सशस्त्र डकैती के 10 साल से भी ज्यादा पुराने एक मामले में ठाणे जिले (Thane Court) की एक मकोका अदालत ने सात आरोपियों को बरी कर दिया गया है. न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के विरुद्ध आरोप सिद्ध करने में असफल रहा. महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) की अदालत में विशेष न्यायाधीश वी वाई जाधव ने बृहस्पतिवार को दिए आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों पर आरोप साबित नहीं कर पाया इसलिए उन्हें रिहा किया जाता है. बचाव पक्ष के वकील पुनीत महिमकर ने अदालत में कहा कि आरोपी कथित सशस्त्र डकैती में शामिल नहीं थे. उन्होंने जेल में कराई गयी पहचान परेड की विश्वसनीयता और मामले को मकोका के तहत दर्ज करने पर भी सवाल उठाए.
बरी किये गए आरोपी दादरा एवं नगर हवेली के सिलवासा, महाराष्ट्र के पालघर जिले के दहानू, तलसारी और बोइसर इलाके के निवासी हैं. अभियोजन पक्ष के अनुसार, छह जुलाई 2011 को हथियारों से लैस आरोपियों ने पालघर जिले के नाजगरी गांव में एक पेट्रोल पंप से 20,100 रुपये लूटे और कर्मचारियों को पीटा था. आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता, शस्त्र अधिनियम और मकोका के तहत धाराएं लगाई गई थीं.
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