहरू ने राजनयिक को चेतावनी दी कि भविष्य में उन्हें अधिक सावधान रहना होगा, लेकिन कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई. यह घटना भारतीय खुफिया इतिहास में एक मजेदार किस्से के रूप में दर्ज हो गई.

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