गुजरात दंगा पीड़ितों के नाम पर चंदा लेकर धोखाधड़ी के आरोपों से घिरी सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति को सुप्रीम कोर्ट से 19 फरवरी तक गिरफ्तारी से राहत मिल गई है।
कोर्ट अब 19 फरवरी को ही मामले की सुनवाई करेगा, लेकिन सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सीतलवाड़ पर कई टिप्पणियां की हैं। 2002 के गुजरात दंगा पीड़ितों के नाम पर करोड़ों रुपये इकट्ठा कर धोखाधड़ी करने के मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता और उनके पति को 19 फरवरी तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फौरी राहत तो दे दी है, लेकिन कई बड़े सवाल भी उठाए हैं। दोनों की अग्रिम जमानत पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि एफआईआर में दर्ज आरोप काफी गंभीर हैं। धर्म के नाम पर दंगा पीड़ितों के लिए विदेश से भी चंदा लिया गया था, लेकिन यह रुपये खुद पर खर्च किए गए ऐसे मामले में अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती। आप इस मामले में सेरेंडर क्यों नहीं करते।
तीस्ता की और से पेश वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि इस मामले मे 1500 दस्तावेज हाईकोर्ट को दिए गए है। लेकिन हाईकोर्ट ने इन पर गौर नहीं किया। इसके अलावा मामला करोड़ों रुपयों का नहीं बल्कि चार लाख का है और जांच के लिए गिरफ्तारी की कोई जरूरत नहीं है।
लेकिन गुजरात सरकार की तरफ से कहा गया है कि पुलिस के पास इसके पुख्ता सबूत हैं कि आरोपियों ने दो बैंक खातों से करीब सात करोड़ रुपये ट्रांसफर किए फिर विदेश यात्रा के अलावा क्रेडिट कार्ड से ब्रांडेड कपड़े और जूते खरीदे। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों से कागजात दाखिल करने को कहा है। हालांकि सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के एक वकील ने 10 लाख के सूट का जिक्र किया, जिस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं