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चंद्रयान-3 की बड़ी सफलता से उत्साहित भारत अब महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन की ओर छोटे कदम बढ़ा रहा है. शनिवार को गगनयान के क्रू मॉड्यूल एस्केप सिस्टम का श्रीहरिकोटा से लाइव परीक्षण किया जाएगा. ये उन 20 बड़े परीक्षणों में से पहला है, जिनकी इसरो ने निकट भविष्य के लिए योजना बनाई है. ये सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्य को पूरा करने के प्रयास में है कि इसरो 2035 तक एक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करेगा और 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री को लॉन्च करेगा.
भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के एक प्रमुख, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, इसरो के निदेशक डॉ. उन्नीकृष्णन नायर कहते हैं, "गगनयान चुनौतीपूर्ण है, लेकिन बहुत संभव है क्योंकि भारत के पास सभी आवश्यक तकनीक है और सरकार द्वारा पहले ही 9000 करोड़ रुपये स्वीकृत किए जा चुके हैं."
पीएम मोदी ने एक बयान में कहा, "इस दृष्टिकोण को साकार करने के लिए, अंतरिक्ष विभाग चंद्रमा पर खोज के लिए एक रोडमैप विकसित करेगा. इसमें चंद्रयान मिशनों की एक श्रृंखला, अगली पीढ़ी के लॉन्च वाहन (एनजीएलवी) का विकास, एक नए लॉन्च का निर्माण शामिल होगा. इसमें लॉन्च पैड, मानव-केंद्रित प्रयोगशालाएं और संबंधित प्रौद्योगिकियां स्थापित करना शामिल है."
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गगनयान मिशन का एक महत्वपूर्ण परीक्षण कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब देगा. अगर कुछ गलत हो गया तो हमारे अंतरिक्ष यात्रियों का क्या होगा? क्या परीक्षण कैप्सूल रॉकेट से अलग हो जाएगा? क्या क्रू एस्केप सिस्टम के हिंद महासागर में उतरने से पहले आपातकालीन पैराशूट खुलेंगे? भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी एक क्रू एस्केप सिस्टम परीक्षण आयोजित करेगी, जो मनुष्यों की कक्षा में जाने से पहले रॉकेट की सुरक्षा साबित करने के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण है.
क्रू मॉड्यूल का किया जाएगा परीक्षण
इसरो को उम्मीद है कि महत्वाकांक्षी गगनयान कार्यक्रम पर 2024 के कुछ समय बाद एक भारतीय रॉकेट पर, भारतीय धरती से, एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. भारतीय चालक दल मॉड्यूल तीन अंतरिक्ष यात्रियों को समायोजित कर सकता है, जो तब कम पृथ्वी की कक्षा में एक सप्ताह तक का मिशन कर सकते हैं. क्रू मॉड्यूल का परीक्षण शुरू में किसी भी अंतरिक्ष यात्री को रखे बिना एक नए रॉकेट पर किए जाने की संभावना है और 17 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक अन्य परीक्षण आयोजित किया जाएगा और क्रू मॉड्यूल को भारतीय नौसेना द्वारा बंगाल की खाड़ी से बरामद किया जाएगा. इस तरह के कई परीक्षण किए जाएंगे और यदि इनमें से लगभग दो दर्जन या अधिक बड़े परीक्षण सफल रहे, तो नामित चार अंतरिक्ष यात्रियों में से किसी एक को भेजा जाएगा.
प्रक्षेपण यान मार्क-3 के लिए चुना गया रॉकेट अब मानव-रेटेड है. चार अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित किया गया है, सभी चार भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के परीक्षण पायलट हैं और पहली टीम में सभी चार पुरुष हैं क्योंकि भारत में कोई महिला परीक्षण पायलट नहीं थी. नायर कहते हैं, "भविष्य में महिलाओं को समायोजित किया जा सकता है, क्योंकि इसरो लिंग में भेदभाव नहीं करता और केवल प्रतिभा मायने रखती है. गगनयान मिशन में रूस निर्मित फ्लाइट सूट का इस्तेमाल किया जाएगा."
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गगनयान मिशन को लेकर वैज्ञानिक सतर्क
लेकिन भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजने के इसरो के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन ने इस पर काम कर रहे वैज्ञानिकों की रातों की नींद उड़ा दी है, क्योंकि ये पहली बार होगा, जब इसरो किसी भारतीय को अंतरिक्ष में भेजेगा.
डॉ. उन्नीकृष्णन नायर कहते हैं, "अंतरिक्ष यात्री भारत का नाम रोशन करेंगे और अगर भारत सफल होता है तो वह रूस, अमेरिका और चीन के बाद अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने की स्वतंत्र क्षमता रखने वाला चौथा देश बन जाएगा. मैं गगनयान को लेकर चिंतित नहीं हूं, हमें अपना होमवर्क ठीक से करने की जरूरत है."
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