गुजरात के बिलकिस बानो रेप केस मामले में 11 दोषियों की रिहाई का हवाला देते हुए तेलंगाना के मंत्री केटी रामा राव (केटीआर) ने पीएम मोदी से कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर दिए भाषण में 'महिलाओं के सम्मान' का वास्तव में वही मतलब था जो आप कहते हैं तो आपसे आग्रह है कि आप हस्ताक्षेप करें और 11 दोषियों की रिहाई के आदेश को रद्द करें. महोदय इसे हल्के ढंग से लेने और गृहमंत्रालय के आदेश के विरुद्ध कहना लज्जाजनक है. आपको राष्ट्र को दूरदर्शिता दिखाने की जरूरत है. एक दूसरे ट्वीट में, KTR ने पीएम मोदी से “भारतीय दंड संहिता (IPC) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) में आवश्यक संशोधन) का आग्रह किया ताकि किसी भी बलात्कारी को न्यायपालिका के माध्यम से जमानत न मिले.
2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो से गैंगरेप और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के अपराध में उम्रकैद की सजा काट रहे सभी 11 दोषियों को रिहाई के गुजरात सरकार के फैसले ने सवाल खड़े कर दिए हैं. आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में केंद्र सरकार ने इसी वर्ष जून में दोषी कैदियों की एक विशेष रिहाई नीति का प्रस्ताव करते हुए राज्यों के लिए गाइडलाइंस जारी की थीं. हालांकि रेप के दोषी उस सूची में शामिल थे जिन्हें इस नीति के तहत विशेष रिहाई नहीं दी जानी है.
तकनीकी आधार पर केंद्र की गाइडलाइंस बिलकिस बानो केस में लागू नहीं हुईं. एक गर्भवती महिला से रेप और हत्या के मामले में दोषी 11 लोगों को रिहा करने में गुजरात सरकार ने मई में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, अपनी स्वयं की गाइडलाइंस का पालन किया. लेकिन ऐसा लगता है कि यह फैसला ऐसे मामलों के केंद्र के सिद्धांत के खिलाफ है. यह विरोध, गृह मंत्रालय की बेबसाइट पर केंद्र की विशेष नीति (Centre's special policy) के पेज 4 के बिंदु क्रमांक 5 में साफ तौर पर स्पष्ट किया गया है. एक बिंदु में साफ कहा गया है कि आजीवन कारावास की सजा वाले किसी भी शख्स को रिहा नहीं किया जाएगा.
गौरतलब है कि तीन मार्च 2002 को गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका के रंधिकपुर गांव में भीड़ ने बिलकिस बानो के परिवार पर हमला कर दिया था.अभियोजन के अनुसार, ‘‘बिलकिस उस समय 21 वर्ष की थीं और पांच महीने की गर्भवती थीं. उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था. इतना ही नहीं, उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी.