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This Article is From Aug 17, 2023

जलवायु परिवर्तन के कारण सदी के अंत तक थार रेगिस्तान हरा-भरा हो सकता है: अध्ययन

थार रेगिस्तान राजस्थान के अलावा पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांतों में फैला है. यह 2,00,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैला है. यह दुनिया का 20वां सबसे बड़ा रेगिस्तान और नौवां सबसे बड़ा गर्म उपोष्णकटिबंधीय रेगिस्तान है. कई अध्ययनों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से पृथ्वी के रेगिस्तानों के बढ़ने का दावा किया गया है.

जलवायु परिवर्तन के कारण सदी के अंत तक थार रेगिस्तान हरा-भरा हो सकता है: अध्ययन
प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण भारत के थार रेगिस्तान में भारी परिवर्तन देखने को मिल सकता है और यह सदी के अंत तक हरा-भरा क्षेत्र बन सकता है. एक अध्ययन में यह बात सामने आई है. अध्ययन में शामिल शोधकर्मियों के अनुसार तापमान बढ़ने के साथ ही दुनियाभर के कई रेगिस्तानों का और विस्तार होने का अनुमान है वहीं थार रेगिस्तान में इससे उलट रुख देखने को मिल सकता है और इस सदी के अंत तक यह हरे-भरे क्षेत्र में तब्दील हो सकता है.

थार रेगिस्तान राजस्थान के अलावा पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांतों में फैला है. यह 2,00,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैला है. यह दुनिया का 20वां सबसे बड़ा रेगिस्तान और नौवां सबसे बड़ा गर्म उपोष्णकटिबंधीय रेगिस्तान है. कई अध्ययनों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से पृथ्वी के रेगिस्तानों के बढ़ने का दावा किया गया है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि सहारा रेगिस्तान का आकार 2050 तक सालाना 6,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक बढ़ सकता है.

नया अध्ययन ‘अर्थ्स फ्यूचर' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है, जिसमें थार रेगिस्तान के संबंध में अप्रत्याशित पहलू का जिक्र किया गया है. शोधकर्ताओं के दल ने कई अवलोकनों और जलवायु मॉडल ‘सिमुलेशन' को मिला कर उनका अध्ययन किया और पाया कि वर्ष 1901 से 2015 के बीच भारत और पाकिस्तान के अर्ध-शुष्क उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में औसत वर्षा 10-50 प्रतिशत तक बढ़ी है.

उनका कहना है कि मध्यम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की हालत में भी इस वर्षा के 50-200 प्रतिशत तक बढ़ने के आसार हैं. अध्ययन से पता चलता है कि भारतीय मानसून का बदलाव भारत के पश्चिम और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में शुष्क स्थितियों के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है.

अध्ययन में शामिल, गुवाहाटी स्थित कॉटन विश्वविद्यालय में भौतिकी विभाग के बी.एन. गोस्वामी के अनुसार भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून की गतिशीलता को समझना यह समझने के लिए महत्वपूर्ण है कि जलवायु परिवर्तन थार रेगिस्तान को कैसे हरा-भरा कर सकता है.

गोस्वामी ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि भारतीय मॉनसून में बदलाव की विशिष्ट प्रवृत्ति है और यह उत्तर-पश्चिम भारत में अर्ध-शुष्क क्षेत्र के हरा-भरा होने की संभावना के लिए जरूरी है.
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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