जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित 28,000 से ज्यादा पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल मंगलवार को समाप्त हो गया. वहीं नए चुनाव को लेकर अब तक कोई सुगबुगाहट नहीं दिख रही है. पूर्ववर्ती इस राज्य में पांच सालों से अधिक समय तक निर्वाचित सरकार की अनुपस्थिति में, पंचायत-निर्वाचित स्थानीय निकाय ही इस क्षेत्र में कार्यात्मक एकमात्र लोकतांत्रिक संस्थाएं थीं.
केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन द्वारा प्रशासकों की नियुक्ति की संभावना है, जो नए चुनाव होने तक जमीनी स्तर के निर्वाचित निकायों की शक्तियों का प्रयोग करेंगे.
जम्मू-कश्मीर राज्य चुनाव आयुक्त बीआर शर्मा ने कहा, "राज्य चुनाव आयोग पंचायत मतदाता सूची का वार्षिक सारांश पुनरीक्षण करने के लिए एक विशेष अभियान चलाएगा."
जबकि जिला विकास परिषद (डीडीसी), जो कि पंचायती राज प्रणाली का तीसरा स्तर है, कार्य करना जारी रखेगी, लेकिन पंचायतों और ब्लॉक विकास परिषदों की अनुपस्थिति में वे निरर्थक हो जाते हैं. पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव आखिरी बार नवंबर और दिसंबर 2018 में हुए थे.
पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद पिछले माह दिसंबर में सभी शहरी स्थानीय निकायों का अस्तित्व समाप्त हो गया.
जम्मू और कश्मीर जून 2018 से सीधे केंद्रीय शासन के अधीन है. पिछले महीने, सुप्रीम कोर्ट ने इस साल सितंबर से पहले विधानसभा चुनाव कराने की समय सीमा तय की है.
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