- वरिष्ठ नेता संजय निरुपम ने ठाकरे बंधुओं पर जिहादी दबाव में आकर हिंदू समाज को बांटने का गंभीर आरोप लगाया है.
- MNS के नेता द्वारा उत्तर भारतीयों को धमकी देने वाले सोशल मीडिया पोस्ट पर सख्त कार्रवाई की मांग की गई है.
- उन्होंने मुंबई की बदलती जनसांख्यिकी में हाउसिंग जिहाद और अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ को मुख्य कारण बताया है
मुंबई की राजनीति में एक बार फिर तीखी बयानबाजी तेज हो गई है. वरिष्ठ नेता संजय निरुपम ने NDTV से बातचीत में ठाकरे बंधुओं पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वे कथित तौर पर 'जिहादी दबाव' में आकर पूरे हिंदू समाज को जाति और भाषा के आधार पर बांटने का षड्यंत्र रच रहे हैं. निरुपम का दावा है कि हाल ही में सामने आया एक विवादित सोशल मीडिया पोस्ट इसी साजिश का नतीजा है, जिसमें उत्तर भारतीयों को लेकर कथित धमकी दी गई है.
संजय निरुपम ने कहा कि यह पोस्ट महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के एक नेता द्वारा किया गया है और इसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि “उत्तर भारतीय समाज कमजोर नहीं है” और इस तरह की धमकियों को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए. उनके अनुसार, ऐसी भाषा सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाती है और मुंबई जैसे महानगर की एकता को कमजोर करती है.
निरुपम ने अपने बयान में बालासाहेब ठाकरे का संदर्भ देते हुए कहा कि वे कट्टर हिंदूवादी थे और यदि आज जीवित होते, तो वर्तमान हालात पर जरूर सवाल उठाते. उन्होंने ठाकरे भाइयों पर तीखा तंज कसते हुए कहा कि उनकी राजनीति अब बालासाहेब की विचारधारा से मेल नहीं खाती.
संजय निरुपम ने X पर पोस्ट किया, "ठाकरे बंधुओं को खान-पठान चलता है,परंतु हम ‘भैय्या' लोगों से नफरत है. आज शिवसेना प्रमुख होते तो पूछते,दोनों ने खतना करा लिया है क्या ? मनसे का मामू प्रेम !"
यह टिप्पणी राजनीतिक हलकों में खासा विवाद पैदा कर रही है. संजय निरुपम ने कहा कि एक ओर MNS पर उत्तर भारतीयों को धमकाने के आरोप लग रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर उद्धव बालासाहेब ठाकरे (UBT) गुट खुद को उत्तर भारतीयों का समर्थक बता रहा है. उन्होंने इसे “बड़ा राजनीतिक विरोधाभास” करार देते हुए कहा कि मुंबई की जनता इस दोहरे रवैये को समझ रही है. उनका दावा है कि MNS के साथ राजनीतिक बोझ साझा करने से UBT को नुकसान होगा और इसका असर भविष्य की राजनीति में दिखाई देगा.
निरुपम ने स्पष्ट किया कि उनके लिए मुंबई का विकास सबसे बड़ा मुद्दा है. उन्होंने कहा कि भाषा, जाति और क्षेत्रीयता के नाम पर राजनीति करने से शहर के मूल मुद्दे पीछे छूट जाते हैं. संजय निरुपम ने TISS (टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज) की एक रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि इसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. उन्होंने हाउसिंग जिहाद और अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ को मुंबई की बदलती जनसांख्यिकी के लिए जिम्मेदार ठहराया और दावा किया कि शहर का “डेमोग्राफिक स्ट्रक्चर” तेजी से बदल रहा है. निरुपम ने कहा कि इन चुनौतियों का सामना करने के लिए हिंदू समाज को एकजुट होना पड़ेगा, ताकि मुंबई की पहचान और सामाजिक संतुलन बना रहे.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं