शिवसेना में उद्धव ठाकरे गुट के संजय राउत से मनी लॉन्ड्रिंग के मामले को लेकर ED ने शुक्रवार को 10 घंटे तक पूछताछ की. संजय राउत सुबह 11.30 बजे ED दफ्तर पहुंच गए थे. जबकि पूछताछ रात साढ़े नौ बजे खत्म हुई. ED दफ्तर से बाहर आते हुए संजय राउत ने कहा कि वो जांच एजेंसी के साथ शुरू से ही सहयोग कर रहे हैं और आगे भी करेंगे. उन्होंने कहा कि एजेंसियों का काम है पूछताछ करना और हमारा काम है पूछताछ में पूरी तरह से सहयोग करना. मैं इसलिए आया क्योंकि उन्हें मुझे बुलाया था. मैं आगे भी ED के साथ ऐसे ही सहयोग करूंगा.
संजय राउत ने शुक्रवार संवाददाताओं से कहा कि मुझे किसी तरह का भय नहीं है क्योंकि मैंने अपनी जिंदगी में कभी भी कोई गलती नहीं की है. उन्होंने कहा कि यदि यह राजनीतिक साजिश है तो इसकी जानकारी बाद में मिल जाएगी. पात्रा चॉल भूमि घोटाले के बारे में बात करते हुए शिवसेना सांसद संजय राऊत ने कहा,”मेरा पत्रा चाल से कोई संबंध नहीं है. वो चाल कहां है ये भी पता नहीं. मैंने आज तक कोई गलत काम नही किया है.”
बता दें कि ED का दावा है कि पात्रा चॉल के 672 परिवारों के पुनर्वास के लिए सोसायटी, म्हाडा और गुरू आशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी के बीच करार हुआ था. गुरू आशीष कंपनी के डायरेक्टर थे HDIL के राकेश वाधवान, सारंग वाधवान और प्रवीण राऊत. कंपनी पर आरोप है कि उसने महाडा को गुमराह कर वहां की FSI पहले तो 9 दूसरे बिल्डरों को बेच कर 901 करोड़ जमा किए. फिर मिडोज नाम से एक नया प्रोजेक्ट शुरू कर 138 करोड़ रुपए फ्लैट बुकिंग के नाम पर वसूले लेकिन 672 असली किरायेदारों को उनका मकान नही दिया. इस तरह कंपनी ने 1039.79 करोड़ बनाए.
ED का आरोप है कि बाद में HDIL ने गुरु आशीष कंपनी के डायरेक्टर प्रवीण राऊत को 100 करोड़ रुपए दिए जिसमे से प्रवीण राऊत ने 55 लाख रुपए संजय राऊत की पत्नी वर्षा राऊत को दिए थे जो मनी लॉन्ड्रिंग का हिस्सा है.
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