पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Chief Minister Amarinder Singh) ने कहा है कि बंधुआ मजदूरी और ड्रग्स देने के आरोपों के जरिये केंद्र सरकार पंजाब के किसानों को बदनाम करने का एक और प्रयास कर रही है. हालांकि केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार को भेजे गए मेमो पर अपनी सफाई पेश की है. तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसान चार माह से भी ज्यादा वक्त से आंदोलित हैं. किसान आंदोलन में हिस्सा ले रहे किसान कृषि कानूनों को रद्द करने के साथ फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून लाने की मांग कर रहे हैं.
अमरिंदर ने कहा कि केंद्र सरकार पंजाब के किसानों के बारे में गलत सूचनाएं फैला रही है. उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों को पहले ही आतंकी, शहरी नक्सली और गुंडे बदमाश बताकर छवि खराब करने की कोशिश की गई है, जो केंद्र के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने केंद्र के उस पत्र के जवाब में ये हमले किए, जिसमें कहा गया है कि 58 बंधुआ मजदूरों को इस राज्य से छुड़ाया गया है.उन्होंने पंजाब में किसानों द्वारा खेतों में बंधुआ मजदूर रखने के आऱोपों को झूठ का पुलिंदा बताया.
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, सीमावर्ती इलाके से कुछ संदिग्ध लोगों की गिरफ्तारी से जुड़ी बेहद संवेदनशील सूचनाओं को बेबुनियाद तरीके से तोड़ा-मरोड़ा गया और किसान समुदाय की छवि खराब करने की कोशिश की गई. अमरिंदर सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार के उत्तर का इंतजार किए बिना गृह मंत्रालय का ये पत्र कुछ चुनिंदा अखबारों और मीडिया हाउस को लीक कर दिया गया.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार वंचित वर्ग के मानवाधिकारों की रक्षा करने में समर्थ है और ज्यादातर मामलों में कार्रवाई की गई है. ऐसे ज्यादातर लोग अपने परिवारों के साथ ही रह रहे हैं. अगर किसी भी स्तर पर कोई मामला संज्ञान में आता है तो तुरंत ही जरूरी कानूनी कार्रवाई दोषियों के खिलाफ की जाएगी.
गौरतलब है कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसान चार माह से भी ज्यादा वक्त से आंदोलित हैं. ये किसान कृषि कानूनों को रद्द करने के साथ फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून लाने की मांग कर रहे हैं. केंद्र और किसान यूनियन के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन बातचीत से कोई समाधान नहीं निकला है.
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